Month: April 2024

काव्य – मित्रता का संदेश

मित्र हो तो सुदामा बनकर तांडुल खिलाओ !कृष्ण बन कर नंगे पैर दौड़ द्वार पर आओ !! फूल खुशबू वाले चाहिए बाग खूब लगाओ!भरी दोपहरी में पसीना बहा पानी पिलाओ…

चाँद सा सलोना मुखड़ा

अधर मोन हो गये पलक चिलमन बात,ना तू सुने ना मैं ये नैना भीतर मुलाकात ! चाँद सलोना मुखड़ा चितवन तिरछी चाल,पुष्पसर के वेग से बिन्धा मन पंछी बेहाल! उगते…

रूह की ख़्वाहिश!!

रूह में भला बिना ख्वाहिश उतरता कौन हैं,आँख मूंद भरोसा किसी पर करता कौन हैं! जान देने को अक्सर उल्फ़त में कहते तो हैं,पतंगे की तरह दीपक पर यूँ मरता…

अधर मोन हो गये

@ गोविन्द नारायण शर्मा अधर मोन हो गये पलक चिलमन बात,ना तू सुने ना मैं ये नैना भीतर मुलाकात ! चाँद सलोना मुखड़ा चितवन तिरछी चाल,पुष्पसर के वेग से बिन्धा…

मेरा बचपन मुझे लौटा दो

@ गोविन्द नारायण शर्मा कोई मुझे पुराना जमाना फिर लाकर दे दो ,काली मिट्टी से बनी बैलों वाली गाड़ी दे दो ! सीखने को मिट्टी वाली तख्ती कहीं खो गयी…

काव्य-‘ ईर्ष्या तू नही गयी ‘

@ गोविन्द नारायण शर्मा ईर्ष्या बहुत हो गयी मन का मेल निचोड़ दो,दिली अदावद खूब हैं अब मेल निचोड़ दो ! घाव अब पक गया मवाद को निकाल दो,ठीक करना…

शायरी/काव्य – जमाना बदल गया

@ गोविन्द नारायण शर्मा तंग गलियां तन पे बेहया लिबास देख रहा हूँ ,सच जमाना बदल गया आँखों देख रहा हूं ! प्यासी नदियां बिलखती नग जमी दोख हुए ,मधुवन…

काव्य : बेकसूर-बेगुनाह

@ गोविन्द नारायण शर्मा हर बार बेकसूर रहा कोई गुनाह रह गया,सारे तीर्थ नहाये पर एक तेरा दर रह गया! जिस जिस से भी मिला मुझे वो भूलते गये,बस जहन…

सन्त वाणी – मीठे वचन

@ गोविन्द नारायण शर्मा साधु गाँठि न बाँधई उदर समाता लेय,आगे पीछे हरि खड़े जब मांगे तब देय! कहता तो बहुता मिला गहता मिला न कोय,सो कहता नही जान दे…

अश्क को हलक में उतार लिया

@ गोविन्द नारायण शर्मा तेरे अक्ष से निकले हर अश्क को हलक में उतार लिया ,ज्यों समुद्र मन्थन से निकले गरल को शम्भू ने पी लिया ! खुली अलकों से…

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