विशेष ध्यातव्य/घोषणा – यह यह लेख धतुरे के धार्मिक और ओषधीय गुणों पर प्रकाश डालता है । आपको इसका प्रयोग करने करने की सलाह नही देता और न ही हम इसके पक्षधर है क्योकि यह जहरीला पौधा है।

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यह भारत है जनाब यहां के हर कण के अध्यात्म छुपा है, हर कण में पूरा इतिहास छुपा है, छुपा है हर कण में पूरे ब्रह्माण्ड का ज्ञान, छुपा है इसके हर कण में छुपे है औषधीय गुण महान ।……….इसी करण यहाँ पेड़ पौधों, जीव जंतुओं यहाँ तक कि कंकर पत्थर की भी पूजा की जाती है । पीपल, तुलसी, बैल पत्र की पूजा की जाती है । इन सब के पीछे धार्मिक, आध्यत्मिक, आर्थिक और ओषधीय गुणों के कारण होते है ।

आज हम ऐसे ही पौधे के बारे के बात करेंगे जिसका धार्मिक और औषधिय गुणों के कारण उसकी पूजा होती रही है और मानव जीवन मे उसका महत्व आज भी बरकरार है।

धतुरा (धोर्न एप्पल स्ट्रामोनियम)

बड़े बड़े पत्तो और सफेद फूलो वाला यह धतुरा सर्व उप्लब्ध पौधा है जो मानव बस्ती हो या जंगल हर कही आसानी से उपलब्ध भो जाता है । धतूरा आम तौर पर ज़हरीला और जंगली फल माना जाता है। इस पौधे का आकार लगभग 1 मीटर तक ऊँचा हो सकता है तथा यह काला-सफेद दो रंग का होता है। इसका फूल नीली चित्तियों वाला होता है। सामान्यतया धतुरे के नाम से पुकारे जाने वाले इस पौधे को भारत मे इसे अलग अलग नाम से भी जाना जाता है । जैसे संस्कृत में धतूर, मदन, उन्मत्त, मातुल, बंगला में धुतुरा,  मराठी में धोत्रा, धोधरा, गुजरात में धंतर्रा कहा जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोंण से बात करे तो बारे में वनस्पतियों के जानकार डॉ. हरीश गुप्ता ने बताया कि इसका वैज्ञानिक नाम: Datura इसका कुल: Solanaceae, वंश: Datura; L.वर्ग: Magnoliopsida तथा जगत: Plantae गण: Solanales का होता हैवैज्ञानिक दृष्टिकोंण से बात करे तो इसका वैज्ञानिक नाम: Datura कुल: Solanaceae वंश: Datura; L.वर्ग: Magnoliopsida जगत: Plantae व इसका गण: Solanales होता है।

धतुरे का धार्मिक महत्व

भारत मे पेड़ पौधों की पूजा का विधान रहा है । इसके पीछे उसके धार्मिक, वैज्ञानिक और उसके गुणों, मानव जीवन मे उसकी उपयोगिता होंना है । जहाँ तक धतुरे का सवाल है यह मंदिरों के आसपास भी आसानी से मिल जाता है ।इसका कारण इसका धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व रखना है । प.बल्लू राजपुरोहित ने बताया कि देवो के देव महादेव शिवशंकर भगवान भोलेनाथ को पूजा के साथ सावन में बेलपत्र, धतूरा और जल चढ़ाया जाता है ।” ऐसी मान्यता हमारे धर्म मे आज भी है कि भगवान भोले नाथ धतुरे के फूल चढ़ाने से खुश होते है और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते है । हिन्दू धर्म के महान ग्रन्थ भागवत पुराण में कहा गया है कि विषपान के बाद अश्विनी कुमारों ने भांग, धतूरा, बेल आदि से शिव जी की व्याकुलता दूर की थी ।

धतूरा सिर्फ भगवान शिव की पूजा करने में ही नहीं हैं, बल्कि विभिन्न प्रकार की व्याधियों/ बीमारियों में धतूरा का इस्तेमाल किया जाता है।

धतुरे का ओषधीय गुण

भगवान भोलेनाथ को चढ़ाया जाने वाला धतूरा अपने औषधीय गुणों के कारण भी महत्व रखता है । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह एक ऐसा पौधा है जो जड़ से लेकर फूल तक औषधि गुणों से भरा हुआ है। आयुर्वेद के जानकारों की माने तो यह आयुर्वेद दृष्टिकोण से भी काफी महत्व रखने वाला पौधा है।

आचार्य चरक ने इसे ‘कनक’ और सुश्रुत ने ‘उन्मत्त’ नाम से संबोधित किया है। आयुर्वेद के ग्रथों में इसे विष वर्ग में रखा गया है। अल्प मात्रा में इसके विभिन्न भागों के उपयोग से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं

एंटी-सेप्टिक गुणो से भरपूर है यह पौधा

डॉ.गुप्ता ने बताया कि धतुरे में एंटी-इन्फेल्मेट्री और एंटी-सेप्टिक का गुण पाया जाता है ।धतूरे में प्राकृतिक रूप से N-trans-Feruloyl Tryptamine, Hyoscyamilactol , Scopoletin, Daturaolone , Daturadiol, N-trans-ferulicacyl-tyramine , Cleomiscosin, Fraxetin, scopolamine इत्यादि नामक ऐल्केलायडों पाए जाते हैं।

गाँव मे आज भी घरेलू नुस्खे में उपयोग

आज भी गांवों में किसी प्रकार कब फोड़े पुंसी हो जब पर धतुरे के पत्तो को गर्म करके उस स्थान पर बांधे जाते है जिससे फोड़े पुंसी ठीक हो जाते है । इनके अतिरिक्त चर्म रोग होने पर उस स्थान पर धतुरे के पत्तो को रगड़े से चर्म रोग में आराम मिलता है । इसके अतिरिक्त जोड़ो के दर्द, पेट की बीमारियों, सायटिका के दर्द में इसके पत्तों को गर्म करके बांधे जाते है।

आयुर्वेद के मुताबिक धतूरे में मौजदू औषधिय गुण:

आयुर्वेद में भी धतुरे का उपयोग प्राचीन समय से ही किया जाता रहा है । आज भी इसका महत्व बरकरार है । कृष्ण गोपाल कालेडा आयुर्वेद औषधालय के वरिष्ठ वैद्य हनुमान प्रसाद शर्मा भी आयुर्वेद में धतुरे के उपयोग और महत्व मानते है । उन्होंने बताया कि इसका उपयोग सीधा ही नही नही करके इसका शोधन के बाद ही उपयोग किया जाता है ।आम जनता कााआम जनता अपनी मर्जी से इसका उपयोग नही करे ।

• दमा की शिकायत करता है दूर
• गठिया में आराम
• कान दर्द, दांत दर्द
• गर्भधारण
• मलेरिया बुखार
• बवासीर के इलाज। • पुरुषों की शारीरिक क्षमता के लिए वरदान
• जख्म या घाव को कर सकते हैं ठीक
• गंजेपन को दूर करता है धतूरा
• दर्द और पैरों की सूजन में फायदेमंद। * प्रस्वेद,उदर में पित्रस्राव, अतिसार में जल का स्राव, आदि में काम आता है।

धतूरे के उपयोग से बुखार, सायटिका, गठिया, पेट रोग आदि तमाम रोगों में छुटकारा मिलता है। आपको बता दें कि धतूरे में कुछ जहरीले तत्व पाए जाते हैं जो इंसान के शरीर के लिये बहुत हानिकारिक होते हैं,इसलिए इसका प्रयोग करने से बचना चाहिए।आपको बता दें की कच्चा धतूरा और अधिक विषाक्त होता है। यहां तक कि धतूरा खाने से मौत हो जाती है।

शोधन के बाद ही होता है उपयोग अन्यथा हो सकता है हानिकारक

धतूरे का सेवन सीमित मात्रा में करें तो यह एक प्रकार की औषधि का काम करती है. लेकिन गलती से भी इसका अधिक सेवन कर लिया तो ये शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। एक निश्चित प्रक्रिया द्वारा इसका शोधन किया जाता है उसके बाद ही इसका उपयोग होता है । इसका सीधा ही उपयोग कैन या सेवन नुकसानदायक साबित हो सकता है ।

चेतावनी – धतुरा एक जहरीला पौधा है । इस कारण आपको सलाह दी जाती है कि इसका सेवन आप अपनी मनमानी से नहीं करे । यह आपके लिए हानिकारक हों सकता है । इसका उपयोग औषधियों के जानकार ,औषधि निर्माण में ही कर सकते है ।आप खुद अपना वैद्य बनने की कोशिश बिल्कुल न करें ।

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