Author: Dr Gyanchand Jangid

काव्य – साजन

साजन मेरे मेरी रगों में दौड़ते लहू तुम,तेरी सनसनाहट बदन में पाऊँ बलम !१ हवा में सन सन जल में तरंग साजन,बिजली में चमक पत्थर में आग हो !!२!! ठहरे…

काव्य : अवनी अम्बर

कभी नयन देखता हूँ कभी नक्श देखता हूँ ,तेरी शोख अदाएं तसल्ली भर निहारता हूँ! मैं लिखने को तुझ पर वक्त से वक्त चुराता हूँ,अल्फाज़ो में बदन की नक्काशी लिखता…

काव्य – दर्द भरी चींखें !!

छोटी छोटी बातों में मुझे पड़ना नही आता ,तू ये न समझ की मुझे लड़ना नही आता ! बेकार है तमाम तालीम उस शख्सियत की ,गमजदा लोगो के चेहरे पढ़ना…

काव्य – अब जमाना बदल गया

तंग गलियां तन पे बेहया लिबास देख रहा हूँ ,सच जमाना बदल गया आँखों देख रहा हूं ! प्यासी नदियां बिलखती नग जमी दोख हुए ,मधुवन में दावानल सुलगती आंखों…

मजदूर दिवस पर विशेष- वो बेचती लकड़ियाँ

@ गोविन्द नारायण शर्मा वो जंगल से लकड़ियाँ बेचकर घर चलाती हैं,पालने को बच्चे मालिक की चक्की चलाती हैं ! छाले पड़े हाथों से लकड़ियाँ काटने जाती है ,बूढ़े कन्धों…

प्रणय मिलन

@ गोविन्द नारायण शर्मा ख्वाब मल्लिका सुखद प्रणय दीदार कब होगा,ओ मेरी हृदेश्वरी तेरा ये शृंगार कब पूरा होगा! तेरे माथे की बिंदियां प्राची में उदित भानु सी,मुखचन्द्र बिखरी अलकें…

मुकम्मल नफ़रत

@ गोविन्द नारायण शर्माछोटी छोटी बातों में मुझे पड़ना नही आता ,तू ये न समझ की मुझे लड़ना नही आता! बेकार है तमाम तालीम उस जनाब की,गमजदा लोगो के चेहरे…

काव्य – बावरा मन !

दिल भरा सा है फिर भी तेरे बिन खालीपन,अज़ीब सन्नाटा ना जाने क्या चाहे यह मन! रोना बहुत चाहता बैचेन उद्विग्न नादाँ मन ,क्या खता हुई हमसे ना समझे बावरा…

भूली बिसरी बातें -गांव में अब यह नही

गाँवां में वो पहले जैसी चौपाल अब नही,बरगद छांव नीचे ठहरती अब बारात नही! बींद बिंदोला जिमें नी जुआजुई खेल नही,बींदणी न लेबा पहला पावणां आवे नही! पनघट पर पनिहरिणों…

काव्य – तुझ बिन विरहन

तेरी चाहत दिल मे दबी पालूँ सेजाँ मिलन री प्रीत,खेलूँ तुझ संग बाजी प्रेम की तू हारे मैं जाऊं जीत! चाहत में तेरी सजन बंधी मन मिलन एक तरंग,तू कब…

You cannot copy content of this page