आप “परिवार ” रूपी माला के अनमोल मोती हैं,परिवार से जुड़े रहे। परिवार हमारी संस्कृति और धर
स्कूल में अध्यापक ने एक बच्चे से पूछा कि वार कितने होते हैं ? बच्चे तो बच्चे होते हैं बड़ी मासूमियत से उत्तर दिया कि पहले आठ वार हुआ करते थे अब सात वार हैै ।अध्यापक बच्चे का जवाब सुनकर चौंके जरूर वो जानना चाहते थे यह बच्चा क्या कहना चाहता है । पूछा कि आठवां वार कौन सा है बच्चे ने जवाब दिया की आठवां वार परिवार हुआ करता था जो कहीं खो गया लोग परिवार का महत्व नहीं समझते इसलिए आज सात वार ही है । बच्चे के जवाब में कटु सत्यता थी, बड़ा गूढ़ रहस्य था । परिवार विशेषकर संयुक्त परिवार जैसी संस्कृति आज अपना महत्व खोती जा रही है संयुक्त परिवार टूटकर एकल परिवार निर्मित हो रहे हैं यह संकीर्णता का प्रतीक है यह स्वार्थ और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
- परिवार का अर्थ औऱ परिभाषा
परिवार शब्द अंग्रेजी भाषा के ” Family ” शब्द का हिन्दी रूपांतर है। ” Family ” शब्द लैटिन भाषा के Famulus ” शब्द से निकला है। ” जिसका अर्थ ऐसे समुह से लगाया जाता है जिसमे माता, पिता, बच्चे, नौकर तथा यहां तक कि दास भी शामिल किये जाते है। लेकिन वास्तव मे इस शाब्दिक अर्थ से परिवार का वास्तविक अर्थ स्पष्ट नही होता है।
जहां तक भारत की बात है तो भारतीय संस्कृति एक अहम विशेषता रही है संयुक्त परिवार जहां कम से कम तीन पीढ़ियों के व्यक्ति, रक्त संबंध वाले व्यक्ति एक साथ एक मकान में साथ मिल कर रहे लेकिन किसी घर / मकान में साथ रहना मात्र ही परिवार नहीं कहलाता है बल्कि एक साथ जीना ,एक दूसरे की भावनाओं को जीना ,एक दूसरे की भावनाओं को समझना, एक दूसरे की चिंता करना , दुख – दर्द खुशी हर मौके में एक साथ मिलकर रहना एक दूसरे के एहसास को समझना यही परिवार कहलाता है ।
डॉ. एन. मजूमदार के अनुसार ” परिवार ऐसे व्यक्तियों का समूह है जो एक ही छत के नीचे रहते है, रक्त से संबंधित होते है और स्थान, स्वार्थ और पारस्परिक आदान-प्रदान के आधार पर एक किस्म की चेतनता अनुभव करते है।
- कब मनाया जाता है ? अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस
निश्चित रूप से न केवल वैश्विक स्तर पर बल्कि भारत जैसे सांस्कृतिक मूल्यों वाले देश में जहां संयुक्त परिवार की प्रथा, संस्कृति और सभ्यता रही है संयुक्त परिवार जिस देश की अमूल्य धरोहर हुआ करती थी । वहां पर भी वर्तमान में संयुक्त परिवार और एकल परिवार की बढ़ती हुई संस्कृति के कारण परिवार का महत्वपूर्ण होता देखा जा रहा है इसीलिए परिवार का महत्व बताने और और परिवार के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य के तहत संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा 1993 में पारित एक प्रस्ताव के तहत प्रति वर्ष 15 मई को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
- पहला अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस कब मनाया गया
संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 1993 में एक संकल्प पारित कर के प्रति वर्ष 15 मई को अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी । अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस सबसे पहले संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के द्वारा मनाना करना शुरू किया गया था और यह पहली बार 15 मई 1994 को मनाया गया था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाए जाने की शुरुआत 1996 में हुई थी इसी वर्ष पहला अंतरराष्ट्रीय दिवस परिवार दिवस मनाया गया था । प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की एक टीम निश्चित की जाती है।
- भारत की अमूल्य धरोहर संयुक्त हैं परिवार
वर्तमान भौतिकवादी दौर में भारत से संयुक्त परिवार की प्रथा कहीं खो गई हो और एक नई संस्कृति एकल परिवार की संकीर्ण सोच के साथ संयुक्त परिवार रूपी अमूल्य धरोहर हमारी संस्कृति से न जाने कहां गायब हो रही है हालांकि आज भी गांव में कुछ सीमा तक संयुक्त परिवार की कथा और उसकी जड़े जिंदा है । यह एक चिंतनीय विषय है कि टूट कर बिखर के परिवारों की पीछे वजह क्या हो सकती है, क्यों एक अजीब सी संस्कृति हमारे देश में पनप रही है ? क्या हमारे व्यक्तिगत स्वार्थ और पश्चिमी संस्कृति इतनी हावी हो चुकी है कि हम अपनी संयुक्त परिवार रूपी धरोहर को छोड़कर अपनी एक अलग ही दुनिया बसाने में लगे हैं।
इंसानी बिरादरी में युगो युगो से परिवार का भी अपना महत्व रहा है विशेषकर भारत मे तो इसे स्वर्ग का रूप माना गया है । विभिन्न कथावाचक, प्रवचनकर्ताओं ,साधू सन्यासियों ,विभिन्न धर्म ग्रंथों के द्वारा परिवार का महत्व बताया जाता है और आमजन में जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया जाता है और परिवार को स्वर्ग की उपमा दी जाती रही है । आज परिवार टूटने के पीछे वजह क्या हो सकती है । इस विषय पर विद्वानों ,साधु सन्यासियों और आम जनता के अपने-अपने मत और विचार हो सकते हैं फिर भी आज व्यक्ति की भौतिकवादी सोच, व्यक्तिगत स्वार्थ , अर्थ का बढ़ता महत्व, लोगों में सहन शक्ति का अभाव, संवेदनहीनता का बढ़ता प्रभाव ,परिवार के प्रति त्याग और समर्पण की भावनाओं का अभाव,जैसे कारण उत्तरदायी हो सकते हैं । तारण जो कुछ भी रही हो लेकिन भारत की सांस्कृतिक धरोहर मानी जाने वाली संयुक्त परिवार तथा हर संकट के दौर से गुजर रही है।
सामाजिक सरोकार से जुड़ी हुई एक फिल्म घर द्वार का वह गाना आज अपनी सार्थकता खुद-ब-खुद बयान कर रहा है कि -” स्वर्ग से सुंदर सपनों से प्यारा हमारा घर द्वार किसी का साथ न छूटे किसी का परिवार न टूटे ” । भाई भाई से अलग हो रहा है इकलौती संतान माता-पिता से अलग हो रही है । क्या माता पिता ने इसी दिन के लिए आपको पाल पोस कर बड़ा किया था । जब बुढापे में उनको सहारे की आवश्यकता हो और उन से मुंह मोड़ लो अपने परिवार को छोड़कर अपना एक परिवार और दुनिया बसा लो।
- कभी नही टूटेगा आपका परिवार बस अपनाये ये उपाय
1 अपने तो अपने होते हैं कुछ बातों में मतभेद भले हो लेकिन उस मतभेद को मतभेद न बनाया जाए क्योंकि मन भेद से परिवार टूट जाया करते हैं ।
2 परिवार में सबसे बड़ी आवश्यकता है कि परिवार जन अपनी भाषा पर संयम रखें ऐसे शब्दों का प्रयोग कभी ना करें जो किसी दूसरे के मन को कष्ट पहुंचाएं या जो दूरियां पैदा कर दे भाषा कभी न भरने वाले घाव दे जाते है ।
3 इंसान का पल भर का क्रोध परिवार औऱ जिंदगीयां उजाड़ देता है ।परिवार को खत्म कर देता है। रिश्तो को खत्म कर देता है। परिवार में क्रोध कि नहीं प्रेम की आवश्यकता है जो एक दूसरे को जोड़ रखा है।
4 क्षमा करने का गुण एक ऐसा कहना है जो परिवार की कीमत बढ़ा देता है । परिवार में जब कभी भी किसी छोटी मोटी बात को लेकर नोकझोंक हो जाए तो क्षमा करने का बड़ा दिल दिखाते हुए समस्या का समाधान करें ।
5 परिवार से बढ़कर कोई नहीं होता अपनों से बढ़कर कोई नहीं होता इसलिए परिवार की छोटी मोटी बात को परिवार की छोटी होती नोकझोंक को बाहर जाकर प्रचार ना करें शायद बाहर वाले आपकी बातों को अपना हथियार बनाकर आप मतभेद पैदा कर परिवार को तोड़ सकते हैं ।जितना हित आपका आपकेे परिवार वाले चाहेंगे उतना हित कोई बाहर वाला नहीं चाहेगा इस बात को हमेशा याद रखें ।
6 परिवार है अपनों के बीच कभी कुछ नाराजगी हो सकती है लेकिन नाराज होने पर बोलचाल बंद ना करें । बोलचाल बंद करने पर सुलह के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं जो कि परिवार के सदस्य के बीच दूरियां बढ़ाते हैं ।
7 आप अपनी दिनचर्या में व्यवसाय में चाहे जितने व्यस्त हो लेकिन अपने परिवारजनों को वक्त जरूर दें । उनके साथ वक्त गुजारे उनकी बातों को सुने अपनी कुछ बातें उन्हें बताएं । इस प्रकार पारिवारिक सदस्यों के बीच अपनापन बना रहेगा।
8 बुजुर्ग हमारे परिवार की अमूल्य धरोहर होती है , बच्चों को अपने दादा दादी से दूर नहीं करें बल्कि उनको उनके साथ वक्त गुजारने का मौका दें उनके साथ बैठने दे, इससे बच्चे का सामाजिकरण भी होगा और परिवार में अपनापन भी बढ़ेगा।
9 संदेह करने से परिवार टूट जाया करते हैं परिवार में अपनों के बीच रहकर अपनों पर किसी प्रकार का संदेह न करें । यह प्रयास करें कि ऐसा कोई कार्य और आचरण ना किया जाए जिससे कि दूसरे भी आप पर कोई संदेश करें और आप भी किसी और पर संदेश ना करें ।
10 परिवार के बच्चों के लालन-पालन इस प्रकार करें कि उनके मन में परिवार का महत्व और उसके प्रति सम्मान की भावना पैदा हो क्योंकि यही आज के बच्चे कल जाकर परिवार का आधार बनेंगे ।
11 परिवार में असमानता का व्यवहार दूरियां बढ़ा देता है ।ऐसा कोई कार्य ऐसा, कोई व्यवहार ना किया जाए जिससे परिवार के सदस्य को यह लगे कि उनके साथ असमान व्यवहार किया जा रहा है ।
12 परिवार के हर सुख दुख में सहभागी बने, एक दूसरे का सहयोग करें ,एक दूसरे की मदद करें, कार्यों में एक दूसरे का हाथ बटायें । आपका यही व्यवहार परिवार में अपनेपन का वातावरण पैदा करने में सहायक होगा ।
13 परिवार का कोई भी संकट हो उसका मिलकर सामना करें । बस यही कहे कि ” चिंता मत करो हम है ना ” बस यही भाव औऱ शब्द आपके परिवार को जोड़ें रखेगा ।
14 परिवार में माता-पिता के द्वारा टोका टोकी करने को अपनी स्वतंत्रता में बाधा न समझे । वह जो भी सोचेंगे आपके हित के लिए ही सोचेंगे ।
15 पराए घर से आने वाली एक बहू को एक बेटी की तरह प्रेम दे । उसे भी एक बेटी की तरह समझे तो दुनिया की कोई ताकत नहीं है कि परिवार टूट जाए ।
16 घर की लक्ष्मी मानी जाने वाली बहु अपनी सास को केवल पति की मां न समझे बल्कि उसे अपनी मां की तरह समझ कर उसे मान सम्मान दें ।
17 याद रखें परिवार से बढ़कर कुछ नहीं है परिवार से बढ़कर कोई दूसरा हितेषी नहीं है ।
18 परिवार तो परिवार होता है । परिवार में तेरे और मेरे भाव या इस प्रकार की विचारों और इस प्रकार की भाषा का प्रयोग ना करें बल्कि हम की भावना बनाए रखनी होगी।
19 समाज में हमेशा ही जयचंद का इतिहास रहा है। ऐसे जयचंद के प्रभाव में आकर परिवार से बगावत हैं ना करें।
20 आपके नहीं चाहते हुए भी आपको समाज में ऐसे रायचंद मिल जाएंगे जो बिन आपको बिना मांगे ही राय देने लगेंगे ।आपके मन मस्तिष्क में तेरे- मेरे और अपने- पराए की भावना पैदा करने की प्रयास कर सकते हैं आप हमेशा ऐसे राय चंदो से दूर रहें।
21 अपने परिवार जनों पर हमेशा विश्वास बनाए रखें ऐसा कोई कार्य नहीं करें जो किसी के विश्वास को ठेस पहुंचे।
आप परिवार रूपी माला के अनमोल मोती हैं , उस माला से जुड़े रहे । परिवार आपस में जुड़ा रहेगा तो घर में प्रेम, सुख, शांति का वास होगा । यही हमारी संस्कृति है, यही हमारी परंपरा है ।