
अक्सर कहा जाता है कि नशा नाश का मूल है गरीब हो या अमीर हो, ग्रामीण हो या शहर, आम व्यक्ति हो या फिर सरकारी कर्मचारी, जो कोई भी इस लत का आदी हो जाता है तो उसका दुष्प्रभाव खुद उस व्यक्ति पर, उसके स्वास्थ्य पर,उसके परिवार जनों पर और समाज पर पड़ता है ।
यहां तक की ऐसे शराबियों के परिवार जन नारकीय जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं। सरकार ने भी शराबबंदी के लिए अनेक प्रयास किए हैं । भारतीय संविधान में भी नशीले पदार्थों के सेवन पर रोक संबंधी प्रावधान नीति निदेशक तत्वों के अंतर्गत किया हुआ है । लेकिन समाज मे दिनों दिन शराब का प्रचलन बहुत अधिक देखने को मिल रहा है विशेषकर युवाओं में ।
कर्मचारियों के आचरण का पड़ता है प्रभाव
जहां तक सरकारी कर्मचारियों का सवाल है तो अक्सर कई बार यह सुना जाता है और देखा जाता है कि सरकारी कर्मचारी शराब पीकर अपने कार्यस्थल, अपने ऑफिस पहुंच जाते हैं । कई बार दूसरों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है। जिनका प्रभाव समाज पर पड़ता है । छवि खराब होती है। शराबी कर्मचारियो के कारण उसके परिवारजन भी परेशान होते है । यहां तक कि अपने परिवारजनों का पालन पोषण, उनकी देखरेख और उनकी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा नहीं करते । ऐसे ही कर्मचारियों पर नियंत्रण करने के लिए सरकार ने समय-समय पर अनेक प्रकार के नियमो का निर्माण किया हैं । राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने राजस्थान सिविल सेवाएं (आचरण) नियम 1971 में भी इस बाबत प्रावधान किया गया है ।
सेवा अधिनियम के तहत यह हो सकती है कार्यवाही
सरकारी कर्मचारियों के आचरण संबंधी प्रावधान सेवा अधिनियम में भी किया गया है । राजस्थान कार्मिक विभाग अधिनियम 1971 की धारा 4 के अंतर्गत अनुचित और ऐसा व्यवहार माने जाने वाले आचरणों में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि यदि बिना किसी पर्याप्त एवं युक्तियुक्त कारण के अपने पति या पत्नी माता-पिता अवयस्क या निशक्त संतान का जो अपनापन पोषण देखभाल करने में समर्थ है या भरण पोषण में उपेक्षा करें या उससे इनकार करता है या उनसे किसी की भी देखभाल जिम्मेदारी पूर्ण नहीं करें तो उन पर कार्यवाही की जा सकती है।जिनमे आधा वेतन पत्नी या परिवार को देना का आदेश भी हो सकता है ।
कार्मिक विभाग ने जारी किया यह आदेश
पिछले दिनों कार्मिक विभाग ने जो आदेश जारी किया है उसके तहत राजस्थान सिविल सेवा आचरण नियम 1971 की धारा 4 के अंतर्गत प्रावधान होने के बावजूद भी इस प्रकार का आचरण किया जाता है । कई बार राजसेवकों के आचरण के संबंध में परिजनों अथवा अन्य किसी भी सूत्रों से सूचना प्राप्त होती है कि उक्त राजसेवक शराब, नशीली पदार्थ या ड्रग्स लेने का आदी है तो इस संबंध में राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि नियमानुसार जांच के पश्चात राजसेवक के उक्त्तानुसार दोषी पाए जाने पर उसके मासिक वेतन का 50% पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन हेतु राजसेवक के परिजन ( परिस्थिति अनुसार निर्धारण किया जाएगा ) के खाते में सीधे ही स्थानांतरित कर दी जावे और शेष 50% राशि नियमानुसार कर्मचारी के खाते में जमा की जावे ।
यह है पूरी प्रक्रिया
कई बार राजसेवकों के आचरण के संबंध में परिजनों अथवा अन्य किसी भी सूत्रों से सूचना प्राप्त होती है कि उक्त राजसेवक शराब, नशीली पदार्थ या ड्रग्स लेने का आदी है तो इस संबंध में राजकीय कर्मचारियों के आचरण के संबंध में राजसेवक के शराब एवं अन्य नशीले पदार्थ के सेवन के आदि होने की शिकायत दर्ज करवाई जा सकेगी। राजसेवक के आचरण संबंधित शिकायत परिजन या अन्य सूत्रों से मिलने पर नियमानुसार जांच करवाई जाएगी। उसके बाद ही उस पर कार्यवाही की जाएगी ।
सेवा अधिनियम में है यह प्रावधान
राजस्थान सरकार के ऐसे कई सरकारी कर्मचारी हैं जो शराब के आदि होने के कारण अपने परिजनों, पत्नी, विकलांग पुत्र या वृद्ध माता पिता के भरण पोषण और पारिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारीयो का भी बखूबी निर्वहन नही कर रहे। समाज के इस मार्मिक पहलू को मध्य नजर रखते हुए राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने राजस्थान सिविल सेवाएं(आचरण) नियम 1971 के नियम 4 के उपनियम 6 के तहत के प्रावधान है साथ ही राजस्थान सिविल सेवाएं(आचरण) नियम 26 के उपनियम (D) में भी यह प्रावधान है कि कोई भी राजसेवक मादक द्रव्य का अधिक उपयोग नहीं करेगा।
इनको मिलेगी राहत और उनको मिलेगा सबक
सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा इस प्रकार के आदेश से उन परिवारों को राहत जरूर मिलेगी जिनके परिवार में आए दिन शराब की वजह से समस्याओं का सामना करना पड़ता है या शराबी कर्मचारी अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारियों को बखूबी नहीं निभाते हैं साथ ही ऐसे कर्मचारियों को भी एक सबक मिलेगा ।