रूह में भला बिना ख्वाहिश उतरता कौन हैं,
आँख मूंद भरोसा किसी पर करता कौन हैं!
जान देने को अक्सर उल्फ़त में कहते तो हैं,
पतंगे की तरह दीपक पर यूँ मरता कौन हैं!
इश्क में मंज़िल नही सफर बेहद खूबसूरत हैं,
रूह में जुनून बन उतरे वही सच्ची इबादत हैं!
कुछ तुम ले गये कुछ बेदर्द जमाना ले गया,
इतना शुकूँ भला हम लाते फ़िर कहाँ से गोया
देखकर दर्द किसी का जो आह निकलती हैं,
बस इतनी सी बात इंसाँ को इंसाँ बनाती हैं !
एक ग़ज़ल तेरे हुस्न के लिए जरूर लिखूँगा ,
बेहिसाब बेवफा उसमें तेरा कसूर लिखूँगा !
टूट गये बचपन के सारे खूबसूरत खिलौने,
अब दिलों से खेलना तेरी फ़ितरत लिखूँगा!
आईना देखोगे तो हरदम मेंरी याद आएगी,
साथ बीती वो पहली मुलाकात याद आयेगी!
पल भर को सांसे भी सांसों में ठहर जायेगी ,
जब आपको मेरी कोई बात याद आयेगी !
जिसकी आरजू थी उसी का प्यार न मिला !
बरसों इंतजार किया उसी का साथ न मिला !
अजीब दस्तूर इश्क का हर वक्त सिला मिला,
किसी को हम ना मिले कोई हमें ना मिला!
न हम उनसे मिले होते न मोहब्बत होती,
जिंदगी जो अपनी थी वो परायी न होती !
आज किसी की दुआओं की बेहद कमी है,
तभी आँखों से अश्क की दरिया बहती हैं!
कोई है जो हमें रूह में उतर बिसरा ही गया,
तेरी यादों में दिल कतरा कतरा बिखर गया!
फूँक की भी जरा अहमियत सरगम में होगी,
बांसुरी तो बहुत सस्ती हाट में बिकती होगी !
जाने वो मासूम कौनसे खिलोने से खेलता हैं,
तपिश में माँ की दवा को खिलौने बेचता हैं !
बेदर्द जिन्दगी तेरे सफर से शिकायतें बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुंचे कतारे लंबी थी!
अपने हालात का अहसास नही हैं मुझकों,
मैंने औरों से सुना है कई मर्तबा परेशां हूँ मैं !
@ गोविन्द नारायण शर्मा