रंग बिरंगी होली आयी,
गोरी सतरंगी बनठन आयी
गुब्बारे में प्रेमरंग भरके लायी
मस्तानो की टोली आयी,

क़ातिल निगाहे गजब डाहे,
गोरी रंग मलती बाहँ उठाये
भीगी चुनरी चोली खेलो होली

नैन नशीले बदन गठीला,
पिया रंग मले बड़ा हठीला
होली के मिस करें ठिठोली

गाल गुलाबी सुरमई नैनो वाली
तिरछे नैन घूंघट की ओट बोली
पिया मोरे संग खेलो न होली

होंठ रसीले नयन बड़े नशीले,
सूरत बिल्कुल भोली भाली सी
मेरे जीवन बगिया की रंगोली सी
प्रेम बरसाये भक्ति की डोली

इकटक निहारती नैन झुकाए
तिरछी चितवन मन्द मुस्काए
होली के रंग में रंगने को बुलाये

रचनाकार: गोविंद नारायण शर्मा

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