मित्र हो तो सुदामा बनकर तांडुल खिलाओ !
कृष्ण बन कर नंगे पैर दौड़ द्वार पर आओ !!
फूल खुशबू वाले चाहिए बाग खूब लगाओ!
भरी दोपहरी में पसीना बहा पानी पिलाओ !!
हवाओ में ठंडक चाहिए पेड़ खूब लगाओ!
लोग प्यास से न मरे पानी व्यर्थ न बहाओ!
लोग प्रेम सौहार्द्र से रहे पानी में आग न लगाओ !
लगी आग बुझ जाए आग में घी मत डालो !!
बेमौत लोगो को न मारो बमबारी की नीति बन्द करो!
भाई भाई न झगड़े आपस मे फूट न डालो!
@ गोविन्द नारायण शर्मा