भारतीय संसदीय शासन व्यवस्था में शासन का तीसरा संवैधानिक रूप पंचायती राज संस्थाओं में ग्राम पंचायत के मुखिया सरपंच,उपसरपंच तथा सदस्यों के कार्यकाल, त्यागपत्र और समय से पूर्व हटाए जाने तथा उनके निलंबन के संबंध में 73 वें संविधान संशोधन 1992 के द्वारा पूरे देश में समान प्रकार के प्रावधान है,फिर भी पंचायत राज राज्य सूची का विषय होने के कारण कुछ मामलों में जैसे योग्यताएं, हटाए जाने की प्रक्रिया के संबंध में कुछ भिन्नताएं हो सकती है।
आइए इस आलेख के माध्यम से ग्राम पंचायत के मुखिया सरपंच,उप सरपंच और वार्ड पंचों के कार्यकाल, त्यागपत्र, सरकार द्वारा निलंबन तथा उन्हें हटाए जाने की प्रक्रिया के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी को जानते हैं।

निश्चित रूप से यह आलेख न केवल राजनीति विज्ञान विषय के विद्यार्थियों बल्कि प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले प्रतिभागियों और आमजन जो पंचायत राज संस्थाओं में भागीदारी रखते है,रुचि रखते हैं उन सबके लिए जरूर उपयोगी और सार्थक साबित होंगा।
- सरपंच,उपसरपंच,वार्ड पंच का कार्यकाल
73 वे संविधान संशोधन 1992 के तहत संविधान के अनुच्छेद 243(E) के तहत ग्रामीण पंचायत राज संस्थाओं का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। किसी भी कारणवश 5 वर्ष पूर्व सरपंच उप सरपंच और वार्ड पंच का पद रिक्त होता है संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत 6 माह के अंदर अंदर चुनाव करवाना आवश्यक है।
ज्ञात हो कि 73 वे संविधान संशोधन 1992 के द्वारा ग्रामीण पंचायत राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर दिया गया था।
ध्यान रहे 5 वर्ष से पूर्व भी सरपंच,उप सरपंच और वार्ड पंच का कार्यकाल त्यागपत्र देने पर, मृत्यु हो जाने पर या उन्हें अविश्वास प्रस्ताव की एक निर्धारित प्रक्रिया द्वारा हटाए जाने और निलंबित होने पर पद रिक्त हो सकता है।
73 वा संविधान संशोधन 1992 के द्वारा संविधान में 11वीं अनुसूची शामिल की गई थी,तथा संविधान के अनुच्छेद 243 में भी संशोधन किया गया था।
- सरपंच उप सरपंच व वार्ड पंच का त्यागपत्र
ग्राम पंचायत के मुखिया सरपंच व उप सरपंच तथा वार्ड पंच कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व अपने पद त्यागना चाहते हैं तो वह अपना त्यागपत्र पंचायत समिति स्तर पर खंड विकास अधिकारी (BDO) को देता है। जिसकी रिपोर्ट वह अपने उच्च अधिकारियों तक पहुंचा देता है ताकि अग्रिम कार्यवाही की जा सके।
ध्यातव्य:नगरीय पंचायत राज संस्थाओं के मुखिया को हटाए जाने के लिए राइट टू रिकॉल का प्रावधान किया गया था। हालांकि वर्तमान में इस प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। नगरपालिका स्तर पर इस अधिकार का सबसे पहली बार प्रयोग बारां जिले की मांगरोल नगर पालिका में किया गया था।
- सरपंच को समय से पूर्व हटाए जाने की प्रक्रिया
पंचायतराज संस्थाओ में ग्राम पंचायत के मुखिया सरपंच को कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व अविश्वास प्रस्ताव द्वारा भी हटाया जा सकता है और इस अविश्वास प्रस्ताव की एक निश्चित प्रक्रिया अपनाई जाती है इस प्रक्रिया में अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाने पर उस का पद रिक्त माना जाता है।
- अविश्वास प्रस्ताव के पारित होने के लिए इस बहुमत की जरूरत :
ग्राम पंचायत के सदस्य/वार्ड पंच अपने हस्ताक्षर से यह प्रस्ताव ला सकते हैं लेकिन इसके लिए प्रस्ताव का ग्राम पंचायत के कुल सदस्यों के 1/3 सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव ही लाया जा सकता है और इसे पारित होने के लिए 2/3 बहुमत की आवश्यकता होती है। वर्तमान (2007 से) में दो तिहाई(2/3) की जगह तीन चौथाई(3/4) बहुमत की आवश्यकता का प्रावधान कर दिया गया।
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान मतदान के लिए जिला निर्वाचन अधिकारी जिला कलेक्टर द्वारा बुलाई गई बैठक को स्थगित नहीं किया जा सकता।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि ऐसा प्रस्ताव/प्रार्थना पत्र जिला परिषद के कार्यकारी अधिकारी/ जिला कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है।
- कब नहीं लाया जा सकता अविश्वास प्रस्ताव
ऐसा अविश्वास प्रस्ताव अगर विफल हो जाता है तो उस दिन से 1 वर्ष तक दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता ।
इसकेअतिरिक्त चुनाव होने और पद गृहण करने के प्रारंभिक 2 वर्ष में तथा कार्यकाल के शेष 6 माह में इस प्रकार का अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।
ध्यातव्य– अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ न्यायालय में अपील की जा सकती है
- सरकार द्वारा निलंबन किया जा सकता है।
ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच,उपसरपंच और सदस्यों को हटाए जाने की के प्रावधान के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा उन्हें निलंबित किए जाने का प्रावधान भी होता है। हालांकि अलग-अलग राज्यों में इस प्रावधान में कुछ भिन्नता हो सकती है लेकिन जहां तक राजस्थान की बात है तो राजस्थान पंचायत राज अधिनियम 1994 की धारा 38 के तहत कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार पंचायती राज संस्था के किसी सरपंच/उपसरपंच ,प्रधान/उपप्रधान, जिला प्रमुख/उप जिला प्रमुख को सुनवाई का मौका देते हुए पद से हटाया या निलंबित किया जा सकता है ।
- निलंबित करने के यह हो सकते है आधार :
पद का दुरुपयोग, भ्रष्टाचार, कूट रचित दस्तावेजों से चुनाव लड़ना,पद का दुरुपयोग, अपना कर्तव्य वहन न करना, देशद्रोह आदि कई और कारणों से निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए निलंबित किया जा सकता है । इस बारे अधिनियम की धारा 38 में विस्तृत व्याख्या की गई है । निलंबन के खिलाफ न्यायालय में अपील की जा सकती है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि किसी भी माध्यम से अगर अध्यक्ष/ मुखिया,उप मुखिया का पद रिक्त हो गया है चाहे उसने त्यागपत्र दिया हो, चाहे उसे अविश्वास प्रस्ताव से हटाया गया हो या फिर उसे पद से बर्खास्त कर दिया हो, पद से हटाए जाने के पश्चात अगर वह अपने कब्जे में रिकॉर्ड व संपत्ति का चार्ज नही देने का दोषी पाया जाता है तो उसे एक वर्ष तक का कारावास या नियमानुसार उसे आर्थिक दंड से दंडित किया जा सकता है ।