बाल अधिकार संरक्षण आयोग

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक महिला के द्वारा एक बच्चे के साथ मारपीट और यातना देने का वीडियो वायरल हुआ जो बड़ा मार्मिक और दिल दहला देने वाला वीडियो था । इस वीडियो की सच्चाई क्या है,और यह कहां का था, यह एक अलग विषय हो सकता है लेकिन आए दिन इस प्रकार के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहते हैं। विभिन्न समाचार पत्रों में आए दिन बच्चों के साथ घर हो या बाहर दुर्व्यवहार, मारपीट और यातना की घटनाये और ऐसी ही खबरें पढ़ने और सुनने को मिलती है। बच्चे तुम आशित होते हैं।   बच्चे किसी भी देश और समाज के भविष्य होते हैं। बच्चों के अधिकार और उनके संरक्षण के लिए भारतीय संविधान और कानून में अनेक प्रावधान किए गए हैं और समय-समय पर बाल संरक्षण के लिए प्रभावी कानूनी सुधार किये जाते रहे हैं। 

  • बाल अधिकार क्या हैं?


बच्चों (0 से 18 वर्ष आयु) की देखभाल और उनकी सुरक्षा के रूप में मिलने वाले मानवाधिकारों, व्यक्तिगत अधिकारों व उनके सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक अधिकारों को बाल अधिकार कहा जाता है।[

  • बाल संरक्षण क्या है? 

बच्चों को मानवीय अधिकारों के साथ-साथ उनके सर्वांगीण विकास के लिए जिन अधिकारों की प्राथमिक आवश्यकता होती है या यूं माने कि बच्चों को मानव और बच्चे होने के कारण जो अधिकार आवश्यक होते हैं वे बाल अधिकार की श्रेणी में आते हैं और बच्चों को किसी भी प्रकार के खतरे व जोखिम की स्थिति में सुरक्षा का अधिकार है। इन बच्चों के मानवाधिकारो और बाल अधिकारों के संरक्षण को ही बाल संरक्षण कहा जाता है। भारतीय संविधान और कानून व्यवस्था हमेशा  से ही बच्चों के अधिकारों, समानता और उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध रहा है।

ध्यातव्य

भारत के साथ साथ पूरे विश्व में बच्चो की सुरक्षा व बाल अधिकारों के संरक्षण के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से प्रति वर्ष 20 नवंबर को बाल अधिकार दिवस मनाया जाता है।

  • बाल संरक्षण और मूल अधिकार

भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 23 और 24 में शोषण के विरुद्ध अधिकार जो कि एक मूल अधिकार की की श्रेणी में आता है का प्रावधान किया है । 

अनुच्छेद 23 में मानव के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार चाहे वह सामाजिक, आर्थिक रूप से हो एवं उससे जबरदस्ती मजदूरी करवाना , बलात श्रम, बंधुआ मजदूरी सागड़ी प्रथा ,हाली प्रथा ,बेगार प्रथा का पूर्णतया निश्चित किया गया है ऐसा करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है । 
इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 24 का संबंध बच्चों से संबंधित है जिसमें किसी भी प्रकार से बच्चों के शोषण का निषेध किया गया है । तात्पर्य यह है कि 6 से 14 वर्ष तक के आयु के बच्चों को किसी भी जोखिम भरे कार्यों में नहीं लगाया जा सकता । 

अनुच्छेद 39(घ): आर्थिक जरूरतों की वजह से जबरन ऐसे कामों में भेजना जो बच्चों की आयु या समता के उपयुक्त नहीं है, से सुरक्षा।

अनुच्छेद 39(च): बालकों को स्वतंत्र और गरिमामय माहौल में स्वस्थ विकास के अवसर और सुविधाएँ मुहैया कराना और शोषण से बचाना।
बच्चों को वयस्क पुरुष और महिला के बराबर समान अधिकार भी प्राप्त है।

अनुच्छेद 14 के तहत समानता का अधिकार, अनुच्छेद 15 के तहत भेदभाव के विरुद्ध अधिकार, अनुच्छेद 21 के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 46 के तहत जबरन बंधुआ मजदूरी और सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से कमजोर तबकों के बचाव का अधिकार आदि शामिल है।

10 अक्टूबर 2006 से बाल श्रम को पूर्णतया निषेध कर दिया गया है । बालक को 0 से 18 वर्ष के आयु वर्ग में शामिल व्यक्ति के रूप में पारिभाषित किया गया है। 

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना संसद के एक अधिनियम (दिसम्बर 2005) बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के तहत मार्च 2007 में की गई थी। केन्द्रीय सरकार अधिनियम के अंतर्गत निर्दिष्ट किए गए कृत्यों का निष्पादन करने के लिए एक निकाय का गठन करेगी जिसे राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग(एन. सी. पी. सी. आर.) के नाम से जाना जाएगा। यह राष्ट्रीय आयोग एक अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों से मिलकर गठित होगा।

अध्यक्ष जिन्होंने बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए असाधारण कार्य किया है साथ ही 6 सदस्य (जिसमें से कम से कम दो महिलाएं होगी)  जिनकी नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिष्ठित, सक्षम, ईमानदार और इन क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त तथा अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से की जाएगी ।

धायत्वराष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो  है । इस आयोग का प्रथम अध्यक्ष  शांता सिन्‍हा (2007-2010) थी।

  • राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग 

राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग( RSCPCR – Rajasthan State Commission For Protection Of Child Right )

यह एक स्वतंत्र राज्य स्तरीय वैधानिक प्राधिकरण है, जिसका गठन राज्य सरकार द्वारा बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 17 के अन्तर्गत दिनांक 23 फरवरी, 2010 में किया गया है। आयोग में 01 अध्यक्ष एवं 06 सदस्य (जिनमें 02 महिला होना आवश्यक है) की नियुक्ति का प्रावधान किया गया हैं।

जोधपुर निवासी संगीता बेनीवाल ( Sangeeta Beniwal ) को राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ( RSCPCR – Rajasthan State Commission For Protection Of Child Right ) का वर्तमान अध्यक्ष है। 

  • क्या कार्य करता है बाल संरक्षण आयोग

बाल संरक्षण आयोग का मुख्य उद्देश्य बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए कानूनी सुरक्षा उपाय सुझाना और उपाय सुझाना। बाल अधिकारों के उल्लंघन और कार्यवाही की शुरूआत में पूछताछ। आतंकवाद, हिंसा, आपदा, एचआईवी / एड्स, तस्करी, माल-उपचार, शोषण, पोर्नोग्राफी और वेश्यावृत्ति से प्रभावित बच्चों के अधिकारों की जांच, उपचारात्मक उपायों की सलाह देते हैं।  अतः यह एक सलाहकारी आयोग है यह स्वयं सजा नही दे सकता ।

ध्यातव्य

बच्चों के अधिकारों का किसी भी प्रकार से हनन होना, बच्चों का शोषण किया जाना, उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाना, उनके साथ मारपीट किया जाना,  जैसे कार्यों से उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 जारी किया हुआ है जिस पर टॉल फ्री कॉल किया जा सकता है । बच्चों की सुरक्षा और उन्हें सहायता के लिए तुरंत सहायता पहुंचाई जाने का प्रावधान है ।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page