भारतीय संविधान के भाग 5 और अनुच्छेद 52 के अनुसार भारत का एक राष्ट्रपति होगा जो कि देश का प्रथम नागरिक कहलाता है,उसी प्रकार संविधान के भाग 5 के अंतर्गत ही अनुच्छेद 63 के अनुसार देश का एक उपराष्ट्रपति होगा जो कि देश का दूसरा सर्वोच्च पद है।

दोनो ही सर्वोच्च पदों को लेकर उनके चुनाव,योग्यता, पदावधि और शपथ संबधी अंतर पूछा जाता है।आज हम इस आलेख के माध्यम से इन सब के बारे में विस्तार से जानेंगे।निश्चित रूप से यह आलेख आपके लिए उपयोगी और सार्थक साबित होगा।

  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव संबधी अंतर

राष्ट्रपति का निर्वाचन एकल सक्रमणीय आनुपातिक गुप्त मत पद्धति से होता है लेकिन फिर भी दोनो के निर्वाचन तरीके में अंतर होता है।

० राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल के द्वारा होता है जिसमें संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य भाग लेते है(अनुच्छेद 54) लोक सभा और राज्य सभा के मनोनित सदस्य भाग नहीं लेते।(अब लोक सभा में मनोनयन का प्रावधान खत्म कर दिया है।)

० उपराष्ट्रपति का निर्वाचन भी एकल संक्रमणीय अनुपातिक गुप्त मत प्रणाली द्वारा ही होता है जिसमे संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य जिनमें मनोनीत सदस्य और निर्वाचित सदस्य होते हैं मिलकर चुनाव करते है (अनुच्छेद 66)

ध्यातव्य: ज्ञात हो कि इसमें राज्य विधान सभा के सदस्य भाग नहीं लेते है और दूसरा अंतर है कि राष्ट्रपति के निर्वाचन में केवल निर्वाचित सदस्य भी भाग लेते है जबकि उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में सभी सदस्य भाग लेते है, मनोनित भी।

ध्यातव्य: राष्ट्रपति के निर्वाचन में 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक का होना आवश्यक है जबकि उपराष्ट्रपति के निर्वाचन में इनकी संख्या 20 – 20 होती है।

ध्यातव्य: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में जमानत राशि का भी प्रावधान होता है ,दोनो के लिए यह राशि 15000 रू होती है मतदान में कुल डाले गए वैद्य मतों का कम से कम 1/6 मत प्राप्त नहीं करने पर यह जमानत राशि जप्त हो जाती है । ज्ञात हो की यह जमानत राशि आरबीआई में जमा होती है। अब तक ऐसा केवल एक बार हुआ है जब नीलम संजीव रेड्डी ने चुनाव में कुल वैद्य मतों का 1/6 मत प्राप्त नहीं किए थे।

ध्यातव्य: राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में जहां तक निर्विरोध निर्वाचन की बात है तो नीलम संजीव रेड्डी निर्विरोध निर्वाचित हुए है जबकि उपराष्ट्रपति के संबंध में अब तक चार बार जिनमे दो बार राधाकृष्णन और एक बार एम हिदायतुल्लाह और एक बार शंकर दयाल शर्मा निर्विरोध चुने गए।

  • निर्वाचन संबधी विवाद होने पर समाधान संबंधी अंतर

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधी किसी प्रकार का विवाद और चुनाव को लेकर किसी प्रकार की शंका होने पर संविधान के अनुच्छेद 71 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है लेकिन अपील के संबंध में अंतर है जैसे ……

राष्ट्रपति : राष्ट्रपति के चुनाव में विवाद या शंका होने पर खुद उम्मीदवार या निर्वाचक मंडल के कम से कम 20 सदस्यो द्वारा परिणाम घोषित होने के 30 दिनों के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है …जबकि

उपराष्ट्रपति: उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में विवाद या शंका होने पर खुद उम्मीदवार या निर्वाचक मंडल के कम से कम 10 सदस्यो द्वारा परिणाम घोषित होने के 30 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है।

  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति योग्यता संबधी अंतर

देश के सर्वोच्च और दूसरे सर्वोच्च पद के चुनाव में उम्मीदवार बनने के लिए योग्यताओं का अलग अलग अनुच्छेदों में प्रावधान किया गया है। दोनो की योग्यता में कुछ अंतर को छोड़ कर समान योग्यताओं का प्रावधान है।

राष्ट्रपत्ति पद के लिए : अनुच्छेद 58 के अनुसार वह भारतीय नागरिक हो,उसकी आयु 35 वर्ष की पूरी हो चुकी हो,वह लोक सभा सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो,वह किसी लाभ के पद पर नहीं हो,(अनुच्छेद 59) संविधान के अन्य उपबंधो के अधीन करते हुए पुनर्निर्वाचन का पात्र हो(अनुच्छेद 57)

उपराष्ट्रपत्ति पद के लिए: अनुच्छेद 66(3) के अनुसार वह भारतीय नागरिक हो,उसकी आयु 35 वर्ष की पूरी हो चुकी हो,वह राज्य सभा सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो,वह किसी लाभ के पद पर नहीं हो(अनुच्छेद 66),संविधान के अन्य उपबंधो के अधीन करते हुए पुनर्निर्वाचन का पात्र हो लेकिन इस संबध में संविधान में कोई प्रावधान नहीं है।

ध्यातव्य: बाकी सभी योग्यताएं समान है केवल के लिए लोकसभा का सदस्य चुने जाने योग्यता और उपराष्ट्रपति के लिए राज्य सभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो का अंतर है।

  • शपथ संबंधित अंतर

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 60 के अनुसार राष्ट्रपति को शपथ भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या उनकी अनुपस्थिति में वरिष्ठतम न्यायाधीश द्वारा दिलाई जाती है। जबकि अनुच्छेद 69 के अनुसार उपराष्ट्रपति को शपथ सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा नही बल्कि राष्ट्रपति या उसके द्वारा इस काम के लिए नामित व्यक्ति द्वारा दिलाई जाती है।

  • कार्यकाल संबंधी अंतर

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 56(1) के तहत राष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से लेकर पूरे 5 वर्ष तक होता है लेकिन कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व भी राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर सहित उपराष्ट्रपति को संबोधित करते हुए त्यागपत्र दे सकता है।(अनुच्छेद 56(1) (क)

ज्ञात हो कि अनुच्छेद 56(1)(ग) के तहत राष्ट्रपति अपने पद पर अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी तब तक रहता है जब तक की उसका उतराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता।

सके अतिरिक्त संविधान के उल्लंघन करने पर संविधान के अनुच्छेद 61 के प्रावधान के अनुसार महाभियोग द्वारा उन्हें कार्यकाल के समाप्त से पहले भी हटाया जा सकता है

उपराष्ट्रपति का कार्यकाल शपथ ग्रहण करने से लेकर 5 वर्ष तक होता है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के तहत उप राष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से लेकर पूरे 5 वर्ष तक होता है लेकिन कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व भी उप राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर सहित राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए अपना त्याग पत्र दे सकता है। इसके अतिरिक्त इन्हे राज्य सभा द्वारा पहल किए गए प्रस्ताव द्वारा कार्यकाल के समाप्त से पहले भी हटाया जा सकता है

ध्यातव्य: राष्ट्रपति को कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व हटाने के लिए महाभियोग का प्रस्ताव लाया जाता है जो संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है लेकिन उप राष्ट्रपति को हटाने के लिए महाभियोग लगाए जाने का प्रावधान नहीं हेनर इनको हटाने का प्रस्ताव केवल और केवल राज्य सभा में ही लाया जा सकता है।

  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के वेतन संबधी अंतर

भारतीय राष्ट्रपति को भारतीय संविधान की दूसरी अनुसूची के अंतर्गत 5 लाख रुपए वेतन और अन्य भत्ते प्राप्त होते है। सेवानिवृत्ति के बाद उसे मिलती है।

आपको बता दे कि उपराष्ट्रपति को उपराष्ट्रपति होने के कारण कोई वेतन नहीं मिलता है बल्कि उनको वेतन राज्य सभा का सभापतित्व करने के कारण वेतन प्राप्त होता है जो की 4 लाख रुपए और अन्य भत्ते प्रतिमाह मिलते है। ज्ञात हो की उपराष्ट्रपति के लियेवियन और भत्ते का कोई प्रावधान संविधान में नहीं है।

ध्यातव्य: जब राष्ट्रपति का पद रिक्त हो और उनकी जगह उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करे तब उप राष्ट्रपति(कार्यवाहक राष्ट्रपति ) को वही वेतन और भत्ता मिलता है जो राष्ट्रपति को मिलता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page