तेरी चाहत दिल मे दबी पालूँ सेजाँ मिलन री प्रीत,
खेलूँ तुझ संग बाजी प्रेम की तू हारे मैं जाऊं जीत!

चाहत में तेरी सजन बंधी मन मिलन एक तरंग,
तू कब आयेगा साजना सूनी सेजाँ बिन तोरे संग!

अधरों पर सज रहे तुझसे मधुर मिलन के गान,
तुझ संग रैना बीते मन मयूरा भरता उतंग उड़ान!

प्यासे चातक सी तड़प मिल कर बुझाओ सजन ,
जेठ की दोपहरी सा तप रहा तुझ बिन प्यासा बदन!

तुझ संग आलिंगन की आस में मैं तो हुई बेहाल,
कब मिल मलेगा मोरे गोरे बदन पे अबीर गुलाल!

तुझ बिन अगन बरसाते ये चमन के खिले गुलाब,
रतियाँ भर करवट बदलूँ हुई मैं तो बावरी बेताब !

तेरी चाहत मन बसी मिलन उत्कंठा एक आस,
अधरों पर सजे तेरा चुम्बन नयन दर्शन प्यास!

होली के मिस गोद भरण को आ जावो सजन,
फिर आंगन में तोरे रूप रंग का किलकेगा बचपन!

सब संग कहत न बनत हैं क़हत सन्देश लजात,
कहत सब तेरो हियो सजन मेरे हिवड़े की बात!

ताप विरह का शमन करो बळम बदन लगाय,
मैं भयी अलबेली गोविन्द तुझसे प्रीत लगाय!

@ गोविन्द नारायण शर्मा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page