

कैबिनेट मिशन योजना के तहत भारतीय संविधान सभा के निर्वाचन जुलाई अगस्त 1946 को हुए संविधान सभा का गठन निर्वाचित एवं मनोनीत दोनों तरीके से हुआ था।संविधान सभा के सदस्यों में से डॉ राजेंद्र प्रसाद एचसी मुखर्जी पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित संविधान के जनक कहलाने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर भी प्रमुख सदस्यों में से एक थे।
डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान सभा प्रारूप समिति के अध्यक्ष बनाए गए थे और सरदार निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही इसलिए उन्हें संविधान का जनक भी कहा जाता है ।कई बार यह सवाल उत्पन्न होता है कि आखिर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संविधान सभा में कहां से सदस्य निर्वाचित हुए थे।

- यहां से बने थे अम्बेडकर संविधान सभा के सदस्य
डॉ. भीमराव अंबेडकर के निर्वाचन क्षेत्र को लेकर कभी बंगाल तो कभी मुंबई का नाम लिया जाता है ।आखिर उनके निर्वाचन क्षेत्र की सच्चाई क्या है ? और वे निर्वाचित कहां से हुए थे । इस बारे में सटीक और प्रमाणित जानकारी के लिये यह आलेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा ।
- सबसे पहले बम्बई से थे उम्मीदवार
कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत जुलाई-अगस्त 1946 में संविधान सभा के निर्वाचन में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर सर्वप्रथम मुंबई से “शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन” के उम्मीदवार के रूप में थे लेकिन दुर्भाग्यवश वे इस चुनाव में पराजित रहे और सदस्य नही बन सके। बताया यह भी जाता हैै कि तत्कालीन …के कुछ सदस्यों ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को संविधान सभा में सदस्य बनने से रोका था अतः …. के विरोध के कारण ही अंबेडकर चुनाव नही जीत सके ।
- बंगाल से फिर से बने उम्मीदवार/सदस्य
डॉ.भीमराव अंबेडकर जैसे योग्य और प्रतिभाशाली व्यक्ति का संविधान निर्माण में योगदान और भूमिका के लिए उनका सविधान सभा का सदस्य होना आवश्यक था। इसी को मद्देनजर रखते हुए उनको फिर से मुस्लिम लीग के सहयोग से बंगाल से उम्मीदवार बनाया गया, जहां वे विजयी रहे,ज्ञात हो कि बंगाल से “जोगेन्द्र नाथ मंडल” ने उन्हें बंगाल से चुनाव लड़ने के लिए आमंत्रित किया था। वे इस चुनाव में विजय रहे और संविधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
स्वतंत्रता के साथ देश के बंटवारे 3 जून 1947 का प्रभाव डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन पर ही नही वरन उनकी सविंधान सभा की सदस्यता पर भी देखने को मिला।
बंटवारे से बंगाल का वह क्षेत्र जहां से अम्बेडकर सदस्य निर्वाचित हुये थे ” जयसुरकुलना” वह पूर्वी पाकिस्तान के हिस्से में चला गया था (अब यह क्षेत्र बांग्लादेश में चला गया है। ) इस वजह से डॉक्टर अंबेडकर एक बार फिर से संविधान सभा के सदस्य नहीं रहे।
- डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के की थी आलोचना
भारत के बटवारे और बंगाल के उस क्षेत्र के पाकिस्तान में चले जाने पर डॉ भीमराव अंबेडकर ने 17 जून 1947 को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि” ब्रिटिश संसद को भारत के राज्य के संप्रभुता व सार्वभौम के ऊपर किसी प्रकार के कानून का कोई अधिकार नहीं है और ऐसा कोई भी अंतरराष्ट्रीय कानून भी नहीं है जिसके अंतर्गत यह राज्य भारत में रहेंगे या नहीं रहेंगे इसका निर्धारण ब्रिटेन द्वारा किया जा सके। ऐसा कोई अधिकार और शक्ति ब्रिटिश संसद के पास नहीं है।”
ध्यातव्य-आमेर-राज्य की कुलदेवी शिलादेवी की शिला खुलना क्षेत्र के जैसोर/जैसुरकुलना तब पूर्व बंगाल, अब बंंगलादेश मेंं है।
- बम्बई से फिर बने संविधान सभा के सदस्य
बटवारे आये इस संकट का समाधान निकालने व अम्बेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने के लिए तत्कालीन समय में मुंबई प्रेसिडेंसी से उन्हें संविधान सभा में भेजने के लिए बी.जी खेर(बम्बई के प्रधानमंत्री) के परामर्श पर एम. आर. जयंकर जो स्वयं कांग्रेस के सहयोग से संविधान सभा में सदस्य थे उनको संविधान सभा के सदस्य से त्यागपत्र का सुझाव दिया।
उनके त्यागपत्र देने से पद खाली हुआ फिर से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को उस सीट( मुंबई ) से संविधान सभा का सदस्य बनाया गया।