रविंद्र सिंह भाटी : राजस्थान की राजनीति में एक 26 साल के युवा नेता की खूब चर्चा हो रही है। युवा वर्ग हो, महिलाएं हो या बुजुर्ग हर किसी की चर्चा में इस युवा की चर्चा है। आखिर कौन है यह युवा.. तो आपको बता दे की उसका नाम है रविंद्र सिंह भाटी जो पश्चिमी राजस्थान का निवासी है।
रविन्द्र सिंह भाटी एक उभरता हुआ युवा नेता है जिन्होंने जनता के बीच अपनी अलग जगह बना कर न केवल राजस्थान बल्कि भारतीय राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनाई हैं। उन्होंने अपनी कार्य प्रणाली, व्यवहार, नेतृत्व और राजस्थानी भाषा में संबोधन से अपनी नई पहचान बनाई है।
रविंद्र का जन्म और परिवार :
रविन्द्र सिंह भाटी का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक छोटे से दुदोडा/दुधोदा गांव में 30 जनवरी 1998 को एक राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम ठाकुर शैतान सिंह भाटी है जो शारीरिक शिक्षक है और माता का नाम अशोक कंवर है जो मूलतः जालोर से है।भाई:रणवीर सिंह भाटी
स्कूल और कॉलेज शिक्षा
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा(8 वी तक) मयूर नोबल स्कूल बाड़मेर से पूरी की तथा 9 वी आर्यवीर स्कूल बाड़मेर से तथा 10 वी से 12 वी तक पढ़ाई शैखावाटी स्कूल लोसल ( सीकर) से की ।
स्नातक की पढ़ाई इन्होंने मोहन लाल सुखाडिया विश्विद्यालय उदयपुर से की और बाद जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से 2019 से 2022 में इन्होंने विधि स्नातक(एलएलबी) की पढ़ाई पूरी की ।
ध्यातव्य: रविंद्र सिंह राजस्थानी भाषा में पोस्ट ग्रेजुएट किया है।
विवाह : रविंद्र सिंह भाटी का विवाह 24 सितंबर 2019 को धर्मेस्टा कंवर(जालोर) से हुआ, इनके दो पुत्र देवेंद्र सिंह भाटी और देवराज सिंह भाटी है ।
छात्र नेता के रूप में रविंद्र सिंह भाटी
विधि स्नातक के दौरान इन्होंने जयनारायण विश्वविद्यालय जोधपुर से 2019 में अध्यक्ष के चुनाव में एबीवीपी से टिकिट की मांग की पर इस मांग को नकार दिया । इन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोक दी और छात्र अध्यक्ष के रूप में चुनाव लडा और जीत हासिल की। निर्दलीय के रूप में चुनाव जीत कर इन्होंने 57 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा और यही से ही इनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत होती हैं।
विश्वविद्यालय की जमीन को बचाया :
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर की करीब 40 एकड़ जमीन जो जोधपुर विकास प्राधिकरण को बेचने का दबाव विश्वविद्यालय पर डाला गया तब छात्र नेता रविंद्र सिंह भाटी ने इसका डटकर विरोध किया और न केवल विरोध किया बल्कि इन्होंने छात्र हित को देखते हुए धरना दिया,सत्याग्रह आंदोलन किया और इनके प्रयासों के परिणामस्वरुप ही विश्वविद्यालय की यह जमीन जोधपुर विकास प्राधिकरण के नाम होने से बच गई । इस जीत से युवा वर्ग में इन्होंने मुकाम हासिल किया।
फीस वृद्धि का किया विरोध और हुए बर्खास्त:
जब पूरा देश कोरोना महामारी से त्रस्त था उस समय विश्वविद्यालय द्वारा फीस वृद्धि की गई । विश्वविद्यालय के इस निर्णय से छात्र हित को देखते हुए इन्होंने इस निर्णय का विरोध किया, विश्विद्यालय प्रशासन से उनका टकराव हुआ और इस विरोध ने जल्द हो आंदोलन का रूप ले लिया। इस कारण इनको गिरफ्तार किया और इनको बर्खास्त कर दिया। इस संघर्ष से उन्होंने अपने नेतृत्व कौशल को साबित किया और जनता के बीच अपनी लोकप्रियता को बढ़ाया।
रविंद्र सिंह भाटी का सामाजिक सरोकार
रविंद्र सिंह भाटी ने न केवल छात्र नेता के रुप में अपनी पहचान बनाई बल्कि सामाजिक सरोकार का कार्य कर समाज में अपनी पहचान बनाई। जून जुलाई 2022 में जब गोवंश को लंपी रोग ने अपने चपेटे में ले लिया था तब इन्होंने आगे बढ़कर गोवंश की सेवा की ओर करीब 20 हजार गायों के टीका लगवाकर उनकी जान बचा कर पशुपालकों के दिलो में जगह बना ली।
युवा दिवस पर भरी हुंकार:
12 जनवरी 2023 को युवा दिवस, स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर पर इन्होंने बाड़मेर जिले के शिव उपखंड स्तर पर ‘ रन फॉर रेगिस्तान’ मैराथन दौड़ रखी जो शिव से गडरा रोड तक थी, जिसमे करीब 7000 हजार युवा शामिल हुए थे। इसके अतिरिक्त उन्होंने जन संवाद यात्रा के माध्यम से भी की और युवाओं कें प्रमुख मुद्दों को उठा कर युवाओं के दिलो में जगह बना ली।
सांस्कृतिक कार्यक्रम से टटोली नब्ज :
रविंद्र सिंह भाटी ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से भी लोगों से जुड़ने का प्रयास किया और बाड़मेर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें करीब 40,000 लोग शामिल हुए। सबसे बड़ी बात थी कि इस कार्यक्रम को उन्होंने राजनेताओं से दूर रखा और किसी भी नेता को इसमें नहीं बुलाया।
विधायक बन कर पेश की मिशाल:
दिसंबर 2023 में 16 वी राजस्थान विधनसभा के चुनाव में रविंद्र सिंह भाटी ने शिव विधान सभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी से टिकट की मांग की लेकिन पार्टी ने उनको नकार दिया और स्वरूप सिंह को टिकिट दे दिया। उन्होंने कुछ समय पहले ही अक्टूबर 2023 में ही भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी।
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भरा पर्चा:
इसके उपरांत भी शिव विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरकर हुंकार भरी और 4790 मतों से जीत हासिल की। यह जीत पार्टियों के लिए एक सबक है की जीत के लिए नेतृत्व किसी पार्टी के टिकिट का मोहताज नहीं है केवल जनता के विश्वास ,प्यार और समर्थन की जरूरत है।
ध्यातव्य: रविंद्र सिंह भाटी 16 वी विधान सभा में सबसे कम उम्र (मात्र 26 वर्ष) का विधायक है।
ध्यातव्य: 26 वर्षीय युवा विधायक ने विधान सभा में सदस्यता अपनी मायड़ भाषा/राजस्थानी में ही शपथ ग्रहण कर पूरे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था।
लोकसभा की राह पर रविंद्र सिंह :
रविंद्र सिंह भाटी ने एक बार फिर हुंकार भरी और लोक सभा चुनाव 2024 में जैसलमेर,बाड़मेर लोक सभा क्षेत्र से नामांकन पत्र भर कर चुनावी माहौल को गरम कर दिया और पार्टियों को सोचने को मजबूर कर दिया। इनकी चुनावी रैली में लाखो लोगो की उपस्थिति ने राजस्थान की राजनीति में ही नहीं पार्टियों के केंद्रीय नेतृत्व को भी सोचने को मजबूर कर दिया।