राजस्थान के अजमेर जिले में केकड़ी तहसील में बघेरा के नाम से प्रसिद्ध एक कस्बा जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है प्राचीन कला संस्कृति और सभ्यता को अपने में समेटे हुए यह छोटा सा कस्बा पौराणिक आध्यत्मिक ऐतिहासिक प्राचीन और पुरातात्विक दृष्टि से एक अलग ही महत्व और स्थान रखता है ।
- बघेरा कस्बे में है पौराणिक ब्रह्माणी मंदिर
बघेरा के नाम से जाने जाने वाला यह कस्बा कभी व्याघ्र पुर नाम से जाना जाता था जिसका वर्णन आज से करीबन 5000 वर्ष पूर्व भी मिलता है इससे इस कस्बे की प्राचीनता ऐतिहासिकता का अंदाज और अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है इस कस्बे में ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के मंदिर ओर इमारते और कलाकृतियां आज भी अपना ध्यान सहज आकर्षित करती है ।
- जन जन की आस्था का केंद्र है यह मंदिर :
ऐतिहासिक और पौराणिक इस नगरी में ब्रह्माणी माता मंदिर के बारे में मैं आज आपका परिचय करवाता हूँ कस्बे के पश्चिम की तरफ राज्य राजमार्ग संख्या 116 पर काली पहाड़ी की तलहटी में ब्रह्माणी माता का पौराणिक एवं प्राचीन मंदिर जहां आज भी सैकड़ों की संख्या में माता रानी के भक्तजन व श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं इस पौराणिक मंदिर में माता ब्रह्माणी की सुंदर ओर ममतामय प्रतिमा, मूर्ति स्थित है जोकि काली पहाड़ी के पत्थर में खुदाई की हुई है जहां पर भक्तजन, श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने की आशा और विश्वास लेकर माता के दरबार मे हाजरी देते है ओर प्रार्थना करते हैं यहां पर दर्शनार्थियों का हमेशा ही तांता लगा रहता है विशेषकर नवरात्रा में तो यहां मेले का माहौल रहता है दूर-दूर से दर्शनार्थी यहां दर्शन करने आते हैं , कोई पैदल यात्रा करके आता है तो कोई दंडवत करते हुए आता है अपनी मनोकामनापूरी होने पर भक्तजन यहां भजन संध्या , सवामणी अनुष्ठान करते हैं ।
- व्याघ्रपाद पुर महात्म्य और ब्रह्माणी मंदिर
मन्दिर की ऐतिहासिकतामाता रानी के दरबार की ऐतिहासिकता को और इसकी प्रमाणिकता को इतिहास के पौराणिक ग्रंथ भी प्रमाणित करते पौराणिक मान्यताओं के दृष्टिकोण से इस शक्तिपीठ की स्थापना 108 देवी शक्तिपीठों में से एक प्रमुख स्थान माना जाता है जो कस्बे के डाविका नदी जिसे आज डाई नदी के नाम से जाना जाता है के किनारे स्थित है। इस शक्तिपीठ की स्थापना का उल्लेख व्याघ्रपाद पुर महात्म्य में विस्तार से प्राप्त होता है जिसमे बताया गया कि व्याघ्रपादपुर नामकरण से पूर्व यह स्थान दुर्गा तीर्थ के नाम से जाना जाता था।
व्याघ्रपाद पुर महात्म्य ग्रंथ इसके ऐतिहासिकता और प्रमाणिकता को प्रमाणित करता है ग्रंथो के अनुसार इसका व्याघ्रपादपुर के नामकरण से पूर्व दुर्गा पीठ के नाम से भी जाना जाता था उस समय यहां पर दुर्गांबिका के मंदिर की मान्यता के कारण ही इसे यह नाम दिया गया था ।
- कब और किसने स्थापित की प्रतिमा
राजस्थान के ऐतिहासिक बिजोलिया शिलालेख से भी इसकी ऐतिहासिकता प्रमाणित होती है बिजोलिया से प्राप्त शिलाखंड पर उत्कीर्ण संगत 1226 ईसवी के चौहान सम्राट मोरेश्वर के अभिलेख में इस तीर्थ का उल्लेख मिलता है इसके अतिरिक्त इस ऐतिहासिक ग्रंथ के अलावा किवदंतीयो से भी इस ऐतिहासिक पौराणिक गांव बघेरा का संबंध ये साबित करता है कि किसी न किसी प्रकार से तीर्थराज पुष्कर से भी रहा है यह एक अलग विषय है कि समय के अनुसार प्रचार-प्रसार के अभाव में , आवागमन के साधनों के अभाव की वजह से यह ऐतिहासिक पौराणिक गांव पिछड़ गया था लेकिन ऐतिहासिक ग्रंथ और किंवदंतियों के रूप में आज भी एहसास दिलाती है ।
- पुष्कर के ब्राह्मणों ने की थी प्रतिमा स्थापित
बताया जाता है कि सर्वप्रथम पुष्कर के ब्राह्मणों ने ब्रह्माणी माता मंदिर में माता रानी की प्रतिमा स्थापित की थी साथ ही बताया जाता है कि एक समय ब्राह्मणों ने उज्जैन की यात्रा की थी पूर्व में यह यात्रा का मार्ग भी रहा है अनेक ऐतिहासिक तथ्य इसे प्रमाणित करते हैं !
ब्राह्मणों की इस यात्रा के मार्ग में बघेरा से गुजरते समय घने जंगल में भटक गए थे तभी उन्होंने इस संकट के दौर से निकलने के लिए मां दुर्गा की पूजा अर्चना की पूजा-अर्चना से मां दुर्गा की कृपा से उन्हें यहां पत्थर में भी पानी मिला था।
- रमणीय है माता की तलाई
आज भी उस स्थल को माता की तलाई के नाम से जानते हैं उन्होंने आनंदविभोर होकर देवी की प्रतिमा स्थापित की निश्चय ही वर्तमान में ब्राह्मणी माता मंदिर वही स्थान है जहां पर आज भी माता रानी का भव्य मंदिर बना हुआ है यह एक अलग विषय है कि इसको आधुनिक रूप दे दिया है लेकिन आज भी भक्तजनों में वही आस्था देखने को मिलती है भक्तजन दूर-दूर से माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं न केवल राजस्थान बल्कि दूसरे राज्यों से माता के भक्त जन माता रानी के दर्शन करने के लिए आते हैं ।
- अनपूर्णा देवी की प्रतिमा भी करती है आक्रसित
ब्राह्मणी माता मंदिर परिसर में ही त्रिभुजाकार एक पाषाण पर उत्कीर्ण एक प्रतिमा है जिसे लोग आज भी तारा देवी के रूप में सिंदूर लगाकर पूजते हैं इसके पास एक पाषाण पर अन्नपूर्णा देवी के रूप में भी प्रतिमा स्थापित है जो भी ऐतिहासिक आधार पर अपना अलग ही महत्व रखते हैं माता रानी की प्रतिमा बडी ही ममतामई प्रतिमा है लोग माता के दर्शन करके बडे ही भाव विभोर हो जाते है।भक्तजनो की सुविधा के लिए आधुनिक समय के अनुसार माता रानी के मंदिर में बगीचे ,धर्मशालाएं बनी हुई है माता रानी के सच्चे भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण होती है इसी आस्था और विश्वास को मध्य नजर रखते हुए मंदिर में हमेशा ही भक्तजनों की भीड़ लगी रहती है।
सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए पूरे मंदिर परिसर को सीसीटीवी कैमरा की देखरेख में सुरक्षा के साधन संसाधन उपलब्ध है ब्रह्माणी माता मंदिर विकास समिति के सभी सदस्यों और भक्त जनों का आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि उनकी देखरेख उनके प्रयासों से ब्रह्माणी माता मंदिर परिसर का विकास प्रक्रियाधीन है ।ऐसा
- बघेरा है मेरा …
कण-कण में इसके आध्यात्म छुपा है ,हर एक कण में पूरा इतिहास छुपा है ।
छुपा है हर जुबां पर इसका गुणगान,हर सांस में छुपा इसका स्वाभिमान है।।,,- डॉ ज्ञान चन्द जांगिड़