
अक्सर वी.टी कृष्णमाचारी और टी.टी कृष्णमाचारी के नाम को लेकर बड़ा कंफ्यूजन रहता है । कुछ लोग इन दोनों को एक ही समझ लिया जाता है और कुछ लोग इन्हें अलग अलग समझते हैं। आखिर सच्चाई क्या है ? वी.टी कृष्णमाचारी और टी.टी कृष्णमाचारी की। आज हम इस आलेख के माध्यम से इन दोनों राजनीतिज्ञों के बारे में जानेंगे। निश्चित रूप से यह आलेख राजनीति विज्ञान विषय में रुचि रखने वाले प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वालो के लिए सार्थक साबित होगा।
- इसलिए होता है नाम को लेकर कंफ्यूजन
वी.टी कृष्णमाचारी और टी.टी कृष्णमाचारी दोनों का ही संबंध ब्रिटिश काल के मद्रास क्षेत्र से रहा है और दोनों ही भारतीय संविधान सभा के सदस्य भी रहे हैं इसलिए संविधान सभा के सदस्यों,सविधान सभा की विभिन्न समितियों के सदस्य के रूप में कार्य करने वह संविधान सभा के उपाध्यक्ष रहने के संबंध में यह समझने में दुविधा हो जाती है कि आखिर वी.टी कृष्णमाचारी,टी.टी कृष्णमाचारी में से कौन है।? इनमें से कौन प्रारूप समिति के सदस्य बने इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए इस आलेख को पूरा पढ़ें।
- वी.टी कृष्णमाचारी कौन है?
वी.टी कृष्णमाचारी जिनका पूरा नाम रायबहादुर सर वनल तिरुवेंकटचारी कृष्णमाचारी है। इनका जन्म 8 फरवरी 1881 को तत्कालीन ब्रिटिश शासन के काल में मद्रास में हुआ था। इनके पिता का नाम वांगल थिरुवेन कट्टाचारी था। ज्ञात हो कि वी टी.कृष्णामाचारी मूलतः सिविल सेवक व प्रशासक थे ।
वी. टी.कृष्णामाचारी 1927 से 1944 तक बड़ौदा राज्य के दीवान रहे व इसके पश्चात इन्होंने 1946 से 1949 तक यह जयपुर राज्य के प्रधानमंत्री के रूप में भी कार्य किया। इसके अतिरिक्त 1961 से 1964 तक जब देश के प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु थे उस कार्यकाल में राज्यसभा के सदस्य /सांसद भी रहे ।
कैबिनेट मिशन योजना के तहत गठित संविधान सभा में एक सदस्य के रूप में(1946) शामिल हुए। भारत विभाजन के बाद हरेंद्र कुमार चटर्जी के साथ 16 जुलाई 1947 को संविधान सभा के उपाध्यक्ष चुने गए थे।
- टी.टी कृष्णमाचारी कौन थे ?
टी.टी कृष्णमाचारी का जन्म 1899 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रांत के मद्रास में हुआ था ।इनका पूरा नाम तिरुवेल्लोर थट्टई कृष्णमाचारी था और इनके पिता का नाम टी. टी रंगाचारी था जो उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे। अपने जीवन की शुरुआत में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से स्नातक करने के पश्चात इसी कॉलेज में यह अर्थशास्त्र के विजिटिंग प्रोफेसर बन गए ।इसके पश्चात अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत में ये मद्रास विधान सभा के सदस्य चुने गए कर कांग्रेस में शामिल हो गए।
सन 1956 से 1958 तक (18 फरवरी 1958 को इन्होंने त्याग पत्र दे दिया था) एवं 1964 से 1966 तक 2 बार भारत के वित्त मंत्री भी रहे।
ज्ञात हो कि टी.टी कृष्णमाचारी देश के पांचवें वित्त मंत्री थे तथा स्वतंत्र भारत के पहले वह मंत्री थे जिन्हें शेयर घोटाले का आरोपी होने पर इन्हें पद से हटना पड़ा था। टी.टी कृष्णमाचारी के त्यागपत्र देने के कारण अगला बजट पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रस्तुत करना पड़ा था।
इसके पूर्व संविधान सभा के सदस्य के रूप में भी यह शामिल हुए और न केवल संविधान सभा के सदस्य बने बल्कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली संविधान की प्रारूप समिति के सदस्य के रूप में भी इन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । ज्ञात हो कि 1948 में प्रारूप समिति के सदस्य डी.पी खेतान की मृत्यु होने पर टी.टी कृष्णमाचारी को प्रारूप समिति का सदस्य बनाया गया था।
स्वतंत्र भारत में 1951 से 1957 और 1957 से 1962 तक 2 बार लोकसभा के सदस्य रहे। लंबी बीमारी के उपरांत सन 1974 को इनकी मृत्यु हो गई।
- वी.टी कृष्णमाचारी थे संविधान सभा के उपाध्यक्ष
संविधान सभा के उपाध्यक्ष टी.टी कृष्णमाचारी न होकर वी.टी कृष्णमाचारी थे जो राजस्थान से संविधान सभा के सदस्य मनोनीत हुए थे। ज्ञात हो कि हरेंद्र कुमार मुखर्जी का निर्वाचन क्षेत्र विभाजन के दौरान पाकिस्तान में चले जाने के कारण संविधान सभा के उपाध्यक्ष हरेंद्र कुमार मुखर्जी नहीं रहे लेकिन 16 जुलाई 1947 को तो उपाध्यक्ष बनाए गए थे जिनमें प्रथम एच.सी मुखर्जी और दूसरे वी.टी कृष्णमाचारी थे।