राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल

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हर ग्राम पंचायत की आवश्यकतानुसार वार्षिक या पंचवर्षीय योजना का निर्माण हो
पंचायत राज विभाग द्वारा हर ग्राम पंचायत की आवश्यकता को मध्य नजर रखते हुए वार्षिक या पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण करना आज की आवश्यकता तभी हो सकता है गांधी के राम राज्य की स्थापना का सपना साकार।

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      सपने देखना इंसान की फितरत है कुछ सपने खुद को पूरे करने की आवश्यकता ते हैं और कुछ सपने ऐसे होते हैं जिनको पूरा करने की जिम्मेदारी आने वाली पीढ़ियों के भरोसे छोड़ दिए जाते हैं ऐसे ही कुछ सपने हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता से पूर्व देखे थे इसका नाम था राम राज्य की स्थापना और इस राम राज्य की स्थापना करने का दायित्व आने वाली वीडियो और देश के कर्णधार और नीति निर्माताओं पर था संविधान निर्माण के दौरान भी भारतीय संविधान में भाग 4 के अंतर्गत अनुच्छेद 40 में पंचायत राज्य की स्थापना का प्रावधान किया ।  जब संविधान लागू हुआ प्रदेश की निर्मिती निर्माता उन्हें 2 अक्टूबर जो कि गांधी जी का ही जन्म दिवस था उस दिन राजस्थान के नागौर जिले के बगड़ी गांव में पंचायत राज का शुभारंभ  किया लेकिन वह पंचायत राज की प्रारंभिक अवस्था थी पंचायत राज ने कई दौर देखें और पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल में 73वें संविधान संशोधन 1992 के द्वारा ग्रामीण पंचायती राज को और 74 वें संविधान संशोधन 1992 के द्वारा नगरी पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा दिया गया  24 अप्रैल 1993 को 73 वा संविधान संशोधन अधिनियम लागू हुआ उसी के उपलक्ष में प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायत राज दिवस के रूप में मनाया जाता है  ।  निसंदेह  इससे पंचायती राज को मजबूती मिली है  ।

 गांधी जी का रामराज्य का सपना कहां तक पूरा हुआ या हो रहा है 


पंचायत राज ने एक लंबी विकास की यात्रा तय की है लोगों को अधिकार मिले हैं स्थानीय लोगों की सहभागिता विशेषकर महिलाओं को सहभागिता के अवसर प्राप्त हुए हैं  लेकिन सवाल यह उठता है क्या गांधी जी ने जो राम राज्य की स्थापना का जो सपना देखा था क्या वह पंचायती राज के माध्यम से सपना आज पूरा हुआ है । और क्या राम राज्य की अवधारणा के तहत आज के स्थानीय स्वशासन की इकाइयां कार्य कर रही है यह एक चिंतनीय विषय है यह पब्लिक है सब जानती है स्कस इस सवाल का जवाब लोकतंत्र का आधार जनता जनार्दन ही दे सकती है ।
पंचायती राज को मजबूती देने के लिए नीति निर्माताओं ने नीतियों का निर्माण किया है और किया जा रहा है और  प्रयास सराहनीय है लेकिन उस लोकतंत्र की प्राथमिक पाठशाला लोकतंत्र की और जो लोकतंत का  पौधा गांव से अंकुरित होता है उस को सफल बनाने उसे मजबूती देने  की जिम्मेदारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर होती है सरकार और प्रशासन की भी जिम्मेदारी बनती है को बिना किसी भेदभाव के सभी ग्राम पंचायतों का समान रूप से विकास करें।

 हर ग्राम पंचायत की आवश्यकता को देखते हुये मास्टर प्लान बने ।


 राजस्थान की सभी ग्राम पंचायतों के साथ विकास कार्य को लेकर सरकारी योजनाओं के लाखों करोड़ों रुपए खर्च होते होंगे नरेगा जैसी योजनाओं में लाखों रुपए हर ग्राम पंचायत में प्रतिवर्ष आते हैं ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के माध्यम से भी हजारों लाखों रुपए विकास कार्य के लिए  आते है  । कुछ राजनीतिक पहुंच और रसूखदार व्यक्ति अपने व्यक्तिगत संपर्क के द्वारा भी ग्रामीण क्षेत्रों में अपने ग्राम पंचायत के क्षेत्र में विकास कार्य के लिए विशेष योजनाओं के तहत धनराशि आवंटित करा ही लेते होंगे फिर हर ग्राम पंचायत का स्वरूप आज आदर्श ग्राम पंचायत की तरह क्यों नजर नहीं आता ।
 प्रति वर्ष ग्राम पंचायतों में लाखों रुपए का खर्च हो जाने के बावजूद हर ग्राम पंचायत एक आदर्श मॉडल में नजर क्यों नहीं आती कोई तो वजह रही होगी। प्रतिवर्ष हजारों लाखों रुपए ग्राम पंचायतों में विभिन्न योजनाओं के तहत खर्च होते हैं लेकिन धरातल पर नजर क्यो नही आता राज्य सरकार को चाहिए कि हर ग्राम पंचायतों के लिए प्रति वर्ष या प्रति 5 वर्ष के लिए एक मास्टर प्लान एक मॉडल तैयार किया जाए । उसी मॉडल के अनुरूप सरकारी योजनाओं के तहत आने वाले धन का चरणबद्ध तरीके से विकास किया जाए ओर यह हर ग्राम पंचायत में समान रूप से लागू हो  तो आदर्श ग्राम पंचायत, गांधी जी के रामराज्य की तरह नजर आ सकती है साथ ही  केवल  राज्य सरकार  ही नही बल्कि स्थानीय प्रशासन और उस को संचालित करने वाले जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों की रचनात्मक और सृजनात्मक सोच को दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ाना होगा।
 हर जनप्रतिनिधि ओर प्रशासनिक अधिकारी की एक रचनात्मक ओर  सृजनात्मक सोच पैदा करनी होगी जो उस मॉडल उस मास्टर प्लान के तहत कार्य करते हुए प्रतिवर्ष उस कार्य के क्रियान्वित की रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रेषित की जाए  जॉनकी अनिवार्यता हो तो हर ग्राम पंचायत की दशा और दिशा दोनों बदले जा सकते हैं।

हर ग्राम पंचायत  के लिये बने अलग प्लान 


 निश्चित रूप से कहां जा सकता है कि आज राजस्थान की सभी  ग्राम पंचायतों के विकास के लिए समान विकास के लिए भविष्य की आवश्यकताओं को मध्य नजर रखते हुए  सरकारी योजनाओं को सही प्रकार से क्रियान्वित करने के लिए तथा आम जनता को रोजगार के साथ साथ सरकारी योजनाओं में खर्च होने वाले लाखों करोड़ों रुपए का सदुपयोग करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि ग्रामीण पंचायती राज विभाग द्वारा सभी ग्राम पंचायतों के लिए पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण बकिया जाये और किया जाना आज की आवश्यकता है।
ऐसी पंचवर्षीय योजनाओं की सफलता और उन्हें लागू करने के लिए हर ग्राम पंचायतों में किए जाने वाले विकास कार्यों की रिपोर्ट प्रतिवर्ष सरकार को प्रेषित किए जाने की अनिवार्यता हो तो निश्चित रूप से राजस्थान के हर गांव की दशा और दिशा को बदला जा सकता है हर गांव में रोजगार का सृजन किया जा सकता है सरकारी योजनाओं को सही प्रकाश से लागू कर हर गांव को एक आदर्श एक मॉडल गांव के रूप में विकसित किया जा सकता है बस आवश्यकता है तो एक रचनात्मक , सृजनात्मक सोच के साथ दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति की आज आवश्यकता है गांधीजी के ग्राम स्वराज्य की स्थापना की तभी गांधी जी का राम राज जी का सपना साकार हो सकता है और उस सपने को साकार करने में देश और प्रदेश के नीति निर्माताओं और स्थानीय जनप्रतिनिधियों का दायित्व बनता है यही गांधी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी और पंचायत राज दिवस मनाए जाने का उद्देश्य सार्थक हो पाएगा ।

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