अक्सर यह पूछा जाता है कि 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के समय भारतीय संविधान में कितने मूल कर्तव्य थे ? तो आपको बता दे कि एक तरफ संविधान में मूल आधिकार और नीति निदेशक तत्व का उल्लेख था वही मूल संविधान में मूल कर्तव्य का अभाव था और संविधान लागू होते समय एक भी मूल कर्तव्य संविधान में नहीं था।
कब जोड़े गए मूल कर्तव्य :
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान अब तक का सबसे बड़ा संविधान संशोधन 42वां संविधान संशोधन विधेयक 1976 (इसे मिनी संविधान भी कहा जाता है) के द्वारा बाद में एक समिति के परामर्श पर जोड़े गए थे। यह समिति केवल और केवल मूल कर्तव्य के लिए नहीं बल्कि पूरे संविधान में प्रस्तावित संशोधन पर अपनी रिपोर्ट देने के लिए गठित की गई थी। अपनी रिपोर्ट में कई और संशोधन के साथ मूल कर्तव्य का भी परामर्श था।
ध्यातव्य : सोवियत संघ के संविधान से प्रभावित होकर मूल कर्तव्य भारतीय संविधान में शामिल किए गए है।
किस समिति के परामर्श पर जोड़े गए
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में सरदार स्वर्ण सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति जिसका नाम सरदार स्वर्ण सिंह समिति 1973 (भारतीय संविधान में प्रस्तावित संशिधानो पर कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा नियुक्ति समिति है) के परामर्श पर जोड़े गए है।
42 वें संविधान संशोधन विधेयक 1976 के द्वारा संविधान के भाग 4 और अनुच्छेद 51 में संशोधन करते हुए एक नवीन भाग 4(क) और अनुच्छेद 51(क) जोड़ा गया उसमे इन कर्तव्य का उल्लेख किया गया।
सरदार स्वर्ण सिंह समिति
यह समिति तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुआ द्वारा गठित की गई थी जिसका उद्देश्य संविधान में प्रस्तावित संशोधन पर अपनी रिपोर्ट देनी थी। यह समिति 1973 में गठित की गई थी और अगस्त 1976 में इस समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी।इस समिति में 12 सदस्य थे।
ध्यातव्य सरदार स्वर्ण सिंह समिति में 12 सदस्य थे।1.सरदार स्वर्ण सिंह (सभापति)
2.ए आर अंतुले(सचिव)
3. सदस्य– एस एस रे,रजनी पटेल, एच आर गोखले, वी ए. सैयद मुहम्मद, वी एन गाडगिल, सी एम स्टीफन, डी पी सिंह, डी सी गोस्वामी, वी वी साठे, बी एन मुखर्जी ।
समिति ने 8 कर्तव्यों का दिया था परामर्श
सरदार स्वर्ण सिंह समिति ने अपने रिपोर्ट में कुल 08 कर्तव्य शामिल करने का परामर्श दिया लेकिन सरकार द्वारा 42 वे संशोधन द्वारा 10 मूल कर्तव्य जोड़े गए थे।
राष्ट्रीय समीक्षा आयोग रिपोर्ट (2002)
इस आयोग ने अपनी रिपोर्ट में दो नवीन मूल कर्तव्य शामिल करने का परामर्श दिया था –
बच्चो की शिक्षा उनके शारीरिक और नैतिक कल्याण के संबंध में अभिभावक की भावना और पारिवारिक मूल्यों की भावना को बढ़ावा दिया जाए।
अपने कर्मचारियों के बच्चो को शिक्षा की जिम्मेदारी औद्योगिक संगठनों का कर्तव्य होगा।
11 वा मूल कर्तव्य शामिल किया गया
समीक्षा आयोग की रिपोर्ट के पश्चात संविधान में 86 वे संविधान संशोधन 2002 द्वारा संविधान के भाग 4 (क) में संशोधन करते हुए 11वां नवीन मूल कर्तव्य जोड़ा गया जिसमें कहा गया कि – प्रत्येक माता-पिता एवं संरक्षक का यह दायित्व होगा कि वे अपने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चो को शिक्षा के अवसर अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराएं।
ध्यातव्य: संविधान समीक्षा आयोग 2002 की रिपोर्ट के बाद यह 11 वा कर्तव्य जोड़ा गया था।
ध्यातव्य: मूल संविधान में एक भी मूल कर्तव्य नहीं था बाद में 42 वे संविधान संशिधान विधेयक 1976 द्वारा 10 मूल कर्तव्य जोड़े गए और फिर से 86 वे संविधान संशोधन विधेयक 2002 द्वारा 11 वा कर्तव्य जोड़ा गया। ध्यातव्य: वर्तमान में कुल 11 मूल कर्तव्य है।