विकास मतलब परिवर्तन , लेकिन हर परिवर्तन विकास नही होता । वह परिवर्तन जो सकारात्मकता की ओर ले जाता है या वह परिवर्तन जो आगे की ओर ले जाता है विकास की श्रेणी में आता है और किसी भी परिवर्तन में उस क्षेत्र के भौतिक ,आध्यात्मिक, आर्थिक, प्राकृतिक और मानवीय संसाधन अहम भूमिका निभाते हैं l गांव और समाज के वरिष्ठजनों के तजुर्बे और युवा पीढ़ी की ऊर्जावान सोच को मिलाकर , संगठित होकर प्रयास किया जाए तो गांव की दशा और दिशा परिवर्तित होने में एक अच्छी पहल हो सकती हैं और इसके लिए गांव के विकास को समर्पित और योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने के लिए एक संगठन की आवश्यकता है । “बघेरा विकास परिषद ” ऐसा संगठन हो सकता है बस आवश्यकता है तो पहल करने की ।

ऐतिहासिक आध्यात्मिक और पौराणिक हमारा कस्बा हर प्रकार के संसाधनों चाहे वह आध्यात्मिक संसाधनों ,ऐतिहासिक संसाधनों ,पौराणिक संसाधन हो, प्राकृतिक संसाधन हो चाहे मानवीय संसाधन हर प्रकार से सम्पन्न है ऐतिहासिक इमारतें ऐतिहासिक कस्बा विश्व प्रसिद्ध श्री महा वराह मंदिर, ढोला मारु का तोरण द्वार, खुदाई में प्राप्त प्राचीन अवशेष , समाज में शिक्षित वर्ग की बहुलता , क्षेत्र की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत होना और अब कस्बे में ग्रेनाइट की खदानों से ग्रेनाइट का खनन और निर्यात होना। ये सब किसी गाँव कस्बे के विकास में अहम भूमिका निभाते है बस आवश्यकता है तो संगठित होकर सही दिशा में प्रयास करने की क्यों ना हम एक ऐसी पहल करें ” बघेरा विकास परिषद ” के माध्यम से गांव की दशा और दिशा ही परिवर्तित हो जाए और यह विकास यह परिवर्तन निश्चित रूप से गांव के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा, युवा पीढ़ी के लिए शिक्षा के अच्छे अवसर प्राप्त होंगे ।
गांव के विकास की बात करने वाले ,गांव के ऐतिहासिक ,आध्यात्मिक, सांस्कृतिक , शैक्षणिक सभी प्रकार का विकास चाहने वाले मेरी इस बात पर गौर जरूर करना । गांव के वरिष्ठ जन जो हमारी अमूल्य धरोहर है और उनके मार्गदर्शन की समाज को आवश्यकता भी है तथा युवा पीढ़ी अगर मेरी इस बात से सहमत हैं तो प्रयास करने की और हमें कदम बढ़ाना चाहिए बस आवश्यकता है तो प्रयास करने की बस आवश्यकता है तो “बघेरा विकास परिषद ” की ।
कवि की ये पंक्तियां आज सार्थक है
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,मेरी कोशिश है कि यह तस्वीर बदलनी चाहिए मेरे सीने में ना सही तेरे सीने में सही हो लेकिन कहीं भी मसाल जलनी चाहिए।