Day: June 17, 2024

कविता/काव्य/शायरी – तुझ बिन विरहन

तुझ बिन दहके तन प्राण निकस रहे पिया ,सूनी सेज शूल चुभे बिरहनी मुरझाई पिया! मल्हार बन उमड़ आवो मोरे परदेसी पिया ,मुरझाई दूब बून्द गिरे हरियायी जाती पिया! तन…

काव्य/कविता – पर्ण कुटी

अपनी एक सुंदरतम पर्ण कुटीर बनाएंगे,घास पूस पत्तो से उसको खूब सजायेंगे! घर पर सनातन प्रतीक पताका फहराएंगे,रोशनी को कुटिया में घी का दीप जलाएंगे! सुरभि धेनु के गोबर से…

काव्य/शायरी: “रूह की ख़्वाहिश”

रूह में भला बिना ख्वाहिश उतरता कौन हैं,आँख मूंद भरोसा किसी पर करता कौन हैं! जान देने को अक्सर उल्फ़त में कहते तो हैं,पतंगे की तरह दीपक पर यूँ मरता…

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