प्रतिवर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस के रूप में मनाया जाता है। आखिरकार क्यों प्रतिवर्ष 9 जनवरी को ही प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है । हाल ही 2022 में इसका 17 वां प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया।
आखिर यह कब से मनाया जाने लगा? इसके पीछे उद्देश्य क्या है? इन सब बातों को जानने और समझने के लिए यह आलेख निश्चित रूप से आपके लिए उपयोगी साबित होगा।
18वीं और 19वीं शताब्दी में अनेक भारतीय उद्योगपति ,व्यापारी, शिक्षित वर्ग विश्व के कई देशों में जाकर व्यापार और व्यवसाय ,नोकरी करने लगे थे और वे वहीं बस गए। उपनिवेश काल और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान घटित अनेक घटनाओं ने प्रवासी भारतीयों की पीड़ा और समस्याओं जैसे रंगभेद की नीति और जातीय भेदभाव का सामना करना पड़ा था । महात्मा गांधी भी करीब 22 वर्षों तक दक्षिण अफ्रीका में रहे और वहां रहकर भारतीयों के आत्म सम्मान की लड़ाई अहिंसात्मक तरीके से लड़ी ।
ज्ञात हो कि सन 1893 में महात्मा गांधी गुजराती मूल के एक व्यापारी और उद्योगपति सेठ अब्दुल्ला की अब्दुल्लाह अब्दुल्लाह कंपनी की तरफ से कानून की पैरवी करने दक्षिणी अफ्रीका के नेटाल शहर में पहुंचे थे। आगे चलकर महात्मा गांधी के द्वारा इसी नेटाल शहर में “नेटाल इंडियन कांग्रेस” की स्थापना भी की थी।
- महात्मा गांधी पहुंचे थे दक्षिण अफ्रीका के नेटाल शहर में
महात्मा गांधी ने दक्षिण अफका में भारतीयों और भारतीय मूल के व्यक्तियों के साथ रंगभेद की नीति, जातिभेद नीतियों को देखा जिससे उनको पीड़ा भी हुई । यहां तक कि इस प्रकार की समस्याओं का सामना उनको भी करना पड़ा। प्रथम क्लास रेलवे का टिकट होने के बावजूद उन्हें रेल यात्रा करने से रोका गया ।उन्होंने प्रथम क्लास के डिब्बे से बाहर निकाल दिया था। तभी शायद उन्होंने निश्चय किया था कि आज तुम लोगों ने मुझे ट्रेन से बाहर निकाला है एक दिन मैं तुम्हें भारत से बाहर निकाल दूंगा।
- महात्मा गांधी 9 जनवरी 1915 को लौटे थे भारत
लंबे समय तक महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में रहकर भारतीयों के आत्मसम्मान की लड़ाई अहिंसात्मक तरीके से लड़ी थी और एक महान विजेता के रूप में वे 1914 के दिसंबर माह में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के लिए अपने यात्रा पर निकल पड़े और 9 जनवरी 1915 को भारत पहुंचे थे। प्रवासी भारतीयों के आत्मसम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए महात्मा गांधी के योगदान रहा है 9 जनवरी को ही प्रवासी भारतीय दिवस मनाए जाने के पीछे का एक ऐतिहासिक और एक भावात्मक कारण नजर आता है।
- कब से मनाना शुरू किया प्रवासी भारतीय दिवस
गांधी जी के भारत लौटने के दिन 9 जनवरी को यादगार बनाने के लिए,प्रवासी भारतीयों को भारत की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए,यहां के विकास में उनकी सहभागिता को बढ़ाने और प्रवासी भारतीयों में भारत के साथ एक भावात्मक रिश्ता जोड़ने, भारत के आर्थिक विकास में उनके योगदान के महत्व को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है । ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेय के कार्यकाल में सन 2003 में प्रवासी भारतीय दिवस मनाए जाने की शुरुआत की थी। इसी वर्ष दिल्ली में प्रथम प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया था।
- किस समिति की सलाह पर की थी मनाने की शुरुआत
सन 2000 में श्री लक्ष्मीमल सिंघवी की अध्यक्षता में गठित एक समिति के परामर्श पर सन 2003 से प्रवासी भारतीय दिवस मनाए जाने की शुरुआत की थी ।कहा जा सकता है कि लक्ष्मीमल सिंघवी ही प्रवासी भारतीय दिवस के प्रेरणा स्रोत रहे हैं।
- कौन होते हैं ? प्रवासी भारतीय
प्रवासी भारतीय का तात्पर्य ऐसे भारतीय या भारतीय मूल के लोगों से है जो विदेशों में प्रवास कर रहे हैं। ऐसे अनेक प्रवासी भारतीय आज विश्व के अनेक देशों में अलग-अलग क्षेत्रों में नामी हस्ती के रूप में जाने जाते हैं। जहां की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं।
- 2022 में मनाया 17 वां प्रवासी भारतीय दिवस
प्रथम प्रवासी भारतीय दिवस सन 2003 में दिल्ली में आयोजित हुआ था । , सन 2021 में 16 वां प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया था जिसकी थीम “आत्मनिर्भर भारत में योगदान “ थी । इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सूरीनाम की राष्ट्रपति महामहिम श्री चंद्रिका प्रसाद संतोखी थे। सन 2022 में इसका 17 प्रवासी भारतीय दिवस के रुप में मनाया गया।