Day: May 4, 2024

काव्य – साजन

साजन मेरे मेरी रगों में दौड़ते लहू तुम,तेरी सनसनाहट बदन में पाऊँ बलम !१ हवा में सन सन जल में तरंग साजन,बिजली में चमक पत्थर में आग हो !!२!! ठहरे…

काव्य : अवनी अम्बर

कभी नयन देखता हूँ कभी नक्श देखता हूँ ,तेरी शोख अदाएं तसल्ली भर निहारता हूँ! मैं लिखने को तुझ पर वक्त से वक्त चुराता हूँ,अल्फाज़ो में बदन की नक्काशी लिखता…

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