शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति का आध्यात्मिक, नैतिक, शारीरिक और मानसिक विकास करना होता है । केवल चंद पुस्तके पढ़ लेना ही शिक्षा नहीं होती। किसी ने सच ही कहा है कुछ किताबें पढ़ना सीख लेना ही शिक्षा नहीं होती  बल्कि सही मायने में शिक्षा व  शिक्षण संस्थाएं तो वह होती है जहां जिंदगी पढ़ना सिखाई जाती हो,जहां शिक्षा के साथ-साथ नैतिकता,आदर्श व संस्कार सिखाया जाए।

  • गुरुकुल शिक्षा प्रणाली रही है भारत की परंपरा 


प्राचीन भारत में शिक्षा प्रणाली का यही उद्देश्य हुआ करता था लेकिन आज की इस भागदौड़ की जिंदगी में, विकास की अंधीदौड़ में,आधुनिकता की दौड़ में, शिक्षा के मायने ही बदल चुके हैं। शिक्षा का मूल उद्देश्य ही मानो कहीं गुम हो गया है। आज न तो शिक्षा का वह उद्देश्य रहा है और न हीं वैसी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली व शिक्षण संस्थाएं हैं । प्राचीन समय में ऋषि मुनियों के आश्रम में गुरुकुल शिक्षा प्रणाली समाज निर्माण में अहम भूमिका निभाई करते थे।  नालंदा, तक्षशिला जैसी गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली अपना महत्व रखती थी।

  • इनकी प्रेरणा से हुई गुरुकुल की शुरुआत

आज से करीब 20 वर्ष पूर्व आदरणीय महाराज जी रामप्रसाद जी महाराज  महाराष्ट्र में रालेगांव शहर के किसी सत्संग में गए थे। वहां से उनके साथियों और उनके शिष्यों ने उन्हें एक गुरुकुल में ले गए जहां उन्होंने देखा की वहां प्राचीन शिक्षा पद्धति से बच्चों को शिक्षा दी जा रही थी।यह सब देख स्वामी जी के मन और मस्तिष्क में भी यह भाव उत्पन्न हुए की ऐसी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का एक केंद्र मारवाड़ की भूमि पर भी होना चाहिए। यही प्रेरणा यही भाव आगे चलकर मारवाड़ की धरती पर एक गुरुकुल की स्थापना का मुख्य आधार बना।

  • मारवाड़ के भामाशाहो ने दी थी गुरूकुल को जमीन


जब महाराज जी  महाराष्ट्र से वापस मारवाड़ की धरती पर आए तो इन्होंने अपने मन के  मनोभाव से अपने संत साथियों को अवगत करवाया । अपने मन के भाव को मूर्त रूप देने के प्रयास में लगे गए । इसी दौर में दो बड़े दानदाताओं माछल जी और राठी जी के समक्ष उन्होंने अपने मन के भाव प्रकट किए । जोधपुर के पास ही डोली गांव में उन्होंने 3 बीघा जमीन की इच्छा जाहिर की और दानदाताओं ने 7 बीघा जमीन गुरुकुल /आश्रम की स्थापना के लिए समर्पित कर दी लेकिन वहां के आसपास का पानी पीने योग्य न होने या खारा होने के कारण थोड़ा इस को विराम लगा कि ऐसी जगह पर आश्रम या गुरुकुल बनाए जाना मुश्किलों भरा हो सकता है । 

  • तिंवरी जोधपुर में कोई गुरुकुल की शुरुआत 


रामदास जी महाराज की भावनाओं को देखते हुए समाज के दानदाताओं न आदरणीय श्री चुन्नीलाल जी और मांगीलाल जी ने सामाजिक सरोकार निभाते हुए स्वामी जी को तिंवरी गांव में गुरुकुल के लिए गीता धाम के पास 17 बीघा जमीन रामद्वारा को समर्पित कर दी जहां वर्तमान उत्कर्ष रामसनेही गुरुकुल अपने नए रूप में अपना सामाजिक सरोकार निभाने के लिए समाज के नाम समर्पित है।

  • 10 बच्चों के साथ हुई थी गुरुकुल की शुरुआत 


तिंवरी की इस धरा पर गुरुकुल निर्माण कार्य पूर्ण होने के पश्चात लगभग 10 बच्चों के साथ गुरुकुल की शुरुआत की गई । जहां पर नि:शुल्क शिक्षा दी जाती थी।  समय के साथ इसमें छात्रों की संख्या बढ़ी और आज यह गुरुकुल दसवीं (10वी) क्लास तक सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है। दिनों -दिन यह संस्थान प्रगति करता रहे, सनातन धर्म और संस्कृति की शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक डिजिटल शिक्षा भी मिले, देश और समाज सेवा के लिए सेवाभावी, ईमानदार और संस्कारवान प्रशासनिक अधिकारी मिले इसी उद्देश्य से अब इसका विस्तार किया गया है और इसका बीड़ा उठाया है उत्कर्ष शिक्षण संस्थान के डायरेक्टर श्री निर्मल जी गहलोत ने । 

  • उत्कर्ष के निदेशक निर्मल जी गहलोत नेने उठाया बीड़ा 

आज शिक्षण संस्थाओं में ज्ञान पढ़ाया जाता है, विज्ञान पढ़ाया जाता है ,गणित व भूगोल पढ़ाया जाता है पर क्या ऐसी कोई शिक्षण संस्था नहीं हो सकती है जहां आधुनिक शिक्षा के साथ साथ जिंदगी पढ़ाई जाती हो जहां  जिंदगी के मायने बताए जाते हो । शिक्षा के साथ- साथ संस्कार, अध्यात्म व नैतिक शिक्षा के इस संगम के उद्देश्य को लेकर आज शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका उत्कर्ष शिक्षण संस्थान और रामस्नेही धाम के सामूहिक प्रयास से राजस्थान के जोधपुर जिले में  ऐसा ही एक सार्थक प्रयास किया गया जो अपनी तरह का एक अनूठा प्रयास है।

  • भव्य कार्यक्रम के साथ तिंवरी गांव में हुआ आगाज

आधुनिक डिजिटल शिक्षा के साथ-साथ गुरुकुल शिक्षा का माहौल उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सामाजिक सरोकार से जुड़े ऐतिहासिक कार्य की 20 सितंबर 2021 को परम पूज्य स्वामी परमहंस 108 श्री रामप्रसाद जी महाराज की पावन प्रेरणा से जोधपुर के तिंवरी गॉंव में स्थापित शिक्षा,संस्कार व अध्यात्म की त्रिवेणी *उत्कर्ष रामस्नेही गुरुकुल* का शुभारंभ हुआ। उत्कर्ष रामसनेही गुरुकुल देश का ऐसा पहला गुरुकुल होगा जहां पर आधुनिक शिक्षा का पर्याय डिजिटल शिक्षा भी होगी और गुरुकुल शिक्षा का पर्याय प्राकृतिक वातावरण के साथ  संस्कार, अध्यात्म और नैतिक शिक्षा दी होगी और गुरुकुल की वह प्राकृतिक छटा व झोपड़ी भी होगी।

  • उत्कर्ष रामस्नेही गुरुकुल का उद्देश्य 

निश्चित रूप से समाज के हर क्षेत्र में विकास हुआ है लेकिन विकास की दौड़ में संस्कार ,नैतिकता हमसे दूर होती गई । जिसकी आज समाज को आवश्यकता है ।
यही नैतिकता, संस्कार,आध्यात्मिकता हमारे भारतीय समाज की पहचान है । यही हमारी संस्कृति और सभ्यता है। आज आधुनिक शिक्षा प्रणाली की आवश्यकताओं से नकारा नहीं जा सकता लेकिन आज की  शिक्षा प्रणाली में हमें आधुनिक डिजिटल शिक्षा के साथ-साथ नैतिकता, संस्कार और आध्यात्मिक शिक्षा की भी आवश्यकता है । इन सब से ही समाज व निर्माण राष्ट्र निर्माण किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आज समाज में गिरते हुए नैतिक मूल्य और समाज में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार, अनैतिकता जैसी समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक है कि क्यों न शिक्षा के साथ-साथ संस्कार, नैतिकता और आध्यात्मिक शिक्षा दी जाएं। इसी उद्देश्य को मध्य नजर रखते हुए उत्कर्ष  व रामसनेही धाम ने यह बीड़ा उठाया है।

  • अपने तरह का देश ने यह पहला गुरुकुल होगा 

तिवरी के गुरुकुल में दसवीं क्लास तक शिक्षा दी जाती है । इसके अलावा भारतीय प्रशासनिक सेवा में ऐसे इमानदार,संस्कारवान, प्रशासनिक अधिकारी तैयार किए जाने के उद्देश्य से उत्कर्ष और रामस्नेही धाम दोनों के सहयोग से एक अनुपम पहल की गई है और इस तरह का देश का यह पहला गुरुकुल होगा। 

  • निःशुल्क होगी गुरुकुल मे शिक्षा

उत्कर्ष संस्थान के निर्देशक श्री निर्मल जी गहलोत के अनुसार यह शिक्षा प्रतियोगिता परीक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए पूर्णतया निशुल्क होगी उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा तथा गुरुकुल में रहने खाने-पीने की सुविधाएं सब निशुल्क होगी।

  • प्राकृतिक रमणीय वातावरण के साथ भव्य भवन है इसका आकर्षण

उत्कर्ष रामस्नेही गुरुकुल लगभग 15 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ परिसर है, जहां उत्कर्ष के सहयोग से एक विशाल भवन का निर्माण किया गया है । जिसमें 38 बड़े बड़े कमरे, भोजनशाला , सभागृह,प्रार्थना कक्ष और मंदिर के साथ-साथ खेल मैदान भी है। इस विशाल भवन में कलर टच स्क्रीन पेनल की सुविधा भी उपलब्ध है।

  • कहां है यह तिवरी धाम 

मरुधरा राजस्थान के जोधपुर जिले में जोधपुर के ही बिल्कुल समीप करीब 40 किलोमीटर दूरी पर तिंवरी गांव में इस गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का आगाज हुआ । इसका पता हैं- उत्कर्ष रामस्नेही गुरुकुल , गीता धाम के सामने ,तिंवरी , जोधपुर (राजस्थान)

  • प्रथम 50 विद्यार्थी का इस प्रक्रिया से हुआ चयन

उत्कर्ष रामस्नेही गुरुकुल में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए  थे। इसके लिए कुछ शर्तों जैसे सनातन संस्कृति में विश्वास करने वाले हो, जो राजस्थान में मूल निवासी हो,जिसने राजस्थान प्रशासनिक सेवा 2021 में आवेदन किया हो, गुरुकुल के सभी नियमों का अक्षरत से पालन करना होगा, सनातन संस्कृति के अनुसार जीवन यापन में कोई आपत्ति न हो आदि और इसके अतिरिक्त कई और शर्तें थी।

  • 22,000 विद्यार्थियों ने किये आवेदन 

आवेदन की ऑनलाइन प्रक्रिया में करीब 22,000 आवेदन प्राप्त हुए । जिनमें से एक निश्चित मापदंड और प्रक्रिया का पालन करते हुए 1000 विद्यार्थियों की छटनी की गई ।  इन 1000 विद्यार्थियों का ओ एम आर शीट पर और लिखित परीक्षा विभिन्न संभाग मुख्यालयों पर आयोजित की गई । जिनमें से सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 100 विद्यार्थियों का चयन हुआ ।

इन 100 विद्यार्थियों का साक्षात्कार जोधपुर मुख्यालय पर हुआ जिनमें से 50 श्रेष्ठ विद्यार्थियों का अंतिम चयन किया । जिन्हें इस गुरुकुल के पहले 50 विद्यार्थी होने का गौरव प्राप्त हुआ। तिंवरी गांव के विद्यार्थियों को भी यह अवसर प्राप्त हो इसी उद्देश्य के मद्देनजर रखते हुए 5 विद्यार्थियों का चयन इसी गांव से किए जाने का निर्णय किया

  • इस गुरुकुल के विद्यार्थी की दिनचर्या क्या होती है ?

व्यक्ति के जीवन के सर्वांगीण विकास में उसके रहन-सहन, उसके खान-पान, उसके आचार -विचार तथा उसकी दैनिक दिनचर्या की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।इसी उद्देश्य को मध्यनजर रखते हुए उत्कर्ष रामस्नेही गुरुकुल के विद्यार्थियों की दिनचर्या का निर्धारण संस्थान के द्वारा किया गया।  जिसका वर्णन उत्कर्ष संस्थान के सीईओ श्री निर्मल जी गहलोत ने उद्घाटन के दौरान अपने उद्बोधन में भी किया।  इसके अतिरिक्त उन्होंने उत्कर्ष रामस्नेही गुरुकुल के विद्यार्थियों की दिनचर्या  को सोशल मीडिया पर भी साझा किया।

  • यह होती है गुरुकुल के विद्यार्थियों की दिनचर्या 

4:30 am – जागरण 
4:30 am to 5pm – दैनिक नित्यक्रम 
5am to 6am – योग,प्राणायाम व सूर्य नमस्कार 
6am to 8am – स्नानादि व स्वाध्याय 
8:15am to 8:30am – अल्पाहार 
9am to 11am – प्रथम कालांश 
11:15am to 1:15pm – द्वितीय कालांश 
1:15pm to 2:15pm – भोजन व विश्रांति 
2:30pm to 4:30pm – तृतीय कालांश 
4:45pm to 6:45pm – चतुर्थ कालांश  
7pm to 7:20pm – संध्या वंदन 
7:30pm to 8pm – रात्रि भोजन 
8pm to 9:30pm – स्वाध्याय 
9:30 to 10:30pm – टेस्ट 
10:45pm – दीप विसर्जन

इस दैनिक दिनचर्या में योग, प्राणायाम, नियमित कालांश, स्वाध्याय,नियमित टेस्ट, प्रातः काल और संध्या कालीन वंदन, ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास आदि दिनचर्या का अहम हिस्सा होता है।

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