22 अप्रेल – पृथ्वी दिवस
धरती ने हमे दिया सब कुछ,वक़्त हैं हम भी तो देना सीखे

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इस मिट्टी का कर्ज था मुझ पर मैंने वह कर्ज उतारा एहसान नहीं किया मैंने केवल अपना फर्ज निभाया……

     कहने को तो यह चाइना गेट फिल्म का एक गाना मात्र है लेकिन गाने के बोल  हर  नागरिक हर इंसान  को एक संदेश देता है कि इस धरती और इस मिट्टी के प्रति हमारा भी कुछ कर्तव्य है उसे हमें निभाना है …..


पृथ्वी बहुत व्यापक शब्द है जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जु़ड़े अन्य कारक भी हैं। धरती को बचाने का आशय है इसकी रक्षा के लिए पहल करना।धरती को बचाने का आशय है इन सभी की रक्षा के लिए पहल करना। लेकिन इसके लिए किसी एक दिन को ही माध्यम बनाया जाए, क्या यह उचित है? हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए।

आज की भागदौड़ की जिंदगी में इंसान अपने फर्ज को भूल गया है और इस फिजा में… इस मिट्टी में न जाने कितने जहर घोल रहा है  बस जिए जा रहा है भौतिकवादी सुख-सुविधाओं को भोगने की होड़ सी लगी है । सिर्फ अपनी चिंता है आने वाले वक्त की चिंता नहीं कि वह अपने कर्मों से इस फिजा में …इस मिट्टी में जहर घोल रहा है आने वाली पीढ़ियों के लिए यह जहर मुसीबत बन सकता है । 


 बे हताशा और अविवेकपूर्ण तरीके से धरती के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है अच्छी फसलों के नाम पर धरती में कीटनाशक लगाए जा रहा है कारखानों और वाहनों से वातावरण में जहर घोला जा रहा है । नदी नालों को गन्दा किया जा रहा है प्राणवायु देने वाले पेड़ पौधों हरियाली को नष्ट किया जा रहा है। भौतिकता और अधुनिकता के नाम पर प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की जा रही है । इंसान की इसी जीवन शैली का प्राकृतिक गेसो के अनुपात को बिगाड़ने में इनका बहुत बड़ा योगदान है । जैव विविधता नष्ट हो रही है । इस सब के कारण मानो पृथ्वी पर जहर की एक परत बन रही हो ओजोन परत में छेद हो रहा है।  पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है जल रही है । पृथ्वी शायद इसका एहसास मानव जाति को हो गया होगा ।

पिछले दिनों कोरोना महामारी के दौर में जिस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पडा यह तो ईश्वर ही जानता है कि यह  महामारी प्राकृतिक आपदा है या मानव की दोषपूर्ण नीतियों का परिणाम है ।  कोविड 19  के दूसरे फेस में प्राणवायू ऑक्सीजन कि जिस प्रकार से आवश्यकता महसूस की गई इससे तो शायद मानव जाति को कुछ एहसास हो भी गया होगा कि ऑक्सीजन जैसी प्राणवायु  की कीमत इंसान के लिये क्या है  । 

अभी भी संभल जाए , उसी के कर्मों के कारण आज धरती पर का गैसीय वातावरण का संतुलन बिगड़ रहा है ,जहरीली गैसों का आवरण पृथ्वी पर दिनों दिन बनता जा रहा है , फिर भी वह प्राकृतिक संपदा ….पेड़ पौधों को अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए काट रहा है आज बहु उनके प्रति सजग नहीं है ।

अब भी समझ जाओ जीवन में प्राणवायु ऑक्सीजन का महत्व समझे और ऑक्सीजन की प्राकृतिक मशीन पेड़ है जो हमारे लिये ईश्वरीय वरदान है अपने जीवन में पेड़ लगाने की आदत को शामिल कर ले ताकि इस धरती को बचाया जा सके क्योंकि धरती है और  धरती पर इस गैसीय अनुपात बना रहेगा, धरती पर प्राणवायु का अस्तित्व रहेगा तो मानव जाति का  अस्तित्व  रहेगा ।

विश्व भर में 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है. इसे मनाने का मकसद है बस यही है कि लोग पृथ्वी के महत्‍व को समझें और पर्यावरण को बेहतर बनाए रखने के प्रति जागरूक हों.

कुछ अलग रूप में इस प्रकार मनाया जाये दिवस


वैसे तो ऐसे कई तरीके हैं जिससे हम अकेले और सामूहिक रूप से धरती को बचाने में योगदान दे सकते हैं। वैसे तो हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके संरक्षण के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। लेकिन, अपनी व्यस्तता में व्यस्त इंसान यदि विश्व पृथ्वी दिवस के दिन ही थोड़ा बहुत योगदान दे तो धरती के कर्ज को उतारा जा सकता है।  बड़ी बड़ी होटलों में जन्मदिन मनाने , उत्सव मनाने के बजाय अगर अपने जन्मदिन  और उस अवसर पर पेड़ लगाकर उस मनाया जाए  उसे यादगार बनाया जा सकता है ।

उसे अपनी आदत में शुमार किया जाए तो शायद हम भी अपना कुछ फर्ज पूरा कर सकें…….. अपनी आदतों में सुधार करें अपना फर्ज निभाएं । नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पीठ पर ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर घर से बाहर निकलना होगा ।

धरती ने हमे दिया सब कुछ ।वक़्त हैं हम भी तो देना सीखे ।।
पले बढ़े इस धरती पर हम सब……।अब हम फर्ज अपना निभाना तो सीखे ।।
बचाना है जीवन तो धरती को बचाना होगा ।पर्यावरण की शुद्धता में योगदान देना ही होगा ।।
नही मांगती धरती कोई धन और  दौलत ।बस एक पेड़ लगा कर फर्ज निभाना होगा ।।

4 thoughts on “विश्व पृथ्वी दिवस:कैसे चुकाये धरती मां का कर्ज”

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