आधुनिक राष्ट्र राज्य जहां करोड़ो की जनसंख्या हो लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था विशेषकर प्रतिनिध्यात्मक लोकतंत्र(अप्रत्यक्ष लोकतंत्र) शासन व्यवस्था के संचालन के लिए राजनीतिक दलो की महती आवश्यकता होती है, इसलिए उन्हें लोकतंत्र का प्राण और सरकार का चतुर्थ स्तंभ भी कहा जाता है । राजनीतिक दलों की अपनी अच्छाइयों के साथ-साथ बुराइयां भी है जिनसे संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान निर्माता अवगत भी थे इसीलिए उन्होंने राजनीतिक दलों से बचने का मशवरा दिया था । 

एडमंड बर्क के अनुसार – राजनीतिक दल ऐसे लोगों का समूह होता है जो किसी ऐसे सिद्धांत के आधार पर जिस पर वह एक मत हो और अपने सामूहिक प्रयासों द्वारा जनता के हित में काम करने के लिए संगठित होते हैं”

सामान्य अर्थों में ” राजनीतिक दल औपचारिक रूप से संगठित लोगों का ऐसा समूह है जो किसी एक विचारधारा में संगठित होकर सांविधानिक साधनों के माध्यम से शासन और सत्ता पर अधिकार करने का प्रयास करते हैं।” -डॉ. ज्ञानचन्द जांगिड। 

  • अमेरिका में राजनीतिक दलों का विकास 

अमेरिकी संविधान का निर्माण के दौर में ही फिलाडेल्फिया सम्मेलन में ही राजनीतिक दलों का बीजारोपण हो गया था । इसी सम्मेलन के दौरान केंद्र को शक्तिशाली बनाने और राज्यों को शक्तिशाली बनाने के विचार को लेकर दो गुट बन चुके थे । आगे चलकर यही दो गुट राजनीतिक दलों का मूल आधार बनता है । 


इनमें से एक गुट जिसका नेता एलेग्जेंडर हैमिल्टन था वह एक शक्तिशाली केंद्र सरकार के पक्ष में थे वही दूसरा गुट राज्यों के शक्तिशाली रखने के समर्थक थे जिसके नेता जेफरसन थे ।आगे चलकर यही गुट फेडरलिस्ट और एंटी फेडरलिस्ट नाम से विकसित हुए । फेडरलिस्ट दल के पतन के बाद राजनीतिक रंगमंच पर एकमात्र डेमोक्रेटिक रिपब्लिक रह गया परंतु इस दल के नेताओं में भी आपसी मतभेद और सत्ता के संघर्ष में ऐसी स्थिति में एक नया दल गठित हुआ जिसे अनुदान दल कहा जाता है।


19वीं शताब्दी के दौर में दास प्रथा की समाप्ति के सवाल को लेकर दो विचारधाराओं का उदय हुआ जिनका प्रतिनिधित्व रिपब्लिकनपार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी नामक दलों के रूप में हुआ । यही दल अपने मूल नामों के साथ तभी से वर्तमान समय तक चले आ रहे हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका में ऐतिहासिक कारणों से डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों की उत्पत्ति अलग-अलग स्रोतों से हुई हैं।


डेमोक्रेटिक पार्टी दक्षिण की बागान अर्थव्यवस्था के हितों के संरक्षण से शुरू हुई लेकिन अब यह निर्धन वर्गों के लिए समाज कल्याण को बढ़ावा देती है और रिपब्लिकन पार्टी उत्तर के उद्योगपतियों के हितों के संरक्षण के लिए शुरू हुई यह उच्च वर्गों के बाजार अर्थव्यवस्था का समर्थन करती हैं।

  • अमेरिकी दलीय प्रणाली की विशेषताएं
  • (1) द्वि दलीय प्रणाली 


अमेरिका में भी ब्रिटेन की तरह ही द्वि दलीय प्रणाली है लेकिन इसका तात्पर्य नहीं कि अमेरिका में दो से अधिक दलों का विकास नहीं हुआ है । बल्कि समय-समय पर तीसरे दल का विकास हुआ हैं परंतु उनमें से कोई भी दल राष्ट्रीय निर्वाचन में सफलता प्राप्त नहीं कर सका और शीघ्र ही उसका विलोप हो गया ।इस प्रकार दो ही दलों का वर्चस्व  हमेशा वहां रहा है। व्यवहार में द्वि दलीय प्रणाली का अस्तित्व आज भी बना हुआ है । वर्तमान में रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी दो ही दल है।

  • (2) अमेरिका में दलों का सांविधानितर विकास


संयुक्त राज्य अमेरिका में राजनीतिक दलों को हमेशा ही शंका की दृष्टि से देखा जाता रहा है इसीलिए जॉर्ज वाशिंगटन ने भी दलों को शंका की दृष्टि से देखते हुए इनसे बचने का परामर्श दिया था । अमेरिकी संविधान भी दलों के विषय में मौन है फिर भी जैसा कि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्थाओं में दलों का अपना महत्व है।  उनके बिना सफलतापूर्वक लोकतंत्र का संचालन नहीं हो सकता इसीलिए धीरे-धीरे वहां दलों का विकास हुआ ।  इस प्रकार कहा जा सकता है कि अमेरिका में राजनीतिक दल संविधानेत्तर विकास का ही परिणाम है।

  • (3) शिथिल संगठन 


अमेरिका में राजनीतिक दल ब्रिटेन की तरह संगठित और अनुशासित नहीं है बल्कि सदस्यता और दलीय अनुशासन की दृष्टि से हुए शिथिल संघठन की श्रेणी में आते हैं । अक्सर देखा जाता रहा है कि किसी विशेष राजनीतिक दल के टिकट पर निर्वाचित होने के पश्चात निर्वाचित जनप्रतिनिधि अपने दल के नेता के आदेश के विपरीत मतदान  तक करते हैं क्योंकि अमेरिका में दल दलीय संगठन शिथल है।  इनमें विचारधारा संबंधी अंतर व कठोर दलीय अनुशासन का अभाव देखा जाता रहा है।

  • (4) दबाव समूह का प्रभाव 


अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था में भले ही द्वि दलीय प्रणाली हो लेकिन इन दलों के अतिरिक्त भी अमेरिका में छोटे-छोटे दबाव समूह इन प्रमुख दलों पर दबाव डालकर अपने हित पूर्ति करने का प्रयास करते है। इन राजनीतिक दलों पर दबाव समूह का अत्यधिक प्रभाव रहता है । यह दबाव समूह स्वयं तो चुनाव में भाग नहीं लेते हैं लेकिन अपने हितों के अनुसार यह राजनीतिक दलों को अत्यधिक मात्रा तक प्रभावित करते हैं। यह प्रवृत्ति अमेरिका में बहुत देखने को मिलती हैं।

  • (5) विचारधारा के आधार पर अंतर नहीं 


अमेरिका में राजनीतिक दलों के उदय के समय दलों की विचारधाराओं में मूलभूत सवालों को लेकर मतभेद जरूर थे लेकिन समय के अनुसार यह मतभेद, यह वैचारिक अंतर लगभग खत्म हो गया और विदेश नीति के क्षेत्र में दोनों दलों का परस्पर सहमति और उस क्षेत्र मे दोनों दलों के बीच एकमतता की प्रवृत्ति देखी जा सकती है।

  • (6) लूट प्रणाली

अमेरिकी दलीय प्रणाली की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता उसकी लूट प्रणाली है जिसका तात्पर्य है कि राष्ट्रपति के चुनाव के उपरांत विजय प्राप्त करने वाले दल पहले से कार्य कर रहे नागरिक सेवा के अधिकारियों को हटाकर उनकी जगह अपने समर्थकों जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में उनका सहयोग और समर्थन दिया था उनकी नियुक्ति करते हैं । लेकिन 1883 में पेंडलटन अधिनियम के आधार पर लूट प्रणाली को सीमित कर दिया गया है फ़ी भी किसी न किसी रूप में यह है आज भी अमेरिका में विद्यमान है ।

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12 thoughts on “अमेरिकी दलीय प्रणाली और उसकी विशेषताएं”
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