Day: May 7, 2024

काव्य – कच्ची कलियाँ

खत नही वो लब्ज़ हैं जुबां जो कह न सकी,कली जो फूल बसन्त का कभी बन न सकी! वो सिसकियां नही सांसे हैं मेरी जो मरी नही,कच्ची कली न तोड़…

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