राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे भारत में राजपूत का इतिहास गौरवपूर्ण इतिहास रहा है जिन्होंने अपने त्याग, तपस्या और बलिदान से देश का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा है। आजादी के पश्चात जब देश का एकीकरण हो रहा था तब भी राजपूत का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है।एकीकरण के इसी चरण में मरू प्रदेश राजस्थान का एकीकरण भी हुआ। सन् 1956 ई. में राजस्थान का एकीकरण पूर्ण हुआ । इस एकीकरण के परिणामस्वरूप 19 रियासतों का एकीकरण होने के बाद राजस्थान राज्य बना(नवंबर 1956) । इन 19 रियासतों में 16 रियासतें राजपूतों की, 2 जाटों की और एक मुस्लिम रियासत थी।
किस वंश की कितनी रियासते
गुहिलो की रियासते: एकीकरण के दौरान राजस्थान में गुहिल वंशी राजपूतों की 5 रियासतें जैसे: मेवाड़, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ व शाहपुरा थीं।
राठौड़ की रियासते: राजपूतों में ही गुहिल वंश के अतिरिक्त राठौड़ राजपूतों की 3 रियासतें मारवाड़, बीकानेर व किशनगढ़ थीं।
चौहानो की रियासते: राजस्थान में चौहानों को भी बड़ा गौरवपूर्ण इतिहास रहा है चौहान राजपूतों की 3 रियासतों में कोटा और बूंदी हाड़ा चौहानों की रियासतें थीं और सिरोही देवड़ा चौहानों की रियासत थी।
यदुवंशी जादोन राजपूतों :यदुवंशी जादोन राजपूतों की रियासत करौली व यदुवंशी भाटी राजपूतों की रियासत जैसलमेर थी।
कछवाहा राजपूत: कछवाहा राजपूतों की रियासत जयपुर व अलवर थी।
झाला राजपूत रियासत: राजस्थान में झाला राजपूतों की रियासत झालावाड़ थी।
जाटों की रियासते:जाटों की 2 रियासत भरतपुर व धौलपुर थी।
मुस्लिम रियासत:एकमात्र मुस्लिम रियासत टोंक थी। हालांकि टोंक पर लंबे समय तक राजपूतों का राज रहा, लेकिन फिर पिंडारियों की लूटमार को देखते हुए अंग्रेजों ने अमीर खां पिंडारी को टोंक रियासत का मालिक बना दिया।
ठिकाने: 19 रियासतों के अलावा राजपूतों के 3 ठिकाने लावा, कुशलगढ़ और नीमराना भी एकीकरण में शामिल हुए।
अजमेर मेरवाड़ा राजस्थान के एकीकरण के अंतिम चरण (नवंबर 1956) में शामिल हुआ था, इससे पहले इसकी अपनी एक धारा सभा हुआ करती थी।