भारतीय संविधान निर्माण का भी अपना एक अलग इतिहास और अपनी दिलचस्प जानकारियां,तथ्य और रोचक कार्यप्रणाली रही है। संविधान निर्माण में संविधान के प्रारूप का भी अपना महत्व है जिसे संविधानरूपी इमारत की नींव कहे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है।
- प्रारूप बी.एन.राव ने किया था तैयार
संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ.भीमराव अंबेडकर थे जिनके नेतृत्व में 21 फरवरी 1948 को संविधान का प्रारूप संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद को सौंपा था लेकिन आपको विदित होगा ही कि संविधान का पहला प्रारूप डॉ आंबेडकर या प्रारूप समिति ने तैयार नही किया था बल्कि संवैधानिक सलाहकार बी.एन.राव(जो संविधान सभा के सदस्य नहीं थे) द्वारा तैयार किया था।
- अपने हाथो से अंग्रेजी में लिखा था संविधान
संविधान सभा द्वारा अंतिम रूप से जो संविधान तैयार किया था उसे प्रारूप समिति ने या बी एन राय ने नही बल्की किसी ओर ने अपने हाथो से कलमबद्ध किया था या यूं बोले कि किसी ओर ने अपने हाथो से लिखा था जिनको हम संविधान के स्तंभकार कह सकते है और वह महान व्यक्ति है प्रेम बिहारी नारायण रायजादा। संविधान को अपने हाथों से आकार देने वाले,संविधान को लिपिबद्ध करने वाले, संविधान को अपने हाथों से कलमबद्ध करने वाले और लिखने वाले व्यक्ति का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखे जाने के हकदार हैं।
- कौन है ? प्रेम बिहारी नारायण रायजादा
प्रेम बिहारी नारायण रायजादा का जन्म 17 दिसंबर 1901 को हुआ था। लगभग 65 वर्ष की आयु में सन 1966 में उनकी मृत्यु हो गई। इनकी पढ़ाई दिल्ली की सेंट स्टीफन कॉलेज से हुई। प्रेम बिहारी नारायण रायजादा मूलतः उत्तर प्रदेश के निवासी थे जिनका संबंध कायस्थ परिवार से था। इनके दादा राम प्रसाद रायजादा थे, जिनको ये अपना गुरु मानते थे।
रायजादा ने अपनी लेखनी से संविधान में चार चांद लगा दिए। उन्होंने अपनी कैलीग्राफी से संविधान की लेखन की शुरुआत प्रस्तावना से लिखी। भारतीय संविधान की मूल प्रति जो की अंग्रेजी भाषा में थी उसे प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने अपने हाथों से विशेष प्रकार की कलम से लिखा था जो विदेश से मंगवाई थी।
ध्यातव्य: भारतीय संविधान को अंग्रेजी के इटैलिक फॉन्ट में लिखा गया था जिसे बाद में हिंदी अनुवाद भी हुआ।
ध्यातव्य : मूल संविधान के हिंदी संस्करण के सुलेखक वसंत कृष्ण वैद्य थे।
- रायजादा थे कैलीग्राफी के जानकार
दिल्ली में बेहद खूबसूरती से संविधान की प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने कैलीग्राफी की थी। उनके परिवार में कैलीग्राफी की परंपरा थी । उनके दादा मास्टर राम प्रसाद जी अच्छे कैलीग्राफी होने के साथ फारसी और अंग्रेजी के अच्छे जानकार भी थे। प्रेम बिहारी जी ने कैलीग्राफी अपने दादा से ही सीखी थी।
- लेखन कार्य का नहीं लिया पारिश्रमिक
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रायजादा से संविधान को लिखने के लिए संपर्क किया। खास बात यह है कि उन्होंने इसके लिए एक पैसा तक नहीं लिया। प्रेम बिहारी रायजादा ने नेहरू से कहा कि वह संविधान लिखने के लिए एक पैसा नहीं लेंगे बस हर एक पन्ने पर उनका नाम और अंतिम पृष्ठ पर उनके साथ उनके दादाजी का नाम लिखने की इजाजत दी जाए , जिसे नेहरू ने बड़ी आसानी से इसे मान लिया।
ध्यातव्य: प्रेम बिहारी रायजादा एकमात्र ऐसे व्यक्ति है जिनका नाम संविधान के प्रत्येक पृष्ठ पर लिखा हुआ है।
ध्यातव्य: पश्चिम बंगाल के निवासी नंदलाल बसु और उनके छात्रों ,शांति निकेतन के चित्रकारों ने इसके कवर से लेकर हर पन्ने को भी अपनी सुंदर कला से सजाया। मूल संविधान की प्रति जो अंग्रेजी में लिखा गया था उसको चित्रकला और अपनी कलाकृति से सुंदर रूप दिया था। नंदलाल बसु ने यह कार्य करीब ₹21000 में किया था।
- लिखने में 6 माह का लगा समय
संविधान सभा और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान लिखे जाने के लिए प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को संविधान सभा भवन में अलग से एक कक्ष उपलब्ध कराया गया जहां बैठकर उन्होंने संविधान लिखा। इस कार्य में उन्हें करीब 6 माह का समय लगा था। जानकारी के मुताबिक उन्होंने पूरा संविधान लिखने के लिए पेन(निब) का उपयोग किया था ।
ध्यातव्य: प्राप्त जानकारी के अनुसार 254 स्याही की दवात संविधान को लिखने में लगी थी।
ध्यातव्य: भारतीय संविधान की मूल प्रति(पांडुलिपि) जो उन्होंने तैयार की उसमें 251 पृष्ठ थे और उसका वजन 3.75 किलो (करीब 4 किलो/8.26 पाउंड)) है।
ध्यातव्य: प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा हस्तलिखित संविधान की लंबाई 22 इंच और चौड़ाई 16 इंच है।
ध्यातव्य: वर्ष 1994 में संसद भवन की पुस्तकालय में इसे वैज्ञानिक विधि से कांच से तैयार चेंबर में सुरक्षित कर दिया गया। जिसमे नाइट्रोजन गैस उसे खराब नही होने देती। सन 1985 में इसे सुरक्षित रखे जाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
ध्यातव्य: राम मनोहर सिन्हा ने संविधान की प्रस्तावना और सभी पृष्ठ की सजावट और उसकी बॉर्डर का चित्रांकन किया गया था।
- संविधान पर इनका है चित्रांकन
भारतीय संविधान के सभी पृष्ठ पर भारतीय संस्कृति, सभ्यता, इतिहास, स्वतंत्रता सेनानी, स्वतंत्रता संग्राम, सनातन संस्कृति, गीता, हिंदू ,मुस्लिम, सिख, और भौगोलिक क्षेत्र का चित्रांकन किया गया है जो अपने आप में विभिन्नता में एकता और भारतीय परंपराओं को दर्शाता है।
- संविधान के 22 भागों में 22 चित्र का चित्रांकन
भारतीय संविधान के सभी 22 भागों को पर 22 ही अलग-अलग प्रकार के चित्रों का चित्रांकन किया गया है जिन्हें बनाने में करीब 4 वर्षों का समय लगा था।
भाग 1: मोहनजोदड़ो की मोहर का चित्र,
भाग 2 : वैदिक सभ्यता के गुरुकुल का दृश्य,
भाग 3 : श्री राम द्वारा लंका विजय और माता सीता को वापस लाने का दृश्य,
भाग 4 : कृष्ण अर्जुन संवाद और उनके उपदेश का दृश्य,
भाग 5 : गौतम बुद्ध का चित्र का दृश्य,
भाग 6 : भगवान महावीर (जैन) का चित्र,
भाग 7 : मौर्य सभ्यता का दृश्य,
भाग 8 : गुप्तकालीन का चित्र,
भाग 9: राजा विक्रमादित्य की सभा का चित्र,
भाग 10: नालंदा विश्वविद्यालय का दृश्य,
भाग 11: सिंह की आकृति,
भाग 12 : भगवान नटराज की चित्र,
भाग 13 : महाबलीपुरम की मूर्तिकला का वर्णन ,
भाग 14 : अकबर वह मुगल शैली के साथ अकबर की फोटो का दृश्य,
भाग 15 : छत्रपति शिवाजी तथा गुरु गोविंद सिंह का चित्र,
भाग 16 : लक्ष्मीबाई तथा टीपू सुल्तान का दृश्य,
भाग 17 : गांधी जी की दांडी यात्रा का दृश्य,
भाग 18 : नोखाली के दंगाग्रस्त इलाकों में गांधी जी का चित्र,
भाग 19 : नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनके अन्य साथियों का चित्र का दृश्य,
भाग 20 : हिमालय का दृश्य,
भाग 21: रेगिस्तान का दृश्य,
भाग 22 : समुद्र का दृश्य अंकित है।
ध्यातव्य: भारतीय संविधान के पहले पृष्ठ पर अशोक चिन्ह अंकित है।जिसमे तीन शेर दिखाई देते हैं।