हमारा देश दंतकथाओं, परंपराओं ,मान्यताओं  वाला देश है । जहां हर किसी शुभ और अशुभ कार्य को किसी घटना विशेष के साथ जोड़कर देखा जाता रहा है । इनमें से किवदंतियां अलग ही महत्व रखती है । 

किंवदंतीयां,  लोक कथाओं की एक शैली है जिसमें मानवीय कार्यों के बारे में किसी घटना विशेष के होने या नहीं होने व ऎतिहासिक घटनाओं , भविष्य में होने वाली घटनाओं से जोड़कर देखा जाता है । किंवदंती, अपने सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिभागियों के लिए, “संभावना” के दायरे से बाहर होने वाली कोई घटना नहीं है, लेकिन इसमें चमत्कार शामिल हो सकते हैं। दूसरी तरफ यह भी सत्यता है कि किवदंतियों के महत्व र्और उन्हें यथार्थवादी बनाये रखने के लिए समय के साथ बदल जाया करती है। 

अब किवदंतिया तो कीव होती है लेकिन कुछ किवदंतिया ऐसी है जिन की सत्यता में विश्वास करने को मजबूर होना पड़ता है और ऐसी किवदंतिया जांच और शोध का विषय हो सकती है ।

इस चिडिया से जुडी है ये किवदंतियां


समाज में एक ऐसी ही किवदंती  टिटहरी नामक मध्यम आकार वाली चिड़िया से जुड़ी है । टिटहरी का प्रजनन काल बारिश के मौसम मार्च से अगस्त महीनों में होता है और वह अपने अण्डे को पानी मे बहने या डूबने से बचने वाले स्थान पर ही अंडे देती है।

समाज में एक ऐसी ही किवदंती  टिटहरी नामक चिड़िया से जुड़ी है । इस चिडिया का वैज्ञानिक नाम वेनेलस इंडिकस है और इसे Sandpiper,रेड वाटल्ड लैपिंग,  कुररी भी कहते हैं। जिसे जंगल , जलाशय के आस पास, भी देखा जा सकता है।

टिटहरी मौसम के पूर्वानुमान लगाने में सक्षम मानी जाती है

टिटहरी के अंडे दिए जाने से संबंधित एक किंवदंती है की टिटहरी अंडे किस स्थान पर देती है अगर टिटहरी जमीन पर खड़ा खोदकर, या छोटे छोटे पत्थरो के बीच दे देती है तो यह समझा जाता है कि इस वर्ष बारिश कम होगी या अकाल पड़ने की संभावना रहती है ।


अगर वह टिटहरी जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर ऊंचे स्थान पर अंडे देती है। जहां बारिश का पानी नहीं पहुंच पाता है तो यह अंदाजा लगा लिया जाता है कि इस वर्ष बारिश अच्छी होगी और लोगों में सुख समृद्धि अच्छी होगी, पैदावार अच्छी होगी । इस प्रकार से जमीन में खड़ा खोदकर  अंडे दिए जाने से किसानों के चेहरे मायूस भी हो जाते हैं या फिर उनके चेहरे खुशी से खिल जाते हैं कि इस साल अच्छी बारिश होगी ।टिटहरी मौसम के पूर्वानुमान लगाने में सक्षम मानी जाती है। यह एक सोचनीय और शोध का विषय हो सकता है।

ऐसा ही वाकिया पिछले दिनों राजस्थान के अजमेर जिले के केकड़ी तहसील में  टिटहरी के चार अण्डे कृषि विभाग से जुड़े कर्मचारी नंदकिशोर व कुुुछ और लोगों ने देखे कि  टिटहरी ने किसी ऊंचे स्थान पर अपने एक अंडे दे रखे थे जबकि टिटहरी अण्डे जमीन पे ही देती है । लोगो ने यह सब देख कर इस वर्ष बारिश अच्छी होने की उम्मीद लगा रहे हैं ।


टिटहरी से जुडी कुछ आश्चर्यजनक जानकारियां जिसे जानकर आपको हैरानी होगी

  • अक्सर पक्षी, चिड़िया पेड़ पर या किसी ऊंचे स्थान पर अंडे देती है लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा की टिटहरी कभी भी वृक्ष पर अपना घोषला नहीं बनाती है और न ही वह उस घोषले में अण्डे देती है बल्कि वह जमीन पर ही खड़ा खोदकर या छोटे कंकरों में ही अंडे देती है ।
  • देखा जाता है कि कोई भी पक्षी जब अंडा देता हैं तो उन पर बैठकर अपने शरीर के तापमान से उसको गर्म करके (सेवड़े बैठकर) अण्डे को तोड़ता है लेकिन टिटहरी इन सब से थोड़ी अलग है। वह ऐसा बिलकुल भी नहीं करती है ।
  • टिटहरी के अंडे तोड़े जाने के बारे में बताया जाता है कि वह बाकी चिड़ियों की तरह अंडे को नहीं तोड़ती है बल्कि किसी कीमती पत्थर जो पारस भी हो सकता है उसे चोंच में लेकर तोड़ती है । हालांकि इस प्रकार की बातें केवल काल्पनिक है इनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं होता।
  • कीमती पत्थर से अंडे को तोड़े जाने के पीछे क्या वजह है और यह चिड़िया कीमती पत्थर का छोटा सा कंकर कहां से लेकर आती है। यह आश्चर्यजनक बात है। अगर किवदंती को सच माना जाए जैसा कि लोग बताते हैं कि पारस के कण के द्वारा संडे को तोड़ा जाता है यह पारस कीमती पत्थर हिमालय के क्षेत्र में ही प्राप्त होता है शास्त्रों में भी इस बात का उल्लेख मिलता है ।
  • एक किवदंती तो यह भी है टिटहरी अगर पेड़ पर पेड़ की है या अन्य देती है तो यह अनुमान लगाया जाता है कि भूकंप या कोई जलजला आने की संभावना है।
  • टिटहरी अपने अंडों की रक्षा करने के लिए बहुत ही अधिक सचेत होती है वह किसी खतरे का पूर्व अनुमान लगा लेती है।

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