- बघेरा में स्थित मौलश्री का वृक्ष रखता है विशेष महत्व
ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक महत्व वाला बघेरा कस्बा जो कि अजमेर जिले की अंतिम सीमा पर स्थित है। ऐतिहासिक और आध्यात्मिक इमारतों /मंदिरों/स्मारक के दृष्टिकोण से महत्व रखने वाले इस कस्बे में इनके अलावा आज हम बात करते हैं कस्बे में एक प्राकृतिक और आध्यात्मिक औषधीय महत्व रखने वाले एक प्राचीन वृक्ष के बारे में ।जी हां हम बात कर रहे हैं विश्व प्रसिद्ध महा वराह मंदिर परिसर में एक के प्राचीन वृक्ष मोल वृक्ष के बारे में जो सैकड़ों वर्षो से अपने ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व को खुद ब खुद बयान कर रहा है यह प्राचीन वृक्ष कोई सामान्य वृक्ष नहीं हैं । बघेरा के महावराह मंदिर परिसर में स्थित यह वृक्ष इसलिए भी महत्व रखता है कि सैकड़ो किलोमीटर दूर-दूर तक इस प्रकार का कोई वृक्ष नहीं है ऐसी मान्यता क्षेत्रवासियों की है।
- अद्वितीय है बघेरा का मौलश्री वृक्ष
मौलश्री एक सुपरिचित वृक्ष है. इसे संस्कृत में केसव, हिन्दी में मोलसरी या बकुल, बंगाली में गांछ, गुजराती में बोलसरी कहते है। मौलश्री एक औषधीय वृक्ष है, इसका सदियों से आयुर्वेद में उपयोग होता आ रहा है। इसके चमकीले हरे पत्ते वृक्ष की सुन्दर बनावट मन को मोह लेती है। इसके पुष्प खूबशूरत होने के साथ साथ अपनी खुशबु से वातावरण में ताज़गी भर देता है साथ ही हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर ही लेता है ।

- मौलश्री वृक्ष और उसका धार्मिक महत्व
यह वृक्ष न केवल औषधीय बल्कि आध्यात्मिक महत्व रखता है बताया जाता है कि लड़का या लड़की कोई भी माॅगलिक हो तो यह वृक्ष है उनके इस मांगलिक दोष को दूर करने में एक्शन जीवन के रूप में कारगर साबित होता है आप नित्य मोलश्री की जड़ में जल चढ़ाने पूजा पाठ करने इस की परिक्रमा करने से मंगल दोष का शमन हो जाता है। बताया जाता है कि इसकी पूजा से पूण्य लाभ होता है इस कारण इसकी पूजा करने वालो का तांता लगा रहता है दूर दूर के लोग इसकी पूजा कर पूण्य लाभ के लिये आते हैं।
- मौलश्री वृक्ष और उसके औषधीय गुण

मोलश्री वृक्ष आध्यात्मिक महत्व रखने के साथ-साथ औषधीय महत्व भी रखता है बताया जाता है कि मोलवृक्ष सर दर्द तथा किसी भी प्रकार के घाव को शीघ्रता से भरना दांतों में किसी प्रकार की समस्या ,दांत दर्द आदि के निदान के लिए विशेष महत्व रखता है ।
- मौलश्री वृक्ष और वास्तु दोष निवारण
जानकारों के द्वारा बताया जाता है कि धार्मिक और औषधीय महत्व के साथ साथ घर में किसी भी प्रकार की वास्तु दोष को दूर करने में भी विशेष महत्व रखता है जानकारों की माने तो मोलश्री का यह वृक्ष घर की सीमा के अन्दर लगाने से घर के वास्तु दोष का प्रभाव कम हो जाता है।

वराह मंदिर परिसर में यह वृक्ष रखता है विशेष महत्व दूर-दूर तक नहीं है ऐसा कोई दूसरा वृक्ष ।
- मंदिरो में होता है यह वृक्ष
सामान्यतया मोल वृक्ष का यह पौधा मंदिरों में लगाया जाता है । कस्बे के वराह मंदिर परिसर में स्थित मोलश्री वृक्ष के बारे में क्षेत्र के वृद्धजनों के द्वारा बताया जाता है कि महां वराह मंदिर परिसर में स्थित यह वृक्ष एक प्राचीन और सेकड़ो वर्ष पुराना है इसके अतिरिक्त दूर दूर तक सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में इस प्रकार का कोई दूसरा वृक्ष नहीं है।

इस वृक्ष के छोटे छोटे और बहुत ही सुंदर खुशबुदार पुष्प होते हैं इनके बीजों से एक नया वृक्ष बोया जा सकता है आज आवश्यकता इस बात की है कि आध्यात्मिक और औषधीय महत्त्व रखने वाले इस वृक्ष के बीजों से क्षेत्र में मौलश्री वृक्ष के पेड़ लगाए जाने की शुरुआत की जानी चाहिए ब्रह्माणी माता परिसर में स्थित पार्क में अगर इसके कुनबे को बढ़ाया जाए तो आसपास के क्षेत्र में यह पहला पार्क होगा जहां पर मौलश्री के वृक्ष होंगे मौलश्री का पेड़ का पार्क होगा ताकि इस अमूल्य धरोहर को बचाया जा सके और आने वाली पीढ़िया इससे लाभान्वित भो सके और इतिहास बको संजोये रख सके। आओ मिलकर प्रयास करते है।
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