Category: साहित्य,कविता,काव्य,शायरी,मुक्तक

मुक्तक/काव्य – जंगल में एक सभा बुलाई

@ गोविंद नारायण शर्मा देखो भाई आज जानवरों ने सभा बुलायी हैं,मोर पपीहा गिलहरी चश्मा पहन आयी हैं ! पिपीलिका ब्रांडेड हाई हील चप्पल में आयी हैं,चींटे को डोनाल्ड ट्रम्प…

शायरी/काव्य- अभिमान

@ गोविंद नारायण शर्मा अभिमान में सब गया धन वैभव और वंश ,न मानो तो देख लो रावण कौरव और कंस! ईश दाता नही विपत्ति का वो विदारण हार,विप्र अजामिल…

काव्य – मायावी ठग

@ गोविंद नारायण शर्मा मायावी ठग भोली भाली जनता ठगने को,तिलिस्मी अफवाहों का रचते माया जाल, मामा मारीच ने श्री राम को धोखा दिया,स्वर्ण मृग मायावी सीता हरण रचा जाल!…

काव्य/मुक्तक -खुमार में..

कभी इश्क के खुमार में बन संवर चला करो,मुजरे में दिल जलाने रक़ीबों का चला करो! यूँ हर वक्त मदहोशी में बदहवास न रहा करोऔलाद फाके मंद जरा कमा कर…

काव्य-इक लम्हा ठहरो तो

(रचनाकार:गोविंद नारायण शर्मा ) इक लम्हा ठहरो तेरे माफ़िक निखर जाएंगे,तेरे स्पर्श से रूहानी जज्बात बहक जाएंगे! होंठों पर जब प्यार के दो नगमें गुनगुनाएंगे,मख़मली आवाज से मुसाफ़िर ठहर जाएंगे!…

शायरी: जब वो चली ही गई

मोहब्बत के सारे निशां मिटाकर गयी हैं वो ,चीरकर दिल तड़पता ठुकराकर गयी हैं वो! घोंपकर खंजर दिल में मरा जानकर गयी है,हाथों से कत्ल के सबूत मिटाकर गयी हैं…

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