राजस्थान के केकड़ी जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित और ऐतिहासिक,पौराणिक धार्मिक कस्बा जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है बल्कि इसकी ऐतिहासिकता, आध्यात्मिकता, और पौराणिकता को अपने आप में समेटे हुए इस कस्बे का नाम ही आज भगवान वराह के नाम पर जाना जाता है नाम भले ही इसका बघेरा हो लेकिन आज भी इसे बाराजी का गांव कहां जाता है  ।

      गांव की हर गली हर मोहल्ले हर नुक्कड़ पर स्थित ऐतिहासिक और आध्यात्मिक और पौराणिक प्रतीक इसकी ऐतिहासिकता को प्रमाणित करता है वराह सागर के किनारे भगवान वराह का एक अद्वत्य मंदिर जिसमें भगवान वराह की अद्वित्य प्रतिमा ओर एक अद्भुत प्रतिमा है जिसका वर्णन शब्दों में किया जाना संभव नहीं है भगवान वराह का यह मंदिर और यह कस्बा  इतिहासकारों की  कलम के माध्यम से भी  देश और दुनिया परिचित है  राजस्थान के पर्यटन नक्शे पर  यह अपनी एक अलग पहचान रखता है  अजमेर स्थित मैगजीन में स्थित  अनेक प्रतिमाएं और ऐतिहासिक प्रमाण जिनका संबंध पगारा से हैं जो अपनी ऐतिहासिकता को प्रमाणित करते हैं  राजस्थान सरकार ने भी भगवान वराह के इस मंदिर को  राजस्थान का संरक्षित स्मारक घोषित किया हुआ है।

कण-कण में इसके आध्यात्म छुपा है
हर एक कण में पूरा इतिहास छुपा है

छुपा है हर जुबां पर इसका गुणगान
हर सांस में छुपा  इसका स्वाभिमान है

  • नर वराह अवतार
     इन सब के बीच  इस मंदिर में ही शुए वराह की प्रतिमा के पीछे ही  लगभग 2″ (फिट) काले पाषण की चार भुजा से समायोजित विष्णु के अवतार  भगवान वराह की नर वराह की  एक अद्भुत प्रतिमा भी है जो सहज ही हर किसी का ध्यान आकर्षित कर लेती है  मंदिर में विशाल और कलाकृति का अद्भुद नमूना त्तथा आध्यातमिक रूप से महत्व  रखने वाली शुर वराह की प्रतिमा के साथ ही यह  नर वराह की प्रतिमा  भी एक अलग ही महत्व रखती है ।

नर वराह की इस  प्राचीन प्रतिमा की चारो भुजाओ में शंख, चक्र, गद्दा, पदम का धारण किये हुए है इस प्रतिमा को अद्भुत और अद्वित्य  इसलिए कहा जा सकता है कि इस तरह की नर वराह की प्रतिमा राजस्थान के कई शहरों में स्थापित है परंतु जो प्रतिमा ग्राम बघेरा में वराह मंदिर में स्थापित है वह अन्यत्र कहीं नहीं है यह बघेरा में स्थित प्रतिमा है वह बिल्कुल वराह  पुराण के अनुसार बनी हुई है। वराह पुराण में जो भी वृत्तांत है वह सारा उक्त प्रतिमा में समाहित है तथा इस मन्दिर की महता ओर अधिक बढ़ जाती है क्योंकि  जहाँ तक मुझे जानकारी है यह एक  मात्रा वही मंदिर है जहाँ शुर वराह ओर नर वराह दोनों रूपो की अद्भुद प्रतिमाये है  ऐसा संयोग बहुत कम देखने को मिलता है   जो  कि अशयात्मिक दृष्टिकोण से महत्व रखता जब जब भी धर्म और अध्यात्म की बात चले चलती है तो भगवान वराह की  इस पावन धरती बघेरा का नाम जरूर आता है ।

एक बार पधारो नी म्हारे बघेरा गांव

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