लोकतंत्र की प्राथमिक पाठशाला कहलाने वाला और शासन का तीसरा स्तर पंचायती राज व्यवस्था की पहली कोशिश स्वतंत्रता के बाद 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम के नाम से शुरुआत हुई थी लेकिन त्रिस्तरीय आधुनिक पंचायत राज व्यवस्था की शुरुआत 2 अक्टूबर 1959 को नागौर जिले के बगतरी गांव में प.नेहरू द्वारा  उद्घाटन के साथ हुई थी । उस वक़्त तक महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त नही था और न ही भागीदारी थी।

73वें संविधान संशोधन  1992 के द्वारा पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने के साथ ही महिलाओ को आरक्षण के प्रावधान भी किया । ज्ञात हो कि पंचायती राज राज्य सूची का विषय है ।

गुलामी के दौर में और आजादी के प्रारम्भिक समय तक भले ही समाज में महिलाओं को सामाजिक परंपराओं के नाम पर बेड़ियों में जखडा रहने को मजबूर किया जाता रहा हो, उन सब से लड़कर अनेक महिलाओं ने राजनीति में सफलता का परचम लहराया था और आज भी महिलाये पंचायती राज संस्थाओं में बढ़ चढ़ कर भूमिका निभा रही है।राजस्थान में भी पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की आज बढ़चढ़ कर भूमिका निभाई है। आइये जानते है राजस्थान की ऐसी ही महिला सरपंच के बारे में…..

  • राजस्थान की पहली महिला सरपंच

पंचायती राज के उद्घाटन के कुछ  ही दिनों बाद मरुधरा में जोधपुर में फलौदी तहसील के एक छोटे से गाँव जिसका नाम खींचन था । उस गांव में एक महिला छगन बहन गोलेच्छा पहली महिला सरपंच निर्वचित हुई । इन्होंने 1961 में  हुये चुनावों में वहां के पूर्व जागीरदार रेवतसिंह राजपुरोहित को हरा कर मात्र 31 वर्ष की उम्र में राजस्थान की पहली महिला सरपंच होने का गौरव हासिल किया था । अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व के कारण वह लगातार 13 साल तक उस गांव की सरपंच रहीं।

ध्यातव्य
कई जगह पढ़ने को मिलता हैं और बताया भी जाता है कि राजस्थान की पहली महिला सरपंच  भीलवाड़ा जिले के रोपा ग्राम पंचायत की सरपंच प्रेमकंवर राणावत थी।  प्रेमकंवर 1977 में रोपां सरपंच चुनी गईं थीं। गैर दलीय 
चुनावों में  प्रहलादराय सनाढ्य को 508 मतों से हराया था । लेकिन प्राप्त जानकारी को सही माने तो 1961 मेंं इससे पूर्व ही जोधपुर के खिचन गांव मे छगन बहन गोलेच्छा सरपंच चुनी गई थी । 

  • राजस्थान की पहली MBA महिला सरपंच

राजस्थान के टोंक जिले मालपुरा तहसील में सोडा ग्राम पंचायत की सरपंच छवि राजावत विदेश में पढ़ी-लिखी और उच्च शिक्षा प्राप्त महिला है । सन 2011 में हुये चुनाव में वह  सोडा गांव की सरपंच निर्वचित हुई थी ।ज्ञात हो कि छवि राजावत  राजस्थान की पहली एमबीए सरपंच महिला है।जिन्होंने देश विदेश में अपने गांव का नाम रोशन किया है। 

  • राजस्थान की पहली MBBS महिला सरपंच

उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों का रुख भी अब स्थानीय शासन की ओर बढ़ रहा है।इसे युग परिवर्तन नही तो ऒर क्या कहेंगे जब उच्च शिक्षा प्राप्त महिलाये भी अपना लोहा मना रही है ।  MBBS की डिग्रीधारी महिला जो राजस्थान की सरपंच निर्वचित हुई थी ।यह सुन कर भले ही आपको आश्चर्य हो लेकिन यह सही है ।  ज्ञात हो कि भरतपुर जिले की कामा पंचायत के चुनाव में मुस्लिम परिवार MBBS की उच्च शिक्षा प्राप्त पढ़ी लिखी महिला शहनाज सरपंच निर्वचित होने वाली राजस्थान की पहली महिला है। संभवतः शहनाज  राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे देश में ऐसी पहली महिला सरपंच है।  

  • राजस्थान की सबसे उम्रदराज महिला  सरपंच 

जहां युवाओं का रुझान पंचायतों की बढ़ रहा है वही उम्रदराज लोगो का रुझन भी कम नही है। राजस्थान में सबसे उम्रदराज महिला सरपंच विद्या देवी है जो कि  राजस्थान के सीकर ज़िले में नीमकाथाना ब्लॉक की पुरानाबास ग्राम  से पंचायत निर्वचित हुई थी ज्ञात हो कि विद्या देवी  फरवरी 2020 में हुए पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में अपनी 97 वर्ष की उम्र में सरपंच चुनी गई थी।

  • सबसे युवा सरपंच जो कि एक महिला है

राजस्थान ही नही बल्कि संभवतः पूरे भारत में सबसे युवा सरपंच राजस्थान के भरतपुर जिले की डीग पंचायत समिति में चुल्हेरा ग्राम पंचायत में असरुनी खान है जो कि  मात्र 21 वर्ष की आयु में ही 2020 में हुई सरपंच चुनाव में गांव की सरपंच को चुनी गई। यह अपने आप मे एक रिकॉर्ड है ।

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