कार्ड बनाते बनाते जिंन्दगी का कार्ड खत्म हो जाता है एक देश,एक व्यक्ति एक कार्ड क्यों नही…..
जिसे देखो वही कार्ड की बात करता है जिसे देखो वह कार्ड बनाने की कतार में लगा रहता है कार्ड के झमेले में उलझा रहता है जैसै जैसे.. 21 वी सदी (टैकनोलजी की सदी)…. आगे बढ़ रही हैं वैसे वैसे…. भारत में पहचान कार्ड… आदि की बाढ सी आ गई है.. विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसित… विश्व का एक मात्र देश भारत..ही है जहां जन्म से लेकर.. मृत्यु तक अपनी पहचान बताने के उपकरण व हथियार…पहचान कार्ड व बैंक डायरी, आधार, जाति कार्ड बोटर कार्ड. भामाशाह कार्ड… मजदुर कार्ड जनाधार कार्ड और म जाने और किते कार्ड होंगे आदि बनाये जाते हैं… इनको बनाते बनाते ही पूरा जीवन ही समाप्त ही हो जाता है.मानो ये व्यक्ति के जन्म से लेकर मरण तक सोलह संस्कार की तरह व्यक्ति के जीवन मे कार्ड बनाना एक संस्कार हो गया जिसे पूरा करते करते जीवन खत्म….
भारत में… इन अलग अलग कार्डो के चलते बहुत से ग्रामीण… लोग. पटवारी ग्राम सेवक के अपनी जमीन, कुआँ, नाडी, के गलत नाम को सही कराते कराते जुत्याँ घीस गी, केई के पुनर्जन्म होकर वापस जाने की उम्र पर पहुच गये… भारत में इससे होने वाले हैं परेशानियों को भी शायद किसी ने समझा नहीं मेने देखा है किसानो को महिलाओ को, मेने देखा है अफहिजो को मेने देखा है अपनी उम्र के 70 साल पार कर चुके लोगो को जो पंचायतो आई टी सेंटरो फ़ोटो कॉपिकी दुकानों बैंको के चक्र लगाते पूछने पर बताते है की फला फला कार्ड बनवाने को ये सब को करना ही पड़ेगा…. अपना निवास स्थान साबित करने के लिए मूल निवास मांगा जाता है, अपनी जाति साबित करने के लिए जाति प्रमाण पत्र बनाया जाता है, अपनी आर्थिक स्थिति बताने के लिए आय प्रमाण पत्र बनाया जाता है, जॉब कार्ड बनाया जाता है, पेशन कार्ड बनाया जाता है ,विकलांग र्पेशन कार्ड बनाया जाता है, जन्म प्रमाण पत्र बनाया जाता है, वृद्धा अवस्था पेंशन कार्ड, भामाशाह कार्ड बनाया जाता है, पैन कार्ड बनाया जाता है, जनाधारकार्ड बनाया जाता है ,राशन कार्ड बनाया जाता है, पहचान कार्ड बनाया जाता है ,वोटर आईडी कार्ड बनाया जाता है, आखिर ये कार्ड का झमेला करते करते व्यक्ति की जिंदगी गुजर जाती है । आखिर यह कैसी पहचान कार्ड बनाते बनाते व्यक्ति की पहचान मिट जाया करती है ।
बड़ा चिन्तननीय विषय है कि क्या ऐसा कोई प्रावधान नहीं हो सकता यह सारा रिकॉर्ड किसी एक ही कार्ड में उल्लेखित कर दिया जाए जो कि एक आधार कार्ड हो सकता है । आधार नंबर लगाने पर व्यक्ति की हर प्रकार की स्थिति चाहे वह सामाजिक स्थिति हो, आर्थिक स्थिति और पारिवारिक सदस्यों का वर्णन हो , खेती बाड़ी का उल्लेख हो जाति का उल्लेख हो ,मूल निवास , बैंक का रिकॉर्ड हो,, पोस्ट ऑफिस का रिकॉर्ड हो, पेंशन का रिकॉर्ड हो समाहित किया जा सकता है तब मिट पाएगा यह कार्ड का झमेला ।
अनेक विकसित देशों में…. एक देश एक इंसान … एक कार्ड बना होता है… A to Z जानकारी व्यक्ति का सामाजिक आर्थिक पारिवारिक स्थिति का रिकॉर्ड उस कार्ड में उल्लिखित हो सकता है जब संपूर्ण जानकारियां एक ही कार्ड/दस्तावेज में हो सकती है उस में..समाहित होती है तो हमारे देश में क्यों नही
जब एक देश एक सविधान एक देश एक नागरिकता जब एक देश एक टैक्स हो सकता है तो एक नागरिक एक कार्ड क्यों नही हो सकता आधार कार्ड में ही बहुत कुछ है… तो अनावश्यक मुल निवास,जाति प्रमाण पत्र भामाशाह ,जनाधार कार्ड…… आदि की क्या आवश्यकता है? !
आशा है की जल्द ही एक आदमी एक कार्ड…. वाली स्कीम जल्द लागू कर… जनता को भारी राहत उपलब्ध की जाने की कोशिश हो तभी आम जनता के अच्छे दिन आएंगे
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