Category: साहित्य,कविता,काव्य,शायरी,मुक्तक

गद्य/कहानी/रचना “आईने की व्यथा”

एक बार सभी आइने अपनी उपेक्षा से दुखी होकर मृत्यु लोक से विदा लेकर स्वर्ग लोक में चले गए ! वहां सृष्टी के निर्माता ब्रम्हा जी को अपनी व्यथा सुनाने…

वो आंखों से ओझल हो गये !

रात रुक जाने की फरियाद करते रह गये, वो अनमने से भाव लिए सुबकते रह गये! दिल में बड़ी ख्वाहिशें संजोये उनकी तरफ से, हम से बेहतर कोई मिला शायद…

सावन:उमड़ घुमड़ बदरा आये

देख सखी उमड़ घुमड़ बदरा आये ,लगे यू ज्यों परदेशी पिया घर आये !सखी बिजुरियाँ चमक रही घन माही,साजन ढूंढ रहे अपनी प्यारी सजनी ! उमड़ घुमड़ बदरा बरखा बरसाए…

बरसात

बारिश की नन्ही बूंदे छमछम करत बरसत ,मन हरषत उपवन पिक मधुर गीत सुनावत! ताल तलैया हिलोरत कलरव गान करत खग,हरित धानी चुनर ओढ़ नवोढ़ा सजी बहुरंग! भँवरे मंडराते कलियां…

काव्य/शायरी: तलब

है वो गजब की बला मिर्ची से तीखी बहुत, फिर भी वो हर अंदाज में मुझे भाती बहुत! अब उससे कोई उम्मीद नही किया करता, करके कुछ उपकार मुझ पे…

कविता/काव्य/शायरी – तुझ बिन विरहन

तुझ बिन दहके तन प्राण निकस रहे पिया ,सूनी सेज शूल चुभे बिरहनी मुरझाई पिया! मल्हार बन उमड़ आवो मोरे परदेसी पिया ,मुरझाई दूब बून्द गिरे हरियायी जाती पिया! तन…

काव्य/कविता – पर्ण कुटी

अपनी एक सुंदरतम पर्ण कुटीर बनाएंगे,घास पूस पत्तो से उसको खूब सजायेंगे! घर पर सनातन प्रतीक पताका फहराएंगे,रोशनी को कुटिया में घी का दीप जलाएंगे! सुरभि धेनु के गोबर से…

काव्य/शायरी: “रूह की ख़्वाहिश”

रूह में भला बिना ख्वाहिश उतरता कौन हैं,आँख मूंद भरोसा किसी पर करता कौन हैं! जान देने को अक्सर उल्फ़त में कहते तो हैं,पतंगे की तरह दीपक पर यूँ मरता…

काव्य/शायरी/कविता: जिजीविषा (जीने की इच्छा)

नीरस तरुवर में निकली नन्ही कोंपल से ,उम्मीद की किरण पाकर खिलना सीखो! पिपीलिका का अथक परिश्रम तुम देखो,कठिन डगर पर चढ़ मंज़िल पाना सीखो ! मानव देह में शिवि…

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