Category: साहित्य,कविता,काव्य,शायरी,मुक्तक

बरसात

बारिश की नन्ही बूंदे छमछम करत बरसत ,मन हरषत उपवन पिक मधुर गीत सुनावत! ताल तलैया हिलोरत कलरव गान करत खग,हरित धानी चुनर ओढ़ नवोढ़ा सजी बहुरंग! भँवरे मंडराते कलियां…

काव्य/शायरी: तलब

है वो गजब की बला मिर्ची से तीखी बहुत, फिर भी वो हर अंदाज में मुझे भाती बहुत! अब उससे कोई उम्मीद नही किया करता, करके कुछ उपकार मुझ पे…

कविता/काव्य/शायरी – तुझ बिन विरहन

तुझ बिन दहके तन प्राण निकस रहे पिया ,सूनी सेज शूल चुभे बिरहनी मुरझाई पिया! मल्हार बन उमड़ आवो मोरे परदेसी पिया ,मुरझाई दूब बून्द गिरे हरियायी जाती पिया! तन…

काव्य/कविता – पर्ण कुटी

अपनी एक सुंदरतम पर्ण कुटीर बनाएंगे,घास पूस पत्तो से उसको खूब सजायेंगे! घर पर सनातन प्रतीक पताका फहराएंगे,रोशनी को कुटिया में घी का दीप जलाएंगे! सुरभि धेनु के गोबर से…

काव्य/शायरी: “रूह की ख़्वाहिश”

रूह में भला बिना ख्वाहिश उतरता कौन हैं,आँख मूंद भरोसा किसी पर करता कौन हैं! जान देने को अक्सर उल्फ़त में कहते तो हैं,पतंगे की तरह दीपक पर यूँ मरता…

काव्य/शायरी/कविता: जिजीविषा (जीने की इच्छा)

नीरस तरुवर में निकली नन्ही कोंपल से ,उम्मीद की किरण पाकर खिलना सीखो! पिपीलिका का अथक परिश्रम तुम देखो,कठिन डगर पर चढ़ मंज़िल पाना सीखो ! मानव देह में शिवि…

शायरी/ काव्य “बे- वक्त”

अगर मैं बेवक्त बोल जाता ख़ताये तुम्हारी,जीती हुई बाजी हार जाता यही समझदारी! जज्बातों पर आंच आये तो बोलना चाहिए,कब कहाँ कैसा लहजा हो ये आना चाहिए! खत में उकेरेअल्फ़ाज़…

काव्य:आलोकित

लाल देह ले भासित हुए अरुण भगवन,शीतल मकरन्द घुली सुगन्धित बहे पवन! दिनकर उदित ले प्रथम कस्तूरी किरण,दरख्तों पर खिले नव कुसुमित पल्लव! भानु प्रकटे प्राची दिसि नव प्रखरता से,सब…

‘परिवार दिवस’ पर काव्य /शायरी

यह मेरा वह दूसरा,ओच्छा यह व्यवहार lवसुधैव कुटुबं की भावना,आज दिवस परिवार ll संयुक्त में ताकत भरी,एकल एकल खार lसंगठन में शक्ति कही,आज दिवस परिवार ll हिल मिल कर चलती…

काव्य – आखा तीज/ अक्षय तृतीया

बैशाख शुक्ल की तृतीया,कहते आखा तीज lकृषि कार्य शुरुआत हो,बो ओ धर्म के बीज ll 1 मांगलिक फलदायिनी,हो मंगल सब काज lऋषि कृषि की संस्कृति,हम सबको है नाज ll 3…

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