तुझ बिन दहके तन प्राण निकस रहे पिया ,
सूनी सेज शूल चुभे बिरहनी मुरझाई पिया!

मल्हार बन उमड़ आवो मोरे परदेसी पिया ,
मुरझाई दूब बून्द गिरे हरियायी जाती पिया!

तन सूखा कंकाल बिन प्राण बिजूका पिया,
चातक सी प्यासी स्वाति बून्द बरसो पिया!

रसाल तन लिपट वल्लरी मधुपान करे पिया,
भ्रमर नव कलियां पराग पान मद होश पिया!

बारिश बूंदों से तपती धरा सोंधी महके पिया,
बागां कोयल गीत मधुर मिलन कूजती पिया!

तपती धरती पर बारिश बून्द से बरसो पिया,
आस बिरवा एक रोपो तन मन सिंचु पिया!

अगले बसन्त में चन्द्र कला सा विकसे पिया,
घर आँगन में तेरे रूप रंग सा किलके पिया!

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