सर्वहारा की बात जब अनसुनी की जाये !
बहरो के आगे ढोल नगाड़े बजाये जाये !!
अमीरों की कोठियों से धन निकाला जाये!
भूखों को उनके हक को उकसाया जाये !!
कब तक भूखे बच्चों को रातों में बहलाया जाये !
माँ के सूखे वक्ष से कब तक दूध निचोड़ा जाये !!
मौन रहकर अन्याय कब तक सहा जाये!!
दो जून की रोटी को कितना तरसा जाये !
शहजादियों को जरा तपती घाम में लाया जाये
जला के शमा आसमां कब तक पिघलाया जाये !!
शमा को पिघलने से कब तलक रोका जाये !
मरे हुए को कब तक जलाने से रोका जाये !
@ गोविन्द नारायण शर्मा