
लोक सेवा आयोग जिसके साथ हर शिक्षित युवा के सपने जुड़े होते हैं साथ ही शासन व प्रशासन को सुव्यवस्थित और सही तरीके से संचालन लिए योग्य लोक सेवकों और कर्मचारी की भर्ती पहली आवश्यकता होती है। सरकार को इस कार्य मे सलाह व सहयोग देने के लिये लोक सेवा आयोग जैसी एक स्वतंत्र संस्था व संगठन अहम भूमिका निभाता है। भारत में सर्वप्रथम भारत शासन अधिनियम 1919 के तहत ली आयोग 1923 के परामर्श पर 1 अक्टूबर 1926 को लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई थी।
- संविधान और राजस्थान लोक सेवा आयोग
संविधान के भाग 14 के अंतर्गत अनुच्छेद 315 से लेकर अनुच्छेद 324 तक लोक सेवा आयोग के बारे में प्रावधान किया गया है । इसलिए संघ लोक सेवा आयोग,संयुक्त लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग एक संविधानिक आयोग है।
अनुच्छेद 315 में उल्लेखित है कि संघ और राज्य के लिए लोक सेवा आयोग होगा। सन 1966 में पंजाब में संयुक्त लोक सेवा आयोग की स्थापना की तभी से यह प्रावधान कर दिया गया कि दो या दो से अधिक राज्यों का एक संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग भी हो सकता है।
- राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना
राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना राजस्थान के एकीकरण के पश्चात तत्कालीन राज़ प्रमुख सवाई मानसिंह द्वितीय के समय राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना हेतु 16 अगस्त 1949 को एक अध्यादेश जारी किया,यह अध्यादेश 20 जनवरी 1949 को गजट नोटिफिकेशन में प्रकाशित हुआ था लेकिन राजस्थान लोक सेवा आयोग में एक सदस्य तथा दो अन्य सदस्यों की नियुक्ति 22 दिसंबर 1949 को हुई और इसी दिन को इसके स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है हाल ही में 22 दिसंबर 2021 को राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर का 73 वां स्थापना दिवस मनाया गया था।
- रियासत काल में कब हुई थी स्थापना ?
रियासत काल में राजस्थान में सर्वप्रथम लोक सेवकों की निष्पक्ष भर्ती के उद्देश्य से उदयपुर व जोधपुर में 1939 तथा जयपुर (1940) व बीकानेर (1946) में लोक सेवा समिति की स्थापना की गई थी।
- कहां है आरपीएससी का मुख्यालय
राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना सर्वप्रथम जयपुर में की गई थी लेकिन पी. सत्यनारायण राव समिति 1956 के परामर्श पर 1958 में इसका मुख्यालय जयपुर से अजमेर स्थानांतरित कर दिया गया तभी से अजमेर में जयपुर रोड पर इसका स्थाई मुख्यालय है । इस नवीन भवन का उद्घाटन तत्कालीन समय में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं राज्यपाल श्री अंशुमान सिंह जी के कार्यकाल में सन 2000 में किया गया था। ध्यान देने योग्य बात है कि इस समय राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह थे।
- आरपीएससी के सदस्यों की संख्या
अनुच्छेद 318 के तहत राज्यपाल लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या निर्धारित की जाती है तथा इसी अनुच्छेद में उल्लेखित है सदस्यों के कार्यकाल के दौरान उनकी सेवा शर्तों में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्थापना और गठन के समय एक अध्यक्ष तथा 2 सदस्य की नियुक्ति 22 दिसम्बर 1949 को की गई थी। इसके पश्चात राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या में समय- समय पर परिवर्तन होता रहा है। सन 1973 में इनकी कुल संख्या बढ़ाकर 04 तथा 1981 में इसे बढ़ाकर 5 और 2011 में इसकी संख्या फिर से बढ़ाकर कुल 08 कर दी गई है।
- आरपीएससी का संगठनात्मक ढांचा
राजस्थान लोक सेवा आयोग के कार्य विशेषीकरण और कार्य को सुव्यवस्थित रुप से संचालन करने के लिए संभागों/ प्रभाग में विभाजित है।(1) प्रशासनिक संभाग/प्रभाग (2) भर्ती संभाग/ प्रभाग (3) परीक्षा संभाग /प्रभाग (4) लेखा संभाग/ प्रभाग (5) विधि संभाग /प्रभाग(6) शोध प्रभात/प्रभाग
- आरपीएससी के अध्यक्ष व सदस्यों की योग्यता
लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यताओं के बारे में संविधान में कोई उल्लेख नहीं है लेकिन लोक सेवा आयोग के कुल सदस्यों में से कम से कम आधे सदस्य ऐसे हो जिनको भारत या किसी राज्य सरकार के अधीन कम से कम 10 वर्षों का कार्य अनुभव हो तथा बाकी सदस्यों की योग्यता के संबंध में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
- आरपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 316 में उल्लेखित है कि लोक सेवा आयोग का एक अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति संबंधित राज्य के राज्यपाल के द्वारा की जाएगी।अध्यक्ष का पद रिक्त होने पर एक प्रावधान है कि राज्यपाल द्वारा अध्यक्ष के पद के कर्तव्य और कार्यों का निर्वहन करने के उद्देश्य से नियुक्त व्यक्ति अध्यक्ष पद का कार्य निर्वहन करेगा।
- आरपीएससी के अध्यक्ष व सदस्यों को शपथ
राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों को शपथ संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के द्वारा दिलाई जाती है। उनकी अनुपस्थिति में उच्च न्यायालय का वरिष्ठ न्यायाधीश शपथ दिलाता है।
- आरपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 316 राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक जो भी पहले हो तक होता है। इससे पूर्व राज्यपाल को संबोधित त्यागपत्र देकर पद मुक्त हो सकते हैं तथा कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करते हुए हटाया भी जा सकता है ।
ध्यातव्य 41 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 60 वर्ष की आयु से बढ़ाकर 6 वर्ष या 62 वर्ष जो भी पहले पूर्ण हो तक कर दी गई थी।
- वेतन
राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को वेतन राज्य की संचित निधि से देय होता है।
- राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों की सूचीअध्यक्ष
1 डॉ. एस.के. घोष ( 01-04-1949 27-07-1950)
2 एस.सी. त्रिपाठी (28-07-1950 07-08-1951)
3 डी.एस. तिवारी (08-08-1951 20-01-1958)
4 एम.एम. वर्मा (20-01-1958 03-12-1958)
5 एल.एल. जोशी (04-12-1958 31-07-1960)
6 वी.वी. नार्लीकर (01-08-1960 31-07-1966)
7 आर.सी. चौधरी (08-02-1967 09-10-1972)
8 बी.डी. माथुर (09-10-1971 23-06-1973)
9 आर.एस कपूर ( 24-06-1973 10-06-1975)
10 मोहम्मद याक़ूब (27-06-1975 30-06-1979)
11 एच.डी. गुप्ता (10-09-1980 09-06-1983)
12 आर.एस. चौहान (30-06-1979 10-06-1980)
13 एस. अदियप्पा (10-06-1983 26-03-1985)
14 डॉ. दीन दयाल (26-03-1985 07-11-1985)
15 जे.एम. खान (08-11-1985 27-11-1989)
16 एस.सी. सिंगा रिया (27-11-1989 05-09-1990)
17 यतींद्र सिंह (05-09-1990 06-10-1995)
18 हनुमान प्रसाद (06-10-1995 30-09-1997)
19 पी.एस. यादव (01-10-1997 06-11-1997)
20 देवेंद्र सिंह (06-11-1997 30-12-2000)
21 एन.के. बैरवा (31-12-2000 22-03-2004)
22 जी.एस. टेक (15-07-2004 04-07-2006)
23 एच.एन. मीणा (04-07-2006 19-09-2006)
24 सी.आर. चौधरी (23-02-2008 28-02-2010)
25 एम.एल. कुमावत (28-02-2010 01-07-2011)
26 प्रो. बी.एम. शर्मा (01-07-2011 31-08-2012)
27 डॉ. हबीब खान गौरन (31-08-2012 -22-09-2014
28 डॉ. आर.डी. सैनी (24-09-2014 10-08-2015)
29 डॉ. ललित के. पनवार (10-08-2015 -10-07-2017)
30 श्याम सुंदर शर्मा (11/07/2017-28/09/2017)
31 डॉ. राधेश्याम गर्ग (18-12-2017 -01-05-2018
32 दीपक उप्रेती (23-07-2018 14-10-2020)
33 भूपेंद्र सिंह यादव (14-10-2020 से 1-12-2021 तक)
34 डॉ. शिव सिंह राठौड़ 2 दिसम्बर 2021 से. (कार्यवाहक)
- आरपीएससी के पहले व वर्तमान अध्यक्ष
लोक सेवा आयोग के गठन के साथ की अस्थाई तौर पर इसके पहले अध्यक्ष एस. के घोष को नियुक्त किया गया था । इसके पश्चात 28 जुलाई 1950 को स्थाई तौर पर एन.सी त्रिपाठी तथा तीसरे अध्यक्ष बी.एस तिवारी रहे। ध्यान देने योग्य बात है कि वर्तमान में राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉक्टर शिव सिंह राठौड़ है।
- अध्यक्ष जिनका सबसे कम व सबसे अधिक कार्यकाल रहा
राजस्थान लोक सेवा आयोग के वर्तमान अध्यक्ष डॉक्टर शिव सिंह राठौड़ है। इससे पूर्व श्री श्याम सुंदर जी शर्मा सितंबर 2017 में सेवानिवृत्त हुए थे । प्रथम अध्यक्ष एस. के घोष से लेकर वर्तमान अध्यक्ष श्री शिव सिंह जी राठौड़ तक में सबसे अधिक लंबे कार्यकाल के लिए बी. एस तिवारी रहे जिनका कार्यकाल 8-8-1951 से 20 -1-1958 तक रहा । इनमें सबसे न्यूनतम कार्यकाल पी. एस. यादव का रहा जो 1-1- 1997 से 6-11- 1997 तक यानि 37 दिन तक इस पद पर रहे।
- कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व हटाने की प्रक्रिया
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 317 ( खंड 01 )में उल्लेखित है कि लोक सेवा आयोग के किसी भी सदस्य को इन उपबंध में से किसी भी आधार पर पद से हटाया जा सकता है। ध्यान योग्य बात यह है कि उस व्यक्ति के दिवालिया हो जाने या कार्य करने में अक्षम हो जाने, मानसिक रूप से विकृत हो जाने या किसी लाभ के पद पर पदभार करने पर हटाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 317 के खंड 3 के तहत कदाचार के आधार पर उसे कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व या 62 वर्ष की आयु पूर्ण होने से पूर्व ही हटाया जा सकता है ।
ध्यान देने योग्य बात है कि कदाचार के आधार पर राष्ट्रपति के आदेश से ही उच्चतम न्यायालय के द्वारा की गई जांच के आधार पर हटाया जा सकता है।
- राज्यपाल नियुक्ति करता है पर हटा नहीं सकता
राज्यपाल राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य और अध्यक्ष को हटा नहीं सकता लेकिन राज्यपाल राष्ट्रपति का आदेश मिलने तक उन सदस्यों को निलंबित कर सकता है।
- सेवानिवृत्ति के बाद पुनः नियुक्ति का क्या है प्रावधान
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 319 के तहत राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्य की सेवानिवृत्ति के पश्चात वह भारतीय राज्य सरकार के अधीन किसी भी पद और नियोजन का पात्र नहीं होगा । कहां जा सकता है कि पुनःनियुक्ति निषेध है। लेकिन ध्यान देने योग्य बात है कि राज्य लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष सेवानिवृत्ति के पश्चात संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य के रूप में अथवा किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति का पात्र होता है।
- राज्य लोक सेवा आयोग के कार्य और कर्तव्य
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 320 के अंतर्गत न केवल संघ लोक सेवा आयोग वर्ण संयुक्त और राज्य लोक सेवा आयोग के कार्य का प्रावधान है। ० राज्य सेवाओं में नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का आयोजन
० विभिन्न नियुक्तियों में राज्य सरकार को परामर्श देना
० प्रतिवर्ष राज्यपाल को प्रतिवेदन प्रस्तुत करना है।
० वह कार्य संपादित करना जो उसे सरकार द्वारा समय-समय पर सौपें जाते है।