शायरी/काव्य – पंछी/ पखेरू
@ गोविन्द नारायण शर्मा भोर भई चमका पूरब दिशि में शुक्र तारा,पखेरुओ ने आंखे खोली छोड़ा रेन बसेरा! आपस में बतियाते सुबह सुबह दो परिन्दे ,इंसान हो गये कितने बेशर्म…
(M.A. B.ED, NET, SET, Ph.d, LL.B)
@ गोविन्द नारायण शर्मा भोर भई चमका पूरब दिशि में शुक्र तारा,पखेरुओ ने आंखे खोली छोड़ा रेन बसेरा! आपस में बतियाते सुबह सुबह दो परिन्दे ,इंसान हो गये कितने बेशर्म…
@ गोविंद नारायण शर्मा ग़म का ये आलम कोई खबर नही,तू कब रुख़सत हुई कोई खबर नही! जाम गटके गिनती नही की रात से ,बोतलें कितनी रीती कोई खबर नही!…
@ गोविंद नारायण शर्मा छत पे आजा गौरी सज धजकर सोलह सिणगार ,पहर झिलमिल तारा जड़ी साड़ीकर लयाँ चाँद का दीदार!१! अम्बर में चांदो छिप गयोकाळा बादलिया री ओट,रूप गोरडी…
@ गोविंद नारायण शर्मा बारिश की पहली बूंदों से सौंधी महक सी !बसन्त में खिली नव पल्लवित कलिका सी ! शरद में खिले शतदल की गुलाबी पंखुरी सी,शबनमी नन्ही बून्द…
@ गोविंद नारायण शर्मा थारी ओल्यू चांदनी रातां म आवे क्यों !तू मने मनडे म मिलण को चितारे क्यों !! थारा नाम स्यूँ हिचकी रुक जावे क्यों !चांद सरिको मुखड़ो…
@ गोविंद नारायण शर्मा मुफलिसी में ईमान खोने की नीयत नही की, अपनी शर्तों पर जिन्दगी जी हुजूरी नही की ! आसान था ईमान को कोढियों में डगमगाना, कभी किसी…
@ गोविंद नारायण शर्मा तेरे अक्ष से निकले हर अश्क को हलक में उतार लिया, ज्यो समुद्र मुन्थुन से निकले गरल को शम्भू ने पी लिया ! खुली अल्को से…
@ गोविंद नारायण शर्मा तेरी चाहत दिल मे दबी पालूँ मिलन री प्रीत,खेलूँ तुझ संग बाजी प्रेम की तू हारे मैं जाऊं जीत! चाहत में तेरी सजन बंधी मन मिलन…
@ गोविंद नारायण शर्माभय प्रकट दशरथ सुत राम भव भयहारी,सुमङ्गल जनमनहारी कौशल्या हितकारी! कानन कुंडल मकराकृत घनी शोभित भौहे;पीत झगुलिया कटि छुद्र घन्तिका मन मोहे! भाल चन्दमा किरीट सोहे अधर…
@ गोविंद नारायण शर्मा मैंने जिसको जिंदगी का ककहरा सिखाया,वो मुझसे इलाज की फ़ीस मांगने आया! अंगुली पकड़कर जिसको चलना सिखाया ,उसने धक्का देकर सड़क पर मुझे गिराया ! खून…
You cannot copy content of this page