भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा के गठन,आरक्षण, मनोनयन,सभापति,वेतन और सदन का नेता को लेकर कहीं ऐसे सवाल है जिनका उत्तर आप जानना चाहेंगे तो निश्चित रूप से यह आलेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

भारतीय संविधान की अनुच्छेद 80 में राज्यसभा की संरचना और गठन संबंधी प्रावधान किए गए हैं।वर्तमान में राज्यसभा के सदस्यों की कुल 250 है इन सदस्यो में से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं जो की कला,विज्ञान, साहित्य और समाज सेवा से संबंधित होते है।

ध्यातव्य : शुरुआत में राज्यसभा को राज्य परिषद (Council of state) कहा जाता था लेकिन 23 अगस्त 1954 से इसका नाम राज्य परिषद से बदलकर राज्यसभा शब्द कर दिया गया।

ध्यातव्य: 26 नवंबर 1949 को जब संविधान बनकर तैयार हुआ तब राज्यसभा के सदस्यों की संख्या (205+12) 217 थी। वहीं जब 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ तब इसकी संख्या 216(204+12) थी लेकिन आज अधिकतम 250(238+12) हो सकती है।

केंद्र शासित प्रदेशों को दिया प्रतिनिधित्व :

भारतीय संविधान में राज्यसभा में केवल राज्यों को प्रतिनिधित्व का प्रावधान किया गया था परंतु सातवें संविधान संशोधन 1956 द्वारा राज्यसभा के राज्य के सदस्यों के साथ-साथ संघ राज्य क्षेत्र के प्रतिनिधित्व का भी प्रावधान किया गया है।

ध्यातव्य: संघ राज्य क्षेत्र को राज्यसभा में प्रतिनिधित्व की पद्धति संसद द्वारा बनाई गई विधि के अधीन है।

ध्यातव्य: राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा होता है कि खुली मत प्रणाली।

राज्य सभा में आरक्षण का प्रावधान नहीं :

राज्यसभा में लोकसभा की तरह अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए अथवा आंग्ल भारतीय के लिए किसी प्रकार की आरक्षण का प्रावधान नहीं है ।

ध्यातव्य:ज्ञात हो कि वर्तमान में लोकसभा और राज्य विधानसभा में आंग्ल भारतीय सदस्य के मनोनयन का प्रावधान भी समाप्त कर दिया गया है।

राज्यसभा में सामयिक सभापति :

अनुच्छेद 91(1) के अनुसार जब सभापति और उपसभापति दोनों के पद खाली हो तब राज्यसभा का ऐसा सदस्य जिसको राष्ट्रपति इस प्रयोजन के लिए नियुक्त करें सभापति के पद के कर्तव्य का पालन करता है। इस प्रकार के सभापति को सामयिक सभापति कहा जाता है। ज्ञात हो कि राज्यसभा में पहली बार 24 मार्च 1977 को राज्यसभा के सदस्य श्री बनारसी दास को सामयिक सभापति बनाया गया था।

राज्यसभा में पहली महिला मनोनित सदस्य :

राज्य सभा में पहली महिला मनोनीत सदस्य रुक्मिणी देवी अरुंडेल थी जिनका कार्यकाल 1952 से 1962 तक रहा।

• पृथ्वीराज कपूर पहले अभिनेता थे जो राज्यसभा के लिए नाम निर्देशित हुए थे।

• राज्यसभा में पहली महिला अभिनेत्री शकुंतला परजाये थी जिसे राज्यसभा में मनोनीत किया गया था। ज्ञात हो की उनको सन 1964 में मनोनित किया था।

राज्यसभा के सभापति का वेतन:

उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा का सभापति होता है और राज्यसभा का सभापतित्व करने के कारण ही उनको वेतन प्राप्त होता है,उपराष्ट्रपति होने के कारण नहीं ।

ध्यातव्य:ज्ञात हो कि उपराष्ट्रपति को सभापति होने के कारण ₹4 लाख प्रति माह वेतन प्राप्त होता है।

राज्यसभा में सदन का नेता कौन होता है ?

जिस प्रकार लोकसभा में सदन का एक नेता जो कि प्रधानमंत्री होता है उसी प्रकार राज्यसभा में भी एक सदन का नेता होता है जो कि राज्यसभा का सदस्य होने के साथ-साथ एक मंत्री भी होता है जिसे प्रधानमंत्री द्वारा सदन का नेता मनोनीत किया जाता है।

ध्यातव्य : राज्यसभा में पहले सदन का नेता और गोपाल स्वामी आयंगर थे।

ध्यातव्य: इंदिरा गांधी जब पहली बार सन 1966 में प्रधानमंत्री बनी थी तब राज्यसभा के सदस्य थी।

ध्यातव्य : हालांकि संविधान में इस बात के लिए कोई प्रावधान नहीं है कि राज्यसभा में मनोनीत सदस्य को मंत्री नहीं बनाया जा सकता ….लेकिन अभी तक के इतिहास में मंत्री परिषद में ऐसे किसी सदस्य को शामिल नहीं किया गया है जो राज्यसभा में मनोनीत सदस्य हो।

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