काव्य – रुसवाईयाँ !!
कैसे जीता हूँ तेरे दिये दर्द को तुम क्या जानो,बिन तेरे कितनी नश्तर राते, तुम क्या जानो ! चहरे पर बिखरी हुई बेबस बेजुबां मुस्कान,दिल की उदासी का आलम तुम…
(M.A. B.ED, NET, SET, Ph.d, LL.B)
कैसे जीता हूँ तेरे दिये दर्द को तुम क्या जानो,बिन तेरे कितनी नश्तर राते, तुम क्या जानो ! चहरे पर बिखरी हुई बेबस बेजुबां मुस्कान,दिल की उदासी का आलम तुम…
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