अपने नाम को सार्थक करता शिक्षण संस्थान है उत्कर्ष

राजस्थान ही नहीं बल्कि देश में शिक्षा जगत में अपनी अलग ही पहचान रखने वाले उत्कर्ष कोचिंग क्लासेज और उसके सीईओ श्री निर्मल जी गहलोत किसी परिचय के मोहताज नहीं है बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में उनका समर्पण सामाजिक सरोकार से जुड़े हुए विषयों पर उनकी लगन और सकारात्मक सोच उनकी पहचान बन चुकी है पिछले दिनों फेसबुक पर उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपने 25 वर्षों का अनुभव शेयर किया मैं अपने आप को उनके विचारों को शेयर करने से अपने आप को नहीं रोक पाया ताकि उनका यह अनुभव हो उस हर विद्यार्थी उस हर बेरोजगार उस हर शिक्षक और सफलता के सपने सजाए बैठे हर युवा तक पहुंचे आइए जानते हैं उत्कर्ष शिक्षण संस्थान के सीईओ श्री निर्मल जी गहलोत की कलम से ही यह उनकी शिक्षा जगत को एक अनुपम देन होगी।

  • सफल और असफल शिक्षक की कहानी उत्कर्ष के सीईओ श्री निर्मल जी गहलोत की जुबानी ।

सफल शिक्षक

@ अपने अध्यापन काल व कोचिंग सेंटर संचालन के लगभग 25 वर्षों के अनुभव के आधार पर मैंने आज प्रयागराज से दिल्ली आते समय फुर्सत में सफल व असफल शिक्षकों के विषय में कुछ बिन्दु तैयार किये, मैंने सोचा कि ये बिन्दु केवल उत्कर्ष के शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु ‘उत्कर्ष’ तक सीमित नहीं रखकर आप सभी के साथ साझा करूं ताकि ‘उत्कर्ष’ के भावी,प्रभावी व संभावी टीचर्स के अलावा अन्य कोचिंग सेंटर के टीचर्स भी यह जान पाये कि प्रतियोगी परीक्षाओं के विद्यार्थियों को किस प्रकार के टीचर्स पसंद आते हैं व किस प्रकार के नहीं।आप सभी विद्यार्थी भी इस सूची को आगे बढ़ाते हुए अपने बिन्दुओं को जरूर साझा करें व ये बिन्दु कैसे लगे, मुझे अवश्य बतावें।

किस प्रकार के टीचर्स को उत्कर्ष में प्रतियोगी परीक्षाओं के विद्यार्थी बहुत पसंद करते हैं ? ऐसा वे टीचर्स क्या विशेष करते हैं जिनके कारण वे अन्य टीचर्स की अपेक्षा विद्यार्थियों में अत्यंत लोकप्रिय व सम्माननीय हो जाते हैं ? मतलब विद्यार्थी उनके दीवाने हो जाते हैं ?

  • सफलता के प्रमुख25 कारण निम्नलिखित है –
  • (1)वे ज्ञान व आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं, हमेशा अद्यतन (Update) रहते हैं।
  • (2) जो किसी बैच में अपनी पहली कक्षा में सिलेबस डिस्कस करते हुए अपने द्वारा पढ़ाये जाने वाले टॉपिक्स के बारे में बताते हुए उन्हें पढ़ाने में लगने वाले संभावित समय(घंटों) के बारे में बताते हैं।
  • (3) जो उदाहरण व उद्धरणों के माध्यम से कठिन विषय को भी सरल तरीके से समझाने का हुनर रखते हैं।
  • (4) विद्यार्थियों को पहले समझाते हैं व जो समझाया,जितना समझाया उसको अच्छे से विद्यार्थियों की नोटबुक में क्रमबद्ध तरीके से प्रोपर नोट करवाते हैं।ध्यान रहे कि किसी टीचर ने केवल समझाया परंतु लिखाया नहीं तो वह टीचर प्रतियोगी परीक्षाओं के विद्यार्थियों को थोड़ा कम पसंद आता है।
  • (5) अपने विषय से संबंधित सारगर्भित व त्रुटिरहित प्रिंटेड नोट्स विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाता है।
  • (6) जो पढ़ा रहे हैं उनसे संबंधित पिछली भर्ती परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्न व नवीन परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण प्रश्न विद्यार्थियों को प्रिंटेड उपलब्ध करवाकर उन्हें कक्षा में हल करवाता है।
  • (7) अच्छा टीचर जो स्वयं को आता है वह सब कुछ नहीं पढ़ाकर उन विद्यार्थियों की परीक्षा की आवश्यकता के अनुसार जो विद्यार्थियों के काम का है व उनके सिलेबस में है , उसे सटीक रूप से पढ़ाता है।
  • (8) जो कम समय में विद्यार्थियों को अधिक ज्ञान देकर संतुष्ट करता है।
  • (9) जो छोटी-मोटी बीमारी के कारण या व्यक्तिगत कार्यों के लिए फ़ालतू में छुट्टी नहीं लेते हैं तथा कक्षा में हमेशा समय पर पहुँचते हैं।ऐसे समय के पाबंद टीचर्स विद्यार्थियों में अलग छाप छोड़ते हैं।कुछ टीचर्स समय के इतने पाबंद होते हैं कि विद्यार्थी उनकी कक्षा प्रारंभ होने के आधार पर अपनी घड़ी मिलाकर सही कर सकते हैं।
  • (10) जो अपने पढ़ाये हुए पाठ्यक्रम में से परीक्षा के पैटर्न पर विद्यार्थियों का सप्ताह-दस दिन में एक टेस्ट जरूर लेते हैं व टेस्ट पेपर को कक्षा में हल भी कराते हैं।
  • (11) जो विद्यार्थियों द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर नाराज नहीं होते या उसे अपमानित नहीं करते हैं बल्कि डाउट क्लिअर क्लासेस लेकर उनके सभी डाउट्स को क्लिअर करते हैं।
  • (12) परीक्षा के पैटर्न के अनुसार पढ़ाते हैं, ऐसा नहीं कि कॉन्स्टेबल व आर.ए.एस में एक जैसा पढ़ा दिया,लिखा दिया।
  • (13) जो अपने विषय में नवाचार करते रहते हैं।चार्ट,नक्शे , टेबल,ग्राफ,चित्रों ,माइंड मैप इत्यादि की सहायता से पढ़ाते हैं।
  • (14) जो कक्षा में हिन्दी व अंग्रेज़ी माध्यम दोनों प्रकार के विद्यार्थियों का ध्यान रखते हैं व तकनीकी शब्दावलियों को अंग्रेज़ी में भी बताते रहते हैं।
  • (15) जो अपने विषय को रोचक तरीके से पढ़ा सके।विद्यार्थियों को पता ही नहीं चले कि कब उनका कालांश समाप्त हो गया, और बहुत बेसब्री के साथ उनकी अगली क्लास का इंतज़ार करे।
  • (16) जो कक्षा को स्वाभाविक रूप से अपने समझाने के तरीके व बेहतरीन कंटेंट द्वारा बांधे रखे।पूरी कक्षा कंट्रोल में रहे।
  • (17) जो विद्यार्थियों से कक्षा में पढ़ाते हुए कभी-कभी बीच में प्रश्न करते हुए फीडबैक लेकर पता करते रहें कि विद्यार्थियों को जो समझाया है वह उन्हें समझ में भी आ रहा है या नहीं।
  • (18) जो हर बैच में अपने विषय में कुछ नयापन लेकर आते हैं, निरन्तर स्वाध्याय करते रहते हैं, हर बैच में एक जैसा रटा रटाया नहीं पढ़ाते हैं।
  • (19) जो अपनी तरफ से कल्पना या अनुभव के आधार पर कोई भी तथ्य या ज्ञान विद्यार्थियों को नहीं देता हो बल्कि जो मानक पुस्तकों के ज्ञान के आधार पर अध्यापन कराता हो।
  • (20) जो विद्यार्थियों को कौनसी मानक पुस्तकें पढ़नी चाहिए उसके बारे में बताता हो तथा स्वयं कौनसी पुस्तकें पढ़कर आये यह भी बताता हो।
  • (21) जो हर परीक्षा के बाद विद्यार्थियों को मानक पुस्तकों के आधार पर विद्यार्थियों को सही व सटीक उत्तर समय पर उपलब्ध करवाता हो।
  • (22) जो सम्प्रेषण कौशल में निपुण हो , अच्छे भाषाई कौशल के साथ शब्दों पर स्वराघात/बलाघात के माध्यम से विषय को पढ़ाने में निपुण हो।
  • (23) जो अपने विषय को पढ़ाते समय हर टॉपिक को विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान से संबंधित करके सरल से कठिन के क्रम में पढ़ाते हैं।
  • (24) जो विद्यार्थियों से स्मार्ट तरीके से फीडबैक लेते रहते हैं व विद्यार्थियों के लेवल,रूचि व आवश्यकता के अनुसार अपनी टीचिंग स्टाइल में सकारात्मक बदलाव करके विद्यार्थियों का ज्ञानार्जन करते हैं।
  • (25) जो किसी प्रकार के नशे से दूर रहते हैं, अपने आचरण व व्यवहार द्वारा विद्यार्थियों को प्रेरित करते हैं, एरोगेंट नहीं होते हैं, सबसे मृदु व्यवहार करते हैं।
  • * असफल शिक्षक
  • कुछ टीचर्स से विद्यार्थी क्यो असंतुष्ट रहते हैं ? यहॉं तक कि उनका विरोध भी कर देते हैं तथा उनसे ज़बरदस्ती पढ़वायें तो अंततोगत्वा उन टीचर्स के खिलाफ विद्रोह कर देते हैं।मतलब एक टीचर के उत्कर्ष में असफल होने के प्रमुख कारण क्या है ?
  • असफलता के 25 प्रमुख कारण –
  • (1) जो समय के पाबंद नहीं रहते हैं अर्थात् कक्षा में देरी से पहुँचते हैं या छुट्टियाँ अधिक लेते हैं।
  • (2) जो कक्षा में टाईम पास अधिक करते हैं अर्थात् कंटेंट पर फोकस नहीं रहकर इधर-उधर की बातें करते हैं व विद्यार्थियों का समय ख़राब करते हैं।बार-बार अकारण विषयान्तर होने वाले टीचर्स को अच्छे विद्यार्थी कम पसंद करते हैं।
  • (3) जो कक्षा में ऐसे उदाहरण देते हैं जिनके कारण कुछ या सभी विद्यार्थी आहत होते हैं।( अर्थात् पढ़ाते समय या उदाहरण देते समय लिंग/जाति/धर्म/क्षेत्र विशेष का मजाक उड़ा देना या उन पर अनुचित टिप्पणी कर देना।)
  • (4) जो अपने विषय को या तो हद से ज़्यादा घिसते हैं या बिल्कुल शॉर्टकट में पढ़ा देते हैं।बैलेंस बनकार नहीं चलते हैं।
  • जो विद्यार्थियों पर ग़ुस्सा करते हैं, या किसी को टारगेट बनाकर उनका मजाक उड़ाते हैं या उन्हें सम्मानपूर्वक उद्बोधन नहीं करते हैं।
  • (5) जो विद्यार्थियों पर ग़ुस्सा करते हैं, या किसी को टारगेट बनाकर उनका मजाक उड़ाते हैं या उन्हें सम्मानपूर्वक उद्बोधन नहीं करते हैं।
  • (6) जो हर समय स्व प्रशंसा करता हो, अपने जीवन की ही कहानियाँ सुनाता रहता हो व विद्यार्थियों का समय ख़राब करता हो।
  • (7) जो किसी अन्य टीचर्स या कोचिंग सेंटर की कक्षा में आलोचना या बुराई करता हो।
  • (8) जिनमें आत्मविश्वास कम होता है व पढ़ाते समय घबरा जाते हैं ऐसे टीचर्स को भी विद्यार्थी उत्कर्ष में पसंद नहीं करते हैं।
  • (9) कई टीचर्स को विद्यार्थी कुछ बैच में पसंद करते हैं तो उनको बड़ा अभिमान हो जाता है, वे स्वयं को दुनियाँ का बेस्ट टीचर मानने लग जाते हैं।किसी टीचर ने अपने को बेस्ट मान लिया तो वह अब आगे कुछ सीखेगा ही नहीं क्यों कि वह तो बेस्ट हो गया। बस यहीं से उसका पतन प्रारंभ हो जाता है।एक अच्छा अध्यापक जीवन पर अच्छा विद्यार्थी होना बहुत ज़रूरी है।
  • (10) केवल पढ़ाते ही रहें और विषय के प्रति मोटिवेट नहीं करें तो ऐसे टीचर्स से भी विद्यार्थी बोर हो जाते हैं व उन्हें कम पसंद करते हैं और हद से ज़्यादा मोटिवेशन ही किया व पढ़ाया कुछ नहीं, तो भी विद्यार्थी नाराज हो जाते हैं।
  • (11) जिनकी पढ़ाने व कोर्स कराने की गति हद से ज़्यादा कम या बहुत अधिक हो।
  • (12) जिन्होंने कक्षा में गलत तथ्य बता दिये या बार-बार गल्तियाँ करें ऐसे टीचर्स को विद्यार्थी बिल्कुल पसंद नहीं करते हैं।
  • (13) प्रसंगानुकूल उदाहरण व उद्धरण नहीं देकर अत्यधिक सरल (जो उनके लेवल के बिल्कुल भी नहीं हो) या अत्यधिक कठिन (जो उनके लेवल से बहुत अधिक हो/क्लिष्ट हो) उदाहरण देकर पढ़ाने वाले टीचर्स को विद्यार्थी पसंद नहीं करते हैं।
  • (14) बहुत अच्छा पढ़ाने वाले टीचर्स की भी क्लास में यदि यह बात विद्यार्थियों को पता चल जाती है कि ये गुरूजी तो आज ऐसे ही उठकर आ गये हैं व बिल्कुल भी अपेडेट नहीं है,स्वाध्याय नहीं करते हैं, ऐसे टीचर्स विद्यार्थियों की नजरों में तुरंत गिर जाते हैं।
  • (15) किसी टीचर ने किसी बैच में उनके कोर्स का कोई टॉपिक पढ़ाया व घर जाकर विद्यार्थी उसी कोर्स के प्रिवियस ईयर के प्रश्न पत्र में से उसी टॉपिक से संबंधित प्रश्नों को हल नहीं कर सके, अर्थात् टीचर ने टॉपिक पढ़ा दिया परंतु उसमें वे प्रश्न कवर नहीं हुए जो प्रिवियस ईयर्स में आ चुके हैं,तो ऐसे टीचर्स को विद्यार्थी नापसंद करते हैं तथा सोचता है कि इन टीचर के पढ़ाये हुए में से यदि हम प्रिवियस ईयर का पेपर भी सॉल्व नहीं पा रहे हैं तो नये प्रश्न आयेगा तो क्या होगा ?
  • (16) विद्यार्थी अन्य शिक्षकों से अपने टीचर की तुलना भी करता है, कोई टीचर बेहतर होगा परंतु वह उन्हीं विषय के अन्य टीचर्स की तुलना में कितना अच्छा समझाते हैं, अच्छा कंटेंट देते हैं ये भी मायने रखता है अर्थात् तुलनात्मक रूप से कोई टीचर कमजोर है तो भी विद्यार्थी उन्हें फिर कम पसंद करते हैं।
  • (17) जिनकी लिखावट समझ में नहीं आवे, बोर्ड पर लिखते समय व उच्चारण करते समय बार-बार व्याकरणिक त्रुटियाँ करे
  • (18) अगले दिन कौनसा टॉपिक पढ़ायेंगे यह नहीं बताते हैं , न ही ये बताते हैं कि कल जो टॉपिक पढ़ाउंगा वह अमुक पुस्तक में से पढ़कर आवें।
  • (19) जो शारीरिक रूप से फिट नहीं रहते हैं, ऊर्जावान नहीं रहते हैं,हमेशा प्रफुल्लित नहीं रहते हैं, ऐसे टीचर्स भी विद्यार्थियों पर प्रभाव नहीं छोड़ पाते हैं।
  • (20) जो महत्वपूर्ण टॉपिक्स को शॉर्ट में पढ़ा देते हैं व अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण टॉपिक्स पर हद से ज़्यादा समय लगा देते हैं।
  • (21) जो किसी बैच की अपने प्रारंभ की कक्षा में आत्मविश्वास से परिपूर्ण होकर संक्षिप्त परिचय कराये बिना कक्षा ही प्रारंभ कर देते हैं।
  • (22) जिन्हें अपने विषय में अन्य कोचिंग सेंटरों के टीचर्स क्या पढ़ाते हैं, कितने समय में पढ़ाते हैं , क्या लिखाते हैं – इसका ज्ञान ही नहीं होता है।
  • (23 ) ऐसे टीचर्स जो स्वयं DPP (Daily Practice Paper) नहीं बनाकर कंटेंट राईटर्स के भरोसे ही पूरा छोड़ देते हैं, चैक भी नहीं करते व कक्षा में हल नहीं कराते है तथा DPP में गल्तियाँ होने पर केवल कंटेंट राईटर या टाईपिस्ट को ही दोष देते हैं,जब कि कई अच्छे शिक्षक स्वयं मेहनत करके अपनी DPP तैयार करते हैं व विद्यार्थियों को हल करवाते हैं।
  • (24) कई बार किसी टीचर ने जो पढ़ाया नहीं यदि उसमें से उस प्रतियोगी परीक्षा में कम प्रश्न आते हैं तो भी विद्यार्थी उन टीचर्स से असंतुष्ट हो जाते हैं।
  • (25) जो टीचर्स डिजिटल बोर्ड का अच्छा उपयोग नहीं करते हैं, हल्का रंगे काम में लेते हैं जो बोर्ड पर साफ दिखता भी नहीं है।कठिन शब्दों को बोर्ड पर नहीं लिखते हैं।

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