लोकतंत्र को गौरवान्वित करने वाला वह पल जिसमें श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने देश व्यक्तिगत रूप से 15 वे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की है। जिसकी देश और विदेश में चर्चाएं हैं, क्योंकि देश में पहली बार कोई आदिवासी राष्ट्रपति पद पर पदासीन हुआ है । राष्ट्रपति शपथ और शपथ ग्रहण समारोह को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही है। इन्हीं सब के बीच आज हम शपथ ग्रहण समारोह को लेकर एक ऐसे महत्वपूर्ण पहलू पर चर्चा करेंगे जिनसे शायद आप अभी तक अनभिज्ञ होंगे।
- इन सब सवालों का मिलेगा आपको यहां जवाब
वर्तमान संसद भवन के सेंट्रल हॉल में शपथ लेने वाला पहला राष्ट्रपति व अंतिम राष्ट्रपति कौन है,? वह पहला व अंतिम राष्ट्रपति जिनकी इस संसद भवन के सेंट्रल हॉल से विदाई हुई हो। इन सब के बारे में अगर आप जानना चाहते हैं तो यह आलेख आपके लिए उपयोगी और सार्थक साबित होगा।
- इस संसद भवन के सेंट्रल हॉल में शपथ लेने वाला यह अंतिम राष्ट्रपति
एक तरफ जहां यह गौरव का विषय है देश का पहला आदिवासियों राष्ट्रपति भारत को मिला है,जो लोकतंत्र की सबसे बड़ी जीत है, वहीं दूसरी तरफ आप सबको चौका देने वाला एक सच यह बता दूँ कि संसद भवन के केंद्रीय कक्ष/ सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले अंतिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू है । यह पढ़ कर शायद आपको आश्चर्य हो लेकिन यह उतना ही सत्य है जितना कि वर्तमान राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु है।
आपको कुछ ज्यादा सोचने की आवश्यकता नहीं है। यह सत्य है क्योंकि वर्तमान संसद भवन के सेंट्रल हॉल में शपथ लेने वाले अंतिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ही है। क्योंकि इसके पश्चात जब अगला राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह होगा तब तक देश की संसद उसके नए भवन में शिफ्ट हो जाएगी।
1.ध्यातव्य- लोकतांत्रिक भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ऐसे पहले राष्ट्रपति थे जिन्होंने सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और यह पहला शपथ ग्रहण समारोह था।
2.ध्यातव्य– 25 जुलाई को राष्ट्रपति को पद ग्रहण करने की एक परंपरा से स्थापित हो गई है। ज्ञात हो कि भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने सर्वप्रथम 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी, तब से एक परंपरा सी बन चुकी है।
- सेंट्रल हॉल से विदा होने वाला पहला मुखिया
वर्तमान राष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति और नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह की एक परंपरा रही है ।जिसमें राष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति पर समारोह पूर्वक राष्ट्रपति को विदाई दी जाती है ।
भारत में किसी भी राष्ट्र प्रमुख/ गवर्नर जनरल की विदाई सबसे पहले देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की शपथ समारोह से पूर्व हुआ था और वह शख्सियत है माउंटबेटन । इस प्रकार संसद भवन के सेंट्रल हॉल में किसी राष्ट्र प्रमुख/ गवर्ननर जनरल की विदाई का पहला समारोह माउंटबेटन की विदाई का हुआ था।
ध्यान देने योग्य बात यह है लोकतांत्रिक भारत में भारत की पहले राष्ट्रपति का विदाई समारोह डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के कार्यकाल की समाप्ति के पश्चात का था।
1.ध्यातव्य- माउंटबेटन भारत के आखिरी वायसरॉय और स्वतंत्र भारत के पहले (1947 से 1948) गवर्नर जनरल रहे।
- इस सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति की विदाई का अंतिम समारोह
सेंट्रल हॉल में किसी राष्ट्रपति का विदाई का अंतिम समारोह अगर किसी की विदाई का हुआ है तो वह है देश के निवर्तमान राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद है,जिनकी 24 जुलाई 2022 को उनके कार्यकाल की समाप्ति के पूर्व संध्या पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में 23 जुलाई 2022 को शाम 5:15 बजे विदाई समारोह हुआ । ज्ञात हो कि 24 जुलाई 2022 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल का अंतिम दिन है। इसके पश्चात संसद भवन नये भवन में शिफ्ट हो जाएगा और अब किसी राष्ट्रपति की विदाई का समारोह होगा तो है नए भवन में ही होगा।
1.ध्यातव्य- श्री रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेेश की धरती से राष्ट्रपति बननेे वाले पहले व्यक्ति हैं।
2.ध्यातव्य:- राष्ट्रपति केेे विदाई समारोह में राष्ट्रपति केेे आगमन पर प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष उन्हें रिसीव करते हैं ऐसी परंपरा रही है।
3.ध्यातव्य- भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अक्टूबर 2020 में नए संसद भवन की आधारशिला रखी गई। निर्माण कार्य प्रगति पर है आशा और अपेक्षा की जा सकती है कि शीघ्र ही संसद के समस्त कार्य नए भवन में शिफ्ट हो जाएंगे।
4. ध्यातव्य- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 जुलाई 2022 को देश के नए संसद भवन की छत पर भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ की प्रतिमा का अनावरण किया है। ज्ञात हो कि अशोक स्तंभ की यह यह मूर्ति कांस्य धातु से बनाई गई है ।
- संसद भवन के सेंट्रल हॉल का ऐतिहासिक महत्व
संसद भवन की नींव 12 फरवरी, 1921 को डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में 06 वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया था । इसके निर्माण पर करीब 83 लाख रूपये की लागत आई तथा इसकेे वास्तुकार एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर थे।
1.ध्यातव्य – यह सेंट्रल हॉल ऐतिहासिक पलों का गवाह है। इसी सेंट्रल हॉल में ही भारतीय संविधान का निर्माण किया गया और यहीं पर पंडित जवाहरलाल नेहरू को सत्ता सौंपी गई थी
👉 Artificial intelligence creates content for the site, no worse than a copywriter, you can also use it to write articles. 100% uniqueness :). Click Here:👉 https://stanford.io/3FXszd0
Thanks