दूसरे महायुद्ध की समाप्ति के पश्चात भले ही विश्व शांति के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना की गई हो लेकिन पूरा विश्व दो विचारधाराओं या यूं कहे कि दो महा शक्तियों में बट चुका था। इन महाशक्तियों के बीच विश्व में अपना अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए प्रतिस्पर्धा थी इस कारण पूरा विश्व अघोषित युद्ध शीत युद्ध के दौर में गुजर रहा था।
शांति के लिये प्रयासों के अंतर्गत जब पूंजीवादी राष्ट्रों का नेता अमेरिका और साम्यवादी राष्ट्रों के गुट का नेता सोवियत संघ आपस में अपने अपने हितों की पूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ को अपना अखाड़ा बनाने में लगे हुए थे विशेषकर सोवियत संघ अपने वीटो अधिकार के अनावश्यक प्रयोग से सुरक्षा परिषद के कार्य को बाधित कर रहा था । जिसके कारण ‘ संयुक्त राष्ट्र संघ को मानो लकवा मार गया हो’ वह अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रहा था।
- शांति के लिये एकता प्रस्ताव क्या है ? –
संयुक्त राष्ट्रसंघ सुरक्षा परिषद में सोवियत संघ के कारण हो रही परेशानियों से निजात पाने शांति के लिए के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा शांति के लिए एकता प्रस्ताव लाया गया। शांति के लिए एकता प्रस्ताव द्वारा महासभा को सामूहिक कार्यवाही एवं सेना का उपयोग करने की सिफारिश का अधिकार प्राप्त हो गया । विश्व शांति स्थापना करने के लिए 24 घंटे के भीतर ही महासभा का आपातकालीन अधिवेशन बुलाने का प्रावधान किया गया।ध्यातव्य :-इस प्रस्ताव के सम्बन्ध में विधिशास्त्री कुन्ज ने कहा था कि – “यह सुरक्षा परिषद् से कुछ शक्तियां लेकर महासभा को देने का प्रस्ताव था जिससे निषेधाधिकार (वीटो) से संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति के कार्य के आने वाली बाधाओं से बचाया जा सके तथा संयुक्त राष्ट्र के अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति तथा सुरक्षा बनाये रखने के कार्य में कुछ संशोधन लाया जाय“।U
- क्यों लाया गया शांति के लिए एकता प्रस्ताव
सोवियत संघ के द्वारा सुरक्षा परिषद में बार बार वीटो शक्ति का प्रयोग करने या कार्यवाही में उसके अनुपस्थित रहने के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही थी मानो संयुक्त राष्ट्र संघ पंगु बन चुका हो ।इन्हीं बाधाओं को दूर करने के लिए महासभा में शांति के लिए एकता प्रस्ताव लाया गया था।
- उत्तरी कोरिया बना इसका तत्कालीन कारण
शीत युद्ध के दौरान जब उत्तरी कोरिया द्वारा किए जाने वाले आक्रमण को सोवियत संघ के वीटो के कारण सुरक्षा परिषद रोक पाने के अंदेशे और भय और की वजह से संयुक्त राज्य अमेरिका की पहल पर महासभा में शांति स्थापना करने की दिशा में एक प्रयास शुरू किया जिसका नाम “शांति के लिए एकता प्रस्ताव है” ताकि किसी स्थाई सदस्य के वीटो केे कारण संयुक्त राष्ट्र संघ को निष्क्रिय या पंगुु नहीं बनाया जा सके।
- USA द्वारा लाया गया यह प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र महासभा में संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वारा “शांति के लिए एकता” प्रस्ताव लाया गया था जिसे महासभा द्वारा 03 नवंबर 1950 को पारित किया गया था। शान्ति के लिए एकता प्रस्ताव 1950 का रूस (सोवियत संघ ) द्वारा विरोध किया गया लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ने इस प्रस्ताव को अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार किया।
- क्या प्रावधान है इस प्रस्ताव में
शांति के लिए एकता प्रस्ताव से अब सुरक्षा परिषद में किसी सदस्य के वीटो या किसी सदस्य की अनुपस्थिति से विशेषकर सोवियत संघ के वीटो के द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यवाही में बाधा नहीं बनने दिया जा सकता है । इसीलिए शांति के लिए एकता प्रस्ताव में यह प्रावधान किया गया कि-( ध्यातव्य:- संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में कुल 111 अनुच्छेद और 19 अध्याय है)
• सुरक्षा परिषद के कुल 9 सदस्यों के मत से या महासभा के अधिकतम/बहुमत सदस्यों द्वारा प्रार्थना किए जाने पर 24 घंटों के भीतर ही महासभा का आपातकालीन अधिवेशन बुलाया जा सकता है।
• शांति के लिए एकता प्रस्ताव से सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों सहित एक 14 सदस्य शांति निरीक्षण आयोग की स्थापना का प्रावधान किया किया गया । यह आयोग अंतरराष्ट्रीय तनाव उत्पन्न होने की स्थिति में जिससे शांति व सुरक्षा को खतरा उत्पन्न होने की संभावना हो उसका निरीक्षण कर और उस बारे ।के अपनी रिपोर्ट देना है।
• शांति के लिए का प्रस्ताव मैं महासभा को सामूहिक कार्यवाही एवं सेना का उपयोग करने की सिफारिश का अधिकार का प्रावधान किया गया ।
ध्यातव्य -संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर के अनुच्छेद 07 के प्रावधानों के अनुसार महासभा सामूहिक कार्यवाही को अमल में ला सकती है । इसकेे अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर केेे अनुच्छेद 43 भी में इस बारे में उल्लेेख किया गया हैै।