‘ प्रेयसी’ – शायरी,काव्य
@ गोविंद नारायण शर्मास्वप्न सुन्दरी भाग्योदय प्रेयसी हो तुम मेरी ,विधि की सर्वोत्कृष्ठ कृति तुम प्रियतमा मेरी ! बिखरी जुल्फे,मुख चन्द्र पर अवलम्बित घनी,बाहें परिधि कंठ पर शम्भू के गल…
(M.A. B.ED, NET, SET, Ph.d, LL.B)
@ गोविंद नारायण शर्मास्वप्न सुन्दरी भाग्योदय प्रेयसी हो तुम मेरी ,विधि की सर्वोत्कृष्ठ कृति तुम प्रियतमा मेरी ! बिखरी जुल्फे,मुख चन्द्र पर अवलम्बित घनी,बाहें परिधि कंठ पर शम्भू के गल…
@गोविंद नारायण शर्मा ब्रह्म सृष्टि प्रादुर्भाव सृजित हुआ नूतन वर्ष ,काल गणना आरंभ हुई भयो अपरम्पार हर्ष ! प्रकृति नित उठ नूतन फूलों से करे शृंगार,मङ्गल गावे मोद मनावे सकल…
@गोविंद नारायण शर्मा वो मिलने आये नारियल सिर पर फोड़ गये ,किसी से न कहने को हाथ मेरा मरोड़ गये! बातें उल्फ़त की बहुत मीठी की पास बैठकर,बहला कर दिल…
@ गोविंद नारायण शर्मा देखो भाई आज जानवरों ने सभा बुलायी हैं,मोर पपीहा गिलहरी चश्मा पहन आयी हैं ! पिपीलिका ब्रांडेड हाई हील चप्पल में आयी हैं,चींटे को डोनाल्ड ट्रम्प…
@ गोविंद नारायण शर्मा अभिमान में सब गया धन वैभव और वंश ,न मानो तो देख लो रावण कौरव और कंस! ईश दाता नही विपत्ति का वो विदारण हार,विप्र अजामिल…
@ गोविंद नारायण शर्मा मायावी ठग भोली भाली जनता ठगने को,तिलिस्मी अफवाहों का रचते माया जाल, मामा मारीच ने श्री राम को धोखा दिया,स्वर्ण मृग मायावी सीता हरण रचा जाल!…
कभी इश्क के खुमार में बन संवर चला करो,मुजरे में दिल जलाने रक़ीबों का चला करो! यूँ हर वक्त मदहोशी में बदहवास न रहा करोऔलाद फाके मंद जरा कमा कर…
(रचनाकार:गोविंद नारायण शर्मा ) इक लम्हा ठहरो तेरे माफ़िक निखर जाएंगे,तेरे स्पर्श से रूहानी जज्बात बहक जाएंगे! होंठों पर जब प्यार के दो नगमें गुनगुनाएंगे,मख़मली आवाज से मुसाफ़िर ठहर जाएंगे!…
मोहब्बत के सारे निशां मिटाकर गयी हैं वो ,चीरकर दिल तड़पता ठुकराकर गयी हैं वो! घोंपकर खंजर दिल में मरा जानकर गयी है,हाथों से कत्ल के सबूत मिटाकर गयी हैं…
शृंगार पर सार्थक काव्य इस रचना के रचनाकार गोविन्द नारायण शर्मा है यह इनकी मौलिक रचना है। ____________________________ अधर मोन हो गये पलक चिलमन बात,ना तू सुने ना मैं ये…
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