गाँवां में वो पहले जैसी चौपाल अब नही,
बरगद छांव नीचे ठहरती अब बारात नही!

बींद बिंदोला जिमें नी जुआजुई खेल नही,
बींदणी न लेबा पहला पावणां आवे नही!

पनघट पर पनिहरिणों का जमघटअब नही,
कुँए बावड़ी रितग्या जल बेवडलो लावे नही!

बच्चे रुमाल झपट्टा गुल्ली डण्डे खेले नही ,
मायत के संग बैठ बात ज्ञान की सुण नही !

तुलछा मां न सींच कोनी मन्दिर जावे नही,
साँझ परे मौन व्रत का नियम कोई राखे नही!

घुड़लयो घुमलो सारी रात गीत गाव नही,
उड़जा काले कागा पियो आसी केवे नही!

ब्यूटी पालर खुलग्या पीठी करावे
नही
बहनां स्यू अब बिन्द सिणगार करावे नही!

भावज स्यू बनडो काजल अब लगावे नही,
रथ बेलयां में बिन्द बींदणी परणबा जावे नही !

बेळयां स्यु खेती बाड़ी कोई अब करे नही
दीपावली पर झूला रमझोल ओढ़ावे नही !

गुवाड़ी माय बैठ कोई सुख दुःख पूछे नही,
गाँव की चौपाल ऊपर न्याय अब मिले नही!

छाछ राबड़ी रो गयो जमानो चाटू की घाट नही,
पानसी री भाजी बथुआ रो साग बणावे नही!

केर सांगरी पोदीना की चटनी बांट नही,
खाबां न मोतीचूर चावे काम कांई कर नही!

ढांडा डोर राख नही धीणो दोजो होवे नही,
छाछ दही होवे नही चटनी रोटी खावे नही !

गैस हो गया जगरा वाली बाटी बणावे नही,
देवतां के धूप ध्यान कर अग्नि जिमावे नही!

भोपा भोपण तेजाजी की फड़ अब बांच नही
बहरूपिया शिव पार्वती रो स्वांग बणावे नही!

बन्दर बन्दरिया रा खेल मदारी दिखावे नही,
अंतरु मन्तरू छरर घुसन्तर जादू रिया नही!

खेतां मोट्यार रो कलेवो लुगायां ले जावे नही,
आपरा मनख स्यू मनडे री बातां करे नही!

टाबर टिंगर गारा रा गाड़ी बेळयां बणावे नही,
छुक छुक करती आवे रेल खेळ अब खेल नही!

लुगायां घटी स्यू मक्की बाजरो पीस नही,
भाग फाट्यां उठ दही छाछ बिलोवे नही !

चूल्हा माही बेसातर अब कोई ओठ नही ,
गैस चूल्हा हो गया रावा माही राख मिळ नही!

प्लाई का पिलंग हो गया मूज की खाट नही,
एसी कूलर हो गया डांडी वाली बिजणी नही!

आधी पहल्यां सोवे कोनी प्रभात में उठ नही,
पक्षी न मुँडेर पे दानापाणी हाथां चुगावें नही!

बुआं टॉपर मिडी पहर माथे ओढ़नी राखे नही,
अजब जमानो आंख्यां में लाज शरम री नही!

माँ बाप री माने नही उगता सूरज देख नही,
बुजुर्गों का चरण छू आशीष अब लेवे नही!

टाबर नानी के जावे नी दूध मलाई खावे नही,
मोटा होके ढोलकी ढमाक ढम बजावे नही !

डोलर हिन्दा होग्या बागां में झूला झूले नही,
सख्यां झोटया लगा नाम पिया बतावे नही !

उभा उभा जीमन जिमे बिठा के जिमावै नही,
फिर फिर जीमो कोई मान मनुहार करे नही!!

@ गोविन्द नारायण शर्मा

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