अपने तो अपने होते है “  लॉक डाउन ने समाज को देश को लॉक भी कर दिया और कुछ क्षेत्रों में डाउन भी कर दिया  बहुत समस्यायें भी हुई  जिनको शब्दो में पिरोना  सम्भव नही है बहुत उत्तार चढ़ाव दिखाया बहुत मार्मिक घटनाये दिखाई लेकिन बे वक़्त बिन बुलाये आये  इस लोक डाउन  ने  हमे बहुत कुछ सिखा दिया बहुत कुछ नया अहसास करा दिया है । बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर दिया । हमे सकारात्मक  दृष्टिकोण भी सिखाया ओर जीवन के प्रति नजरिया भी बदलने की सिख दी । 

     सनातन संस्कृति वाले के लोग हम भारतीय निराशाओं में भी आशा की किरण तरास लेते है ।  संयुक्त परिवार से एकल परिवार की ओर बढ़ते लोगो को लॉक डाउन  ने  संयुक्त परिवार का महत्व बता दिया । अपने कार्यों की व्यस्तता के दौरान हम जिन चीजों से या अपनो से परिवार के संस्कारो  से दूर होते जा रहे थे हमारी आध्यात्मिकता  ,  पिता का अनुशासन ,मां की ममता ,भाइयों का स्नहे , बहनों की आत्मीयता   का महत्व जानने का मौका दिया । इसने  बच्चों को  ओर बड़ों को भी अपनों का साथ मिला ” कुछ पल तो गुजारो अपनो के साथ “का रास्ता दिखा दिया ।    

 समाज पर सकारात्मक प्रभाव
(1) अपनो की मिठास

जहां हम सब महंगी होटलों रेस्टोरेंट  पर जाकर अनावश्यक रूप से रुपये पैसा खर्च करते और आनंदित महसूस होने की बात करते थे  लेकिन मां की ममता भरी मीठास, दादी की आत्मीयता बहनों की  वात्सल्यता के जरिए पकाए भोजन के असली स्वाद का अनुभव  इस लॉक डाउन ने करा दिया करा दिया । अपनो के साथ बैठ कर सुकून से खाना खाने का अहसास ही कुछ और होता है इस बात का अनुभव करा दिया । 

(2) अपनो के साथ वक्त गुजारने का मौका
           व्यक्ति हमेशा की अपने पास वक़्त नही होने का बहाने की बात करता था सब लोग अपने अपने काम मे व्यस्त रहता ,परिवार के सभी सदस्य अपने अपने कार्य में व्यस्त रहते हैं । सब के पास 24 घंटे ही है फिर भी समय की अल्पता  और काम की आपाधापी की वजह से पास में बैठकर बातचीत नहीं  की जा पाते थे परिवार के सदस्यों को हमेशा ही शिकायत होती थी कि  उनके पास परिवार को वक़्त देने का वक़्त नही  ।  वहीं इस लॉक डाउन ने सभी को एक दूसरे के करीब लाकर खड़ा कर दिया । मुसीबत में एक दूसरे का हाथ थाम कर खड़े रहना एक दूसरे की परवाह करना  ओर संवेदना का अहसास सिखा दिया ।   

(3) रुचि-अभिरुचि को दिया साकार रूप
  लॉक डाउन  ने हमें अपनी रुचि अभिरुचि को समय देने का मौका दिया जो भागदौड़ की जिंदगी में कही  पीछे छूट गए थे ।  कोई वाद्ययंत्र सीख रहा है तो कोई गाना बजाना सीख रहा है कोई पेंटिंग के जरिए अपनी प्रतिभा को मुखरित कर रहा है तो कोई लेखन कला में अपना परिचय तरास रहा है  । इस प्रकार इस दौर में रचनात्मक और सृजनात्मक विकास का अवसर मिला ।   

(4) धर्म-कर्म /संस्कृति में बढ़ी आस्था
  लॉक डाउन ने हमें हमारी प्राचीन संस्कृति और आध्यात्म की ओर लौटने का अवसर दिया लोगो ने अपना खाली वक़्त पूजा पाठ, धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने को वक़्त मिला ओर अपनी सनातन संस्कृति की ओर लोटने के प्रयास की रही सही कसर रामयण ओर  महाभारत  के धारावाहिक ने पूरी कर दी ।लॉक डाउन ने  परिवार के बच्चों को भी सनातन संस्कृति  से परिचित कराने का मौका  दिया ।

 (5)  लोगो मे तनाव कम हुआ
 माना भागदौड़ की इस जिंदगी में मानो तनाव और व्यक्ति का गहरा संबंध हो  काम का तनाव ,परिवार को वक़्त नही दे पाने का तनाव ,लॉक डाउन में उस तनाव को दूर  कर दिया  लेकिन लॉक डाउन के इस खाली वक़्त के सकारात्मक परिणाम भी रहे  हर कोई अपने परिवार जनों के साथ  रह कर सुकून से काम धंधे के  तनाव भागदौड़ का तनाव ,शारीरिक थकान से तनाव, मानसिक  थकान से तनाव उन सब से मानो व्यक्ति का पीछा छूट गया।


(6) स्वास्थ्य में हुआ सुधार
  भागदौड़ की जिंदगी में लोग  अपने स्वास्थ्य  पर ध्यान नहीं दे पाते थे व्यायाम  को वक्त नहीं दे पाते थे लेकिन लॉक डाउन ने वह राह आसान कर दी और लोगों ने लॉक डाउन के इस दौर में व्यायाम को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया जिसका परिणाम हुआ  कि उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ । बाजार के फास्ट फूड से लॉक डाउन में व्यक्ति की दूरी रही उनको अपने परिवार जनों के साथ घर का शुद्ध और सात्विक भोजन मिला ।  परिवारजनों के साथ बैठ कर  भोजन करने से उनके संवेदनाओ पर सकारात्मक परिणाम रहे  इसका प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर देखा गया अनावश्यक रूप से  होने वाली बीमारियां का प्रभाव कम देखा गया ।   ना सुखों की चिंता ना दुःखो का गम होते है ,जब अपनो के संग कोई अपने होते है ।मिलकर रहो अपनो से तो कोई रंज नही होते है,सनातन संस्कृति कहती अपने तो अपने होते है ।
निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि निसंदेह इस लॉक डाउन  की वजह से कुछ आर्थिक नुकसान हुआ और  कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा लेकिन इसमें जिंदगी में बहुत कुछ सिखा दिया जो हमें भविष्य में अपनी जीवन शैली में बदलाव किया जाना  ओर उनका महत्व समझाने का कार्य किया । 
समस्याये आती है चले जाती है अपनो के साथ मिलकर रहो क्योकि आखिर “अपने तो अपने होते है ” ।

3 thoughts on “लॉक डाउन में लोगों को वो सब वापस मिला जिससे वे दूर हो गये थे”

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