शायरी: जब वो चली ही गई
मोहब्बत के सारे निशां मिटाकर गयी हैं वो ,चीरकर दिल तड़पता ठुकराकर गयी हैं वो! घोंपकर खंजर दिल में मरा जानकर गयी है,हाथों से कत्ल के सबूत मिटाकर गयी हैं…
(M.A. B.ED, NET, SET, Ph.d, LL.B)
मोहब्बत के सारे निशां मिटाकर गयी हैं वो ,चीरकर दिल तड़पता ठुकराकर गयी हैं वो! घोंपकर खंजर दिल में मरा जानकर गयी है,हाथों से कत्ल के सबूत मिटाकर गयी हैं…
शृंगार पर सार्थक काव्य इस रचना के रचनाकार गोविन्द नारायण शर्मा है यह इनकी मौलिक रचना है। ____________________________ अधर मोन हो गये पलक चिलमन बात,ना तू सुने ना मैं ये…
जेठ मास की तपन : काव्य के रचनाकार गोविंद नारायण शर्मा जेठ मास की भीषण गरमी लू चाले ताती,ऊपर फलक झुलसे तपती जमीं की छाती! उगता सूरज अगन बरसावे निष्ठुर…
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