संविधान के भाग 6 में अनुच्छेद 153 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा,लेकिन 7 वें संविधान संशोधन 1956 के तहत एक व्यक्ति को एक या दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल बनाया जा सकता है, ऐसा प्रावधान कर दिया गया ।
स्वतंत्र भारत का संविधान भले ही 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ हो लेकिन राज्यपाल का पद सविधान लागू होने से पूर्व ही अस्तित्व में आ गया था। जहां तक स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल का सवाल है तो आपको बता दे की स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल उत्तर प्रदेश राज्य में बनी थी और वह पहली महिला राज्यपाल सरोजिनी नायडू थी। जिनको भारत कोकिला के नाम से भी पुकारा जाता था क्योंकि सरोजनी नायडू सरोजनी नायडू एक अच्छी गायिका भी थी।
- पहली महिला राज्यपाल का क्या था कार्यकाल ?
स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल श्रीमतीसरोजनी नायडू का उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रूप में कार्यकाल 17 अगस्त 1947 से 2 मार्च 1949 तक था। 2 मार्च को उनका आकस्मिक निधन हो गया था। इस पद पर इनका कार्यकाल 01 वर्ष 06 माह और 14 दिन का रहा।
ध्यातव्य: श्रीमती सरोजनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला (भारतीय महिला) अध्यक्ष (1925) भी रही थी।
ध्यातव्य: भारत की पहली महिला राज्यपाल श्रीमती
सरोजिनी नायडू की पुत्री पद्मजा नायडू थी, जिन्होंने।1956- 1967 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
- सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय
भारत की पहली महिला राज्यपाल श्रीमती सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था इनका परिवार मूलतः एक बंगाली परिवार था। इनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय जो की एक डॉक्टर और वैज्ञानिक थे और इनकी माता का नाम सुंदरी देवी था जो एक जानी मानी कवयत्री,लेखिका, गायिका थी। सरोजनी नायडू की माता भी एक अच्छी लेखिका और कवियत्री थी इस लिए सरोजिनी नायडू को यह गुण और कला वंशानुगत /विरासत में मिली थी।
- सरोजिनी नायडू की शिक्षा
सरोजिनी नायडू बचपन से ही शिक्षा में अव्वल रहती थी और मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंको से पास की थी। यह सब कुछ देख हैदराबाद के नवाब भी उनकी प्रतिभा से प्रभावित हुए और उन्होंने सरोजनी नायडू को छात्रवृत्ति देना स्वीकार कर लिया। इसके पश्चात वे आगे पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चली गई और कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की।
- सरोजिनी नायडू का वैवाहिक जीवन
इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई करते समय उनकी पहचान श्री गोविंद राजुलू नायडू से हुई थी ,आगे चलकर करीब 19 वर्ष की आयु (1897)में सरोजिनी नायडू ने इनसे विवाह कर लिया ।इनकी तीन संतान थी जिनमें से इनकी पुत्री पदम नायडूभारत की दूसरी महिला राज्यपाल भी बनी थी । ज्ञात हो कि सरोजिनी नायडू ने अंतरजातिय विवाह किया था जो उस समय के सामाजिक परिवेश में एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।
- एक कवयत्री, लेखिका और गायिक के रूप में
सरोजनी नायडू की बचपन से ही कविता लेखन में रूचि थी इसके साथ-साथ वे एक लेखिका और अच्छी गायक भी बनी । इनको यह कला और रुचि विरासत में मिली ज्ञात हो कि इनकी माता भी अच्छी कवियत्री और गायिका थी । इनकी ज्यादातर बच्चों पर कविताएं लिखी हुई थी इसके साथ इन्होंने अनेक रचनाएं/पुस्तके भी लिखी जिनमें “द थ्रेशहोल्ड “1905,”द वर्ल्ड ऑफ टाइम” 1912 ,” द फायर ऑफ लंदन”1912 तथा ” द ब्रोकिंन विंग” 1917, प्रसिद्ध रचनाएं है।
- एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में
सरोजिनी नायडू एक कवियत्री, लेखिका और गायक होने के साथ-साथ एक सच्ची स्वतंत्रता सेनानी भी थी।जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और भारतीय महिलाओं के लिए एक आदर्श के रूप में एक गिनी जाती है। सन 1916 में उनकी गांधी जी से मुलाकात हुई और इनके प्रभाव से ही इनकी विचारधारा में बड़ा बदलाव आया। इन्होंने गांधी जी द्वारा संचालित सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930,भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

ध्यातव्य: पंडित जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर ही ये राज्यपाल (उत्तर प्रदेश) के रूप में पदभार ग्रहण करने को सहमत हुई थी। आगे चलकर इनकी पुत्री पदमा नायडू देश की दूसरी महिला राज्यपाल रही थी।
मृत्यु: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल रहते 70 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ जाने के कारण श्रीमती सरोजिनी नायडू जी का आकस्मिक निधन हो गया था।
- भारत सरकार ने जारी किया डाक टिकट

भारत सरकार ने सरोजनी नायडू के जन्मदिन 13 फरवरी 1964 को उनके सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया था।
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भारत की दूसरी व पश्चिम बंगाल की पहली महिला राज्यपाल कौन थी ? इनका जीवन परिचय। – डॉ ज्ञानचन्द जाँगिड़ – https://go.shr.lc/3hTj4lu